• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar

HindiFinance.com

आपका पर्सनल फाइनेंस ब्लॉग आसान हिंदी में




  • Life Insurance
  • Mutual Funds
  • Financial Planning
  • NPS
  • PPF
  • Tax Planning
  • Aadhaar
  • LIC
  • Loans

Mutual Funds

Follow @hindifinance

बच्चों के नाम पर जीवन बीमा लेना मूर्खता है

Last updated: मई 14, 2019 | by दीपेश Leave a Comment

मैंने एक पोस्ट में चर्चा करी थी की आपको अपने बच्चों की पढाई की लिए कितना और कहाँ निवेश करना चाहिए| बहुत से विकल्प आपके सामने रखें|

बैंक फिक्स्ड डिपाजिट, पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना, म्यूच्यूअल फण्ड, यूलिप, पारंपरिक जीवन बीमा प्लान इत्यादि|

बहुत से निवेशक यह सवाल पूछते हैं की बच्चे की पढाई के लिए कौन सी पालिसी में निवेश करें| यहाँ एक समस्या है| बच्चों के नाम पर जीवन बीमा पालिसी लेना बेवकूफ़ी है| आईये जानते हैं क्यों|

बच्चों के नाम पर जीवन बीमा लेना मूर्खता है

जीवन बीमा माता या पिता के जीवन पर होना चाहिए, बच्चों के जीवन पर नहीं|

इसकी वजह यह है की अगर आपको (परिवार में आय कमाने वाले व्यक्ति) कुछ हो जाता है, तो बच्चों की पढाई के लिए निवेश पर कोई असर न पढ़ें| परन्तु अगर जीवन बीमा बच्चे के जीवन पर है, तो आपकी मृत्यु होने पर किसी को कुछ भी नहीं मिलेगा| अब आप सोचिये: ऐसी स्तिथि में अगर आपको (माता/पिता) को कुछ हो जाता है, तब पढाई के लिए निवेश कैसे जारी रहेगा?

न ही आय का साधन रहेगा, और न ही पढाई के लिए निवेश जारी रह पायेगा|

जीवन बीमा बच्चों के जीवन पर क्यों दिया जाता है?

ऊपर हमनें देखा की बच्चों के जीवन पर बीमा लेना किसी बेवकूफ़ी से कम नहीं है| यह बात तो बीमा कंपनियों को भी पता होगी| ऐसे में कंपनी ऐसे उत्पाद क्यों बेचती है जहां बच्चों के जीवन पर बीमा हो|

इसकी भी एक वजह है|

जीवन बीमा कंपनी ऐसा कोई उत्पाद नहीं बेच सकती जिसमें जीवन बीमा ही न हो| आपकी जीवन बीमा पालिसी के प्रीमियम का कुछ हिस्सा आपको जीवन बीमा प्रदान करने की ओर जाता है| जितनी अधिक आपकी आयु, उतना ही अधिक हिस्सा जीवन बीमा की ओर जाएगा| ऐसे में रिटर्न पर असर पड़ता है|

अगर पालिसी बच्चों के नाम पर होगी (बीमा बच्चे के नाम पर होगा), तो पालिसी में रिटर्न थोड़े बेहतर हो जाते हैं|

परन्तु जैसा की हमें ऊपर देखा है, इस सोच मिएँ एक समस्या है| बेहतर रिटर्न तो अच्छी बात है, परन्तु अगर आपकी अनुपस्तिथि में बच्चों की पढाई की लिए निवेश का क्या होगा|

इस बात पर भी ध्यान दें

कुछ जीवन बीमा प्लान ऐसे भी आते हैं जहां बीमा तो बच्चे के जीवन पर ही होता है, परन्तु आप अतिरिक्त प्रीमियम का भुगतान करके आप प्रीमियम वेवर राइडर (Premium Waiver Rider) खरीद सकते हैं| ऐसे प्लान में माता/पिता की प्रित्यु की स्तिथि में आगे आने वाले सभी प्रीमियम माफ़ कर दिए जाते हैं| ऐसा करने से प्रोपोसेर (माता/पिता) की मृत्यु के बाद भी निवेश जारी रहता है| कुछ लोगों को ऐसे प्लान पसंद आ सकते हैं परन्तु मेरे अनुसार यह बहुत किफायती तरीका नहीं है|

आपको क्या करना चाहिए?

ऐसी कोई भी पालिसी न खरीदें, जहाँ की जीवन बीमा बच्चे के जीवन पर हो|

बेहतर होगा की आप बच्चों की पढाई के लिए निवेश और जीवन बीमा को अलग रखें| निवेश का चुनाव जोखिम उठाने की क्षमता (risk appetite) और निवेश अवधि (investment horizon) के अनुसार करें| आपके विकल्पों की चर्चा मैंने इस पोस्ट में करी है|

अभी एक समस्या बची है, आपके बाद बच्चों की पढाई की लिए निवेश कैसे जारी रहेगा| इसके लिए अपने लिए जीवन बीमा लें| ध्यान दें बीमा आपके जीवन पर होना चाहिए| टर्म इंश्योरेंस जीवन बीमा खरीदने का सबसे अच्छा और सबसे सस्ता तरीका है| अगर आपको कुछ हो जाता है, तो बीमा कंपनी आपके परिवार को एकमुश्त राशि देगी| इस राशि का प्रयोग आपका परिवार घर के आम खर्चों और बच्चों की पढाई के निवेश के लिए कर सकती है|

अगर आपको विश्वास नहीं है की आपका परिवार एकमुश्त राशि का सही से उपयोग नहीं कर पायेगा, तब आप इनकम रिप्लेसमेंट टर्म इंश्योरेंस प्लान (Income Replacement Term Insurance plan)  के बारे में सोच सकते हैं| इस तरह के टर्म इंश्योरेंस प्लान में बीमा राशि का भुगतान मासिक किश्तों में किया जाता है|

इसके बाद भी अगर आप बच्चे की पढाई की पाई किसी चाइल्ड प्लान में निवेश करना चाहते हैं, तो इस पोस्ट को अवश्य पढ़ें|

Filed Under: Financial Planning, LIC, Life Insurance, Mutual Funds Tagged With: एलआईसी जीवन तरुण प्रीमियम कैलकुलेटर, बच्चों के लिए बेस्ट पालिसी, बेस्ट चाइल्ड प्लान

बच्चों की पढाई के लिए कैसे निवेश करें?

Last updated: अप्रैल 1, 2019 | by दीपेश Leave a Comment

अपने बच्चों की पढाई में कोई समझौता नहीं करना चाहता| हर कोई अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा प्रदान करना चाहता है| आजकल कम्पटीशन बहुत ज्यादा है और इस बात की कोई गारंटी नहीं है की आपके बच्चों को मनपसंद कोर्स या कॉलेज में एडमिशन मिलेगा या नहीं| उसके लिए आपके बच्चों को मेहनत करनी पड़ेगी|

आपको यह सुनिश्चित करना है की उनको पैसे की कमी की वजह से कोई समझौता न करना पड़े| आपको उनकी पढाई के लिए पर्याप्त धन जमा करना होगा|

इस पोस्ट में जानते हैं की आप यह कैसे कर सकते हैं|

ध्यान दें स्कूल की फीस आपकी मासिक आय में से आनी चाहिए| इसका मतलब अपने बच्चे को ऐसे स्कूल में भेजें जिसकी फीस का भार आप उठा सकें| मैं उस पढाई के खर्चे की बात कर रहा हूँ जो की बारहवीं कक्षा(12th class) के बाद आएगा या ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद आएगा| ग्रेजुएशन या पोस्ट-ग्रेजुएशन (स्नातक या स्नातकोतर) की पढाई का खर्चा|

आपको बच्चों की पढाई के लिए कितने पैसे की ज़रुरत पड़ेगी?

सबसे पहला सवाल यही है| कितना पैसा जमा करना है?

इस बात का जवाब देना मुश्किल है|

क्यों?

सबसे पहले, आपको अभी से पता नहीं है की आपक बच्चा क्या पढ़ेगा| एक 6 वर्षीय बालक से इस बात की उम्मीद करना भी बेवकूफी है| हर तरह की पढाई का अलग खर्चा होता है| मेडिकल, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, टीचिंग इत्यादि: हर तरह की पढाई का अलग खर्चा होता है|

साथ ही पढाई का खर्चा समय के साथ बढ़ता भी रहता है| अभी शायद इंजीनियरिंग की पढाई का खर्चा 4 लाख रुपये हो, परन्तु 10 वर्ष के बाद 8 से 10 लाख भी हो सकता है| हर इंजीनियरिंग कॉलेज की फीस भी अलग हो सकती है|

जब इतनी जटिलताएं हैं, तो कैसे प्लान करें?

सबसे पहली बात, हालांकि आपको यह पक्के से नहीं पता की राशि के लक्ष्य क्या होना चाहिए, परन्तु इसका मतलब यह नहीं है की आप कुछ भी प्लानिंग न करें| आप निवेश करना शुरू करें| बादमें जब आपके पास स्पष्टता होगी, तब आप एडजस्ट कर सकते हैं|

साथ ही आपको यह तो पता है की पैसे चाहियें कब| अगर बेटी 6 की आयु 6 वर्ष है, तब आपको पता है की आपको ग्रेजुएशन की पढाई के लिए 12 वर्ष के बाद पैसा चाहिए होगा| आपको पैसा एक वर्ष में नहीं लगेगा, 3-4 वर्ष की दौरान आपको पैसा खर्च करना होगा|

कितनी राशि का लक्ष्य होना चाहिए?

एक अनुमान के साथ शुरू करें|

अगर आपको लगता है या आप चाहते हैं की बच्चा किसी प्रकार की पढाई करे, तो उस पढाई के खर्चे का अंदाजा लगायें|

मान लिए मेडिकल की पढाई का खर्चा 8 लाख रुपये है| आज की तारीख में अगर आपको बच्चे को मेडिकल पढ़ाना है, तो 8 लाख रुपये लगेंगे| परन्तु आपको पढ़ाना 15 वर्ष बाद है|

इन्फ्लेशन (मुद्रास्फीति) भी लगा लें| मान लिए 6% से 8% का inflation रहेगा|

15 वर्ष बाद: 8 लाख X (1.08)^15 = 25.37 लाख रुपये चाहिए होंगे|

देखिये यह राशि निकालने के लिए अनुमान लगायें है| हो सकता है की यह अनुमान गलत निकलें| परन्तु प्लानिंग तो करनी ही पड़ेगी|

आपको निवेश कितना करना होगा?

आपको लक्ष्य पता है, यह भी पता है की पैसा कब चाहिए| परन्तु इसके लिए कहाँ और कितना निवेश करें|

पहले देखते हैं कितना निवेश करना होगा?

क्योंकि सैलरी हर महीने मिलती है, तो आप भी चाहेंगे की निवेश भी हर महीने करा जाए|

मान लिए आपको अपनी बेटी की पढाई के लिए 15 वर्ष बाद 12 लाख रुपये चाहिए|

अब आपको रिटर्न का अनुमान लगाना होगा| यह भी कोई आसान काम नहीं है|

मान लिए आपको आपके निवेश पर 10% प्रति वर्ष का रिटर्न मिलता है, तब आपको हर महीने 3,011 रुपये का निवेश करना होगा|

12 लाख का लक्ष्य, 15 वर्ष या 120 महीने, 10% p.a. का रिटर्न: आपको हर महीने तकरीबन 3,000 रुपये का निवेश करना होगा|

अगर आपको आपके निवेश पर 8% प्रति वर्ष का रिटर्न मिलता है, तब आपको हर महीने 3,554 रुपये का निवेश करना होगा|

आप देख सकते हैं, जैसे जैसे रिटर्न कम होगा, मासिक निवेश की राशि बढ़ती जायेगी|

साथ ही आपके पास जितना ज्यादा समय है, आपको उतना कम मासिक निवेश करना होगा|मान लिए आपको 12 लाख रुपये 15 की बजाय 18 वर्ष में जमा करने होते, तब आपको हर महीने 3,000 रुपये की बजाय केवल 2,100 रुपये का निवेश करना होता|

जितनी जल्दी निवेश करना शुरू करेंगे, उतना ही बेहतर रहेगा|

यह कैलकुलेशन करने के लिए आप किसी ऑनलाइन कैलकुलेटर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं|

आप इस कैलकुलेटर पर भी बच्चों की पढाई के लिए राशि और मासिक निवेशक अनुमान लगा सकते हैं| Download Children Education Calculator (Hindi)

बच्चों की पढाई के लिए कहाँ निवेश कर सकते हैं?

आपके पास निवेश करने के कई विकल्प हैं| आईये कुछ विकल्पों पर चर्चा करते हैं|

#1 फिक्स्ड डिपाजिट या रेकरिंग डिपाजिट (Fixed Deposit or Recurring Deposit):

आप हर महीने कुछ पैसा जमा कर सकते हैं| आपको ब्याज मिलता रहेगा और आपका पैसा धीरे-धीरे बढ़ता रहेगा| ध्यान रखें cumulative फिक्स्ड डिपाजिट में ही निवेश करें| ऐसी FD में ब्याज आपके बचत खाते में नहीं आता और FD में ही जुड़ता रहता है|

फायदा: इस समझना आसान है| कोई रिस्क या जोखिम भी नहीं है|

नुकसान: रिटर्न बहुत अच्छा नहीं मिलेगा| ब्याज पर टैक्स भी देना होगा|

#2 पब्लिक प्रोविडेंट फण्ड (Public Provident Fund)

आप अपने बच्चों के लिए PPF खाता भी खोल सकते हैं| खाता 15 वर्ष बाद मेच्योर होगा|

फायदा: ब्याज दर अच्छी मिलती है| रिटर्न की गारंटी होती है| कोई रिस्क नहीं रहता| ब्याज पर टैक्स नहीं लगता|

नुकसान: खाता 15 वर्ष बाद मेच्योर होगा| मान लिए आपने 10 वर्ष की बेटी के लिए खाता खोला, अब यह खाता उसके 25 वर्ष की आयु के होने के बाद मेच्योर होगा| परन्तु आपको पैसे की आवश्यकता 18 वर्ष की आयु पर थी| यहाँ समस्या हो सकती है| ऐसे में आप अपने PPF खाते में निवेश कर सकते हैं|

बच्चों के नाम पर PPF खाते खोलने के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस पोस्ट को पढ़ें|

#3 सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana)

सुकन्या योजना में केवल आप अपनी बेटियों के लिए निवेश कर सकते हैं| बेटों के लिए सुकन्या खाता नहीं खोल जा सकता|

फायदा: ब्याज दर अच्छी मिलती है| PPF से भी अधिक ब्याज दर मिलती है| रिटर्न की गारंटी होती है| कोई रिस्क नहीं रहता| ब्याज पर टैक्स नहीं लगता|

नुकसान: खाता खोलने के 21 वर्ष बाद मेच्योर होगा| अगर खाता खोलते समय बेटी की आयु 5 वर्ष है, तो उसकी 26 वर्ष की आयु पर खाता मेच्योर होगा| पढाई के लिए आपको राशि की ज़रुरत पहले भी पड़ सकती है|

सुकन्या योजना में एक विकल्प यह है की आप बेटी की 18 वर्ष की आयु के बाद 50% तक पैसा निकाल सकते हैं| आप इस विकल्प को ध्यान में रखते हुए निवेश कर सकते हैं|

सुकन्या समृद्धि योजना के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस पोस्ट को पढ़ें|

#4 इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड (Mutual Fund)

यह भी एक अच्छा विकल्प है परन्तु जोखिम रहता है|

फायदा: बहुत रिटर्न अच्छे मिलने की संभावना रहती है| परन्तु लम्बी अवधि के लिए ही निवेश करें आप सिप (SIP) के माध्यम से हर महीने थोड़ा-थोड़ा निवेश कर सकते हैं|

नुकसान: रिस्क रहता है| आपको नुकसान भी हो सकता है| अगर आप शेयर बाज़ार के उतार-चढ़ाव को नहीं झेल सकते, तब इसमें निवेश न करें| आप किसी एक्सपर्ट की सलाह भी ले सकते हैं|

अगर बच्चों की पढाई के लिए इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश कर रहे हैं, तो अंत तक इसमें पैसा न रखें| जैसे-जैसे पढाई का समय पास आता जाए, आप कुछ पैसा निकाल कर फिक्स्ड डिपाजिट या डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड में जमा कर सकते हैं|

म्यूच्यूअल फण्ड के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस पोस्ट को पढ़ें|

#5 यूलिप (ULIP)

आप इंश्योरेंस कंपनी से यूलिप प्लान भी खरीद सकते हैं| बस परेशानी यह है की यूलिप अनेक प्रकार के आते हैं| आपके जानकारी के अभाव में कोई गलत यूलिप में निवेश न कर दें| निवेश करने से पहले एक अच्छे फाइनेंसियल एडवाइजर से परामर्श ज़रूर करें| इस पोस्ट में मैंने यूलिप के बारे में जानकारी दी हुई है|

#6 अन्य जीवन बीमा प्लान

जीवन बीमा कंपनी यूलिप के अलावा भी प्लान निकालती हैं| ऐसे प्लान के रिटर्न शेयर बाज़ार पर निर्भर नहीं करते| मुझे ऐसे प्लान पसंद नहीं हैं क्योंकि रिटर्न काफी कम मिलता है| इस तरह के प्लान का उदहारण है एलआईसी जीवन तरुण| मैं आपको ऐसे प्लान में निवेश करने सुझाव नहीं दूंगा| बाकी आपकी मर्ज़ी|

ध्यान दें: जब आप कैलकुलेटर भर रहे हो, तो एक बात का ध्यान रखें| रिटर्न का नंबर आपके निवेश पर निर्भर करता है| जैसे की अगर आप PPF में निवेश करेंगे और रिटर्न 12% भरेंगे, तो वह सही नहीं है|

एक बात और, आप बच्चों की पढाई के लिए तभी तक निवेश कर सकते हैं जब तक की आप जीवित है| इसलिए आपको सुनिश्चित करना होगा की आपके बाद भी आपके बच्चों की पढाई के लिए निवेश जारी रहे| ऐसा करने के लिए सबसे अच्चा तरीका है एक जीवन बीमा प्लान लेना| मेरे अनुसार टर्म इंश्योरेंस प्लान जीवन बीमा खरीदने का सबसे अच्छा तरीका है|

पढ़ें: आपको कितना जीवन बीमा लेना चाहिए?

आप अपने बच्चों की पढाई के लिए कहाँ निवेश करते हैं?

Filed Under: Financial Planning, Life Insurance, Mutual Funds, PPF Tagged With: PPF, एलआईसी जीवन तरुण, बच्चों की पढाई, बैंक फिक्स्ड डिपाजिट

म्यूच्यूअल फण्ड में ग्रोथ (Growth) और डिविडेंड (Dividend) विकल्प क्या होते हैं? किसमें करें निवेश?

by दीपेश Leave a Comment

म्यूच्यूअल फण्ड dividend और ग्रोथ विकल्प क्या होते हैं?

हर म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम में निवेश के दो विकल्प होते हैं|

#1 Growth (ग्रोथ)

आपको कोई डिविडेंड नहीं मिलता| अगर आपको अपने निवेश से कुछ पैसा चाहिए, तो आपको अपनी कुछ यूनिट्स को बेचना होगा| यूनिट्स बेचने पर जो मुनाफा होता है, उस पर आपको capital gains टैक्स देना होता है|

ग्रोथ विकल्प में आपका पैसा निवेशित रहता है आर बेहतर तरीके से कंपाउंड (compound) हो सकता है|

SBI BlueChip Fund-Growth

#2 Dividend (डिविडेंड)

समय-समय पर आपको dividend मिलता है| Dividend कब मिलना है और कितना मिलना है, यह आपकी इच्छा के अनुसार नहीं होता| फण्ड मेनेजर पर निर्भर करता है| साथ ही dividend केवल मुनाफे में से दिया जा सकता है| इसलिए अगर स्टॉक market अच्चा नहीं कर रहे, तो फण्ड की dividend देने की क्षमता प्रभावित हो सकती है|

SBI BlueChip Fund-Dividend

ध्यान दें dividend आपके पैसे से ही आता है| आपको जितना dividend मिलता है, उतना ही आपके फण्ड का NAV कम हो जाता है| दरअसल, NAV कुछ ज्यादा गिरता है क्योंकि dividend पर Dividend डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) भी लगता है| यह टैक्स आपको नहीं देना होता| म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी यह टैक्स काटकर ही आपको पैसा देती है|

जो dividend आपके हाथ में आता है, उस पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होता|

#3 Dividend Re-investment

यहाँ एक तीसरा विकल्प भी हैं| इस विकल्प में dividend आपके हाथ में नहीं आता| dividend दोबारा से म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश हो जाता है| बाकी सब, dividend विकल्प के सामान ही है|

ग्रोथ या डिविडेंड किस विकल्प में निवेश करें?

ग्रोथ विकल्प में आपके पास पैसा केवल यूनिट्स बेचें पर आता है| ऐसे में आपको कैपिटल गेन्स हो सकते हैं और उस पर आपको टैक्स देना होगा|

डिविडेंड विकल्प में आपके dividend पर DDT (डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स) लगता है|

इसलिए आपका निर्णय इस बात पर निर्भर करेगा की आपको किस पर कम टैक्स देना होगा|

Capital gain पर या Dividend पर?

अगर कैपिटल gain पर कम टैक्स देना होगा, तो Growth option बेहतर है|

अगर dividend पर कम टैक्स देना होगा, तो Dividend विकल्प बेहतर है|

म्यूच्यूअल फण्ड बेचने पर या dividend मिलने पर कितना टैक्स देना होता है?

इस बारे में मैंने इस पोस्ट में विस्तार से चर्चा करी है|

संक्षिप्त में जानकारी के लिए नीचे देख सकते हैं|

long term capital gain लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड शेयर dividend डिविडेंड पर टैक्स बजट 2018
म्यूच्यूअल फण्ड बेचने पर या डिविडेंड पर कितना टैक्स लगता है?

Dividend (डिविडेंड) और Growth (ग्रोथ) में क्या चुनाव करें?

यह निर्भर करेगा इन बातों पर:

  1. आप किस तरह के फंड में निवेश कर रहे हैं (इक्विटी या डेब्ट फण्ड)
  2. आप कितनी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं
  3. आप किस टैक्स स्लैब में आते हैं (केवल डेब्ट फण्ड में चुनाव प्रभावित होगा)

इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड (Equity Mutual Fund) में क्या करना चाहिए?

देखिये इक्विटी म्यूच्यूअल फंड में कम अवधि के लिए निवेश करना अच्छा विचार नहीं है|

अगर आप एक वर्ष से अधिक के लिए निवेश कर रहे हैं, तो आपको capital gain पर 10.4% टैक्स देना होगा| यहीं आपको dividend पर तकरीबन 11.5% का टैक्स देना होगा|

इसलिए ग्रोथ option बेहतर है|

अगर आप इक्विटी फण्ड में निवेश कर रहे हैं, तो ग्रोथ विकल्प (Growth option) में ही निवेश करें|

कुछ निवेशकों नियमित आय के लिए इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड के विकल्प में निवेश करते हैं| यह एक बुरा आईडिया है| पहले तो dividend की कोई गारंटी नहीं है| दूसरी बात आप Growth option के यूनिट्स बेचकर भी अपनी ज़रुरत पूरी कर सकते हैं| टैक्स भी कम लगेगा| मैंने इस विषय पर दूसरे पोस्ट में विस्तार से चर्चा करी है|

पढ़ें: नियमित आय के लिए इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड के dividend पर भरोसा न करें

डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड (Debt Mutual Fund) में क्या करना चाहिए?

अगर आप डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश कर रहे हैं, तो आपका निर्णय आपके टैक्स स्लैब और आपकी निवेश अवधि पर निर्भर करेगा|

अगर आप अपनी यूनिट्स को 3 वर्ष से पहले बेचते हैं, तो आपको मुनाफे पर अपनी टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा|

अगर आप अपनी यूनिट्स को 3 वर्ष के बाद बेचते हैं, तो आपको मुनाफे 20% (indexation के बाद) टैक्स देना होगा|

Dividend पर तकरीबन 28% DDT लगता है|

डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड में चुनाव करना आसान है|

अगर आप 5% या 20% वाले टैक्स स्लैब में आते हैं, तो Growth विकल्प में निवेश करें| निवेश अवधि से कोई फर्क नहीं पड़ता| Dividend विकल्प में 28% टैक्स लगेगा| मुनाफे पर केवल 5% या 20% टैक्स लगेगा|

अगर आप 30% टैक्स ब्रैकेट में आते हैं और 3 वर्ष से कम अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तो आपको Dividend (डिविडेंड) या Dividend Reinvestment विकल्प में निवेश करना चाहिए| मुनाफे पर 30% देना होगा, dividend विकल्प में 28% टैक्स ही लगेगा|

अगर आप 30% टैक्स ब्रैकेट में आते हैं और 3 वर्ष से अधिक अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तब भी आपको Growth option चुनना चाहिए| मुनाफे पर 20% (इंडेक्सेशन के बाद) टैक्स देना होगा, डिविडेंड पर 28% प्रतिशत लगेगा|

संक्षेप में:

अधिक जानकारी और उदाहरणों के लिए इस पोस्ट (अंग्रेजी) को पढ़ें|

Filed Under: Financial Planning, Mutual Funds Tagged With: dividend vs. growth, growth, म्यूच्यूअल फण्ड

गोल्ड बांड क्या होते हैं? क्या फायदे हैं? कैसे खरीदें?

by दीपेश Leave a Comment

सोने में निवेश करने की लिए आपको केवल सोने की सिक्के या सोने के आभूषण खरीदने की ज़रुरत नहीं है| कुछ और भी तरीके हैं सोने या गोल्ड में निवेश करने के|

आप गोल्ड म्यूच्यूअल फण्ड खरीद सकते हैं या Sovereign Gold Bond (गोल्ड बांड) भी खरीद सकते हैं|

आईये इस पोस्ट में गोल्ड बांड के बारे में विस्तार से जानते हैं|

सॉवरेन गोल्ड बांड (Sovereign Gold Bond) के बारे में कुछ अहम् बातें

  1. गोल्ड बांड में आपको 2.5% प्रति वर्ष का ब्याज मिलता है| सोने के किसी और निवेश के तरीके में आपको ब्याज नहीं मिलता|
  2. अगर आप निवेश करना चाहते हैं, तो आपको कम से कम एक यूनिट (1 gram) खरीदनी होगी|
  3. आप एक 1 वर्ष (अप्रैल से मार्च) में अधिकतम 4 किलो सोने के बराबर (4000 यूनिट) गोल्ड बांड खरीद सकते हैं|
  4. गोल्ड बांड भारत सरकार द्वारा जारी किये जाते हैं| इसलिए आपको अपने पैसे के बारे में चिंता करने की कोई ज़रुरत नहीं है| गोल्ड बांड में भारत सरकार की गारंटी होती है|
  5. गोल्ड बांड की एक यूनिट एक ग्राम सोने के सामान होती है|
  6. गोल्ड बांड 8 वर्ष बाद मेच्योर होते हैं| 8 वर्ष बाद आपको उस समय के सोने के मूल्य के अनुसार पैसा लौटा दिया जाएगा|
  7. हालांकि गोल्ड बांड 8 वर्ष में मेच्योर होते हैं, आपके पास पांचवें, छठे और सांतवें वर्ष में निर्धारत समय पर अपने बांड वापिस दे कर अपना पैसा ले सकते हैं|
  8. आप गोल्ड बांड को गिरवी रख कर गोल्ड लोन भी ले सकते हैं|
  9. गोल्ड बांड स्टॉक एक्सचेंज पर भी लिस्ट किये जायेंगे| वहाँ से भी आप गोल्ड बांड खरीद या बेच सकते हैं|

एक उदहारण की सहायता से समझते हैं

मान लिए आपने 100 यूनिट गोल्ड बांड खरीदे| इसका मतलब आपने 100 ग्राम सोना खरीदा| खरीदने के समय सोने के मूल्य 2,800 रुपये प्रति ग्राम (28,000 रुपये तोला) चल रहा था| आपने कुल मिला कर 2.8 लाख रुपये का निवेश किया|

आपको हर वर्ष 2.8 लाख X 2.5% = 7,000 रुपये का ब्याज मिलेगा| ध्यान दें आपको हर 6 महीने पर 3,500 रुपये का ब्याज मिलेगा|

8 वर्ष बाद, आपको उस समय के सोने के मूल्य के अनुसार पैसा लौटा दिया जाएगा| मान लिए उस समय सोने के मूल्य 30,000 रुपये तोला है| ऐसे में आपको 100 gram सोने के लिए 100X3,000 = 3 लाख रुपये मिलेंगे| अगर सोने का मूल्य 26,000 रुपये तोला होता है, तो आपको 2.6 लाख रुपये मिलेंगे|

सोने के दाम में उतार चढ़ाव का रिस्क आपको ही उठाना पड़ता है|

गोल्ड बांड बेचने पर टैक्स कितना देना होता है?

गोल्ड बांड के ब्याज पर आपको अपने टैक्स ब्रैकेट के अनुसार टैक्स देना होता है|

अगर आप गोल्ड बांड सरकार को वापिस देते हैं (8 वर्ष बाद मेच्योर होने पर या उससे पहले), तब आपको होने वाले मुनाफे पर कुछ भी टैक्स नहीं देना होगा| जैसे की आपने 2.8 लाख के निवेश किया था और आपको 8 वर्ष बाद 3 लाख रुपये  वापिस मिलते हैं, तब आपको इस राशि पर टैक्स देने की ज़रुरत नहीं है|

अगर आप गोल्ड बांड को स्टॉक एक्सचेंज पर बेचते हैं, तब आपको टैक्स देना होगा| अगर आप 3 वर्ष से पहले बेचते हैं, तो आपको मुनाफे पर अपने टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा| अगर आप 3 वर्ष के बाद बेचते हैं, तो आपको 20% (indexation के बाद) टैक्स देना होगा|

सॉवरेन गोल्ड बांड (Sovereign Gold Bond) कैसे खरीदें?

भारत सरकार समय-समय पर सॉवरेन गोल्ड बांड ज़ारी करती है|

आप अपने बैंक की सहायता से या फिर अपने broker की सहायता से गोल्ड बांड खरीद सकते हैं| आप ऑनलाइन भी आवेदन कर सकते हैं|

अगर चाहें तो, स्टॉक एक्सचेंज पर भी सॉवरेन गोल्ड बांड खरीद या बेच सकते हैं|

आप भारतीय स्टेट बैंक की वेबसाइट पर गोल्ड बांड के बारें में अधिक जानकारी पा सकते हैं|

Filed Under: Financial Planning, Loans, Mutual Funds Tagged With: Sbi गोल्ड लोन, गोल्ड बांड, गोल्ड लोन

अपने लिए लिक्विड फण्ड का चुनाव कैसे करें? (How to select a liquid fund?)

by दीपेश Leave a Comment

कुछ समय पहले मैंने एक पोस्ट में इस बात पर चर्चा करी थी की अपने लिए बेस्ट म्यूच्यूअल फण्ड के चुनाव कैसे करें|

अगर कम अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तो डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करें|

अगर लम्बी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तो इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करें|

आज मैं लिक्विड फण्ड (liquid fund) के बारे में चर्चा करूंगा| इस पोस्ट में जानेंगे की:

  1. लिक्विड फण्ड क्या होते हैं? What are Liquid Funds?
  2. लिक्विड फण्ड कहाँ निवेश करते हैं?
  3. लिक्विड फण्ड में कितना रिटर्न मिलता है?
  4. लिक्विड फण्ड में निवेश करने पर क्या रिस्क रहता है? (Risk with Liquid Funds)
  5. एक अच्छे लिक्विड फण्ड का चुनाव कैसे करें?

बहुत से निवेशक लिक्विड फण्ड (liquid fund) को बचत खाते में पैसे रखने का विकल्प मानते हैं| बचत खाते में आपको 4% का ब्याज मिलता है| Liquid fund में आपको 6-7% p.a. तक का रिटर्न मिल जाता है|

ध्यान दें liquid fund में रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती| रिटर्न कम या ज्यादा भी हो सकता है| लिक्विड फंड्स के यूनिट बेचने पर आपके बैंक खाते में अगले दिन पैसा आ जाता है|

लिक्विड फण्ड क्या होते हैं? लिक्विड फण्ड काम कैसे करते हैं?

Liquid funds भी म्यूच्यूअल फण्ड का एक विकल्प हैं| Liquid fund एक प्रकार के debt mutual fund होते हैं|

लिक्विड फण्ड शेयर बाज़ार में निवेश नहीं करते|

लिक्विड फण्ड बांड (bonds) में निवेश करते हैं| Liquid fund ऐसे बांड में निवेश करते हैं जो की 91 दिन के भीतर मेच्योर हो रहे हों| सरकारी बांड्स (Government Bonds) और निजी कंपनी के bonds (bonds from private companies) में निवेश करते हैं| इस निवेश से जो रिटर्न मिलता है, उससे आपके यूनिट का NAV धीरे-धीरे बढ़ता रहता है|

लिक्विड फण्ड में रिस्क क्या होता है? Risk in Liquid Funds

सबसे बड़ा रिस्क यह है की जिस कंपनी के बांड में पैसा निवेश किया है, वह कंपनी डिफ़ॉल्ट (default) कर दे| इसका मतलब किसी वजह कंपनी पैसा लौटा न पाए| इस रिस्क को क्रेडिट रिस्क (Credit Risk) भी कहा जाता है|

अगर पैसा नहीं लौटा, तो आपके लिक्विड फण्ड का NAV गिर जाएगा| मतलब की आपको नुकसान हो सकता है|

ध्यान दें सरकारी बांड में default की संभावना नहीं होती| यह रिस्क केवल Corporate Bonds (निजी कंपनी के बांड्स) में रहता है|

लिक्विड फण्ड का चुनाव कैसे करें?  How to choose Liquid Fund?

जैसे की ऊपर चर्चा करी है की liquid fund में कुछ रिस्क होता है| अब यह रिस्क रहेगा| इस रिस्क को आप पूरे तरीके से नहीं हटा सकते| यह रिस्क केवल तभी हट सकता है जब की लिक्विड फण्ड केवल सरकारी बांड में निवेश करें|

परन्तु क्योंकि सरकारी बांड में रिटर्न कम मिलता है, फण्ड मेनेजर corporate bond में भी निवेश करते हैं| ऐसा करने से रिटर्न तो बढ़ता है परन्तु रिस्क भी बढ़ जाता है|

हर म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी का लिक्विड फण्ड होता है| परन्तु फण्ड के रिटर्न में बहुत ज्यादा अंतर नहीं होता|

आम तौर पर रिटर्न में 0.2% से 0.3% तक का अंतर होगा| ऐसे में बेस्ट रिटर्न वाले लिक्विड फण्ड की ओर भागना अच्छा विचार नहीं है|

निवेश करते समय आपको इन दो बातों को सुनिश्चित करना होगा|

  1. आपके लिक्विड फण्ड का बांड डिफ़ॉल्ट न करे: यह सुनिश्चित करना बहुत मुश्किल है| अगर आप ऐसा चाहते हैं तो आपको ऐसा लिक्विड फण्ड चुनना होगा, जो की केवल सरकारी बांड में निवेश करे| परन्तु फिर रिटर्न थोड़े कम होंगे|
  2. अगर डिफ़ॉल्ट हो भी, तो आपको बहुत ज्यादा नुकसान न हो: यह बात आप सुनिश्चित कर सकते हैं|

#1 केवल बड़े लिक्विड फण्ड में निवेश करें (Invest in bigger funds)

आप ऐसे लिक्विड फण्ड को चुनें जिसका size कम से कम 10,000 करोड़ रुपये हो|

इसका फायदा यह है की बड़े फण्ड को बहुत सारी कंपनी के बांड में निवेश करना होगा| अगर किसी वजह कोई कंपनी डिफ़ॉल्ट भी करती है, तो आपके फण्ड के NAV पर बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा|

एक उदहारण से समझते हैं| 10,000 करोड़ निवेश करने के लिए फण्ड मेनेजर को शायद 100-150 कंपनी में निवेश करना पड़े| मान लिए सभी कंपनी में बराबर निवेश किया है| अगर कोई बांड default भी कर देता है, तो आपके NAV पर 0.5-1% का प्रभाव पड़ेगा|

यहीं अगर फण्ड 200 करोड़ रुपये का होता, तो शायद 10-20 कंपनी के बांड से ही काम चल गया होता|  ऐसे में किसी बांड में डिफ़ॉल्ट हुआ, तो 5-10% का असर पड़ेगा|

इसीलिए कम से कम 10,000 कोर्ड के कार्पस वाले लिक्विड फण्ड में ही निवेश करें|

#2 अधिक प्रतिष्ठित और बड़ी म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी के लिक्विड फण्ड में निवेश करें

इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड में छोटे और बड़े म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी में कोई फर्क नहीं पड़ता|

पर जब बात डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड और लिक्विड फण्ड की आती है, बड़ी कंपनियों के साथ ही निवेश करें|

ऐसा इसलिए की उनकी प्रतिष्ठा को काफी नुकसान पहुँच सकता है| उनके पास इतनी आर्थिक शक्ति भी हो सकती है की अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए आपको कुछ राहत दे सकें|

#3 फण्ड का expense ratio कम हो

जितना कम एक्सपेंस रेश्यो (expense ratio) होगा, आपके रिटर्न उतना ही बढेगा|

आपको expense ratio की जानकारी ValueResearch की वेबसाइट पर मिल जायेगी|

select best liquid fund बेस्ट लिक्विड फण्ड hindi

#4 लिक्विड फण्ड की Star rating पर ध्यान न दें

लिक्विड फण्ड का चुनाव करते समय म्यूच्यूअल फण्ड रेटिंग्स (mutual fund ratings) पर बिल्कुल ध्यान न दें|

अगर rating पर ज्यादा ध्यान देंगे, तो गलती हो सकती है| ऐसा इसलिए क्योंकि rating काफी हद तक रिटर्न पर ज़ोर देती हैं (रिस्क पर नहीं)|

कुछ समय पहले एक 5-star लिक्विड फण्ड का NAV एक दिन में 10% गिर गया क्योंकि एक बांड में डिफ़ॉल्ट हो गया था|

#5 केवल रिटर्न के पीछे न भागें

बहुत सारे निवेशक किसी भी फण्ड का चुनाव पिछले कुछ समय में मिले रिटर्न (past performance) के आधार पर करते हैं| अगर आप इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड के चुनाव के समय ऐसा करते हैं, तब आपको शायद बहुत ज्यादा परेशानी न हो|

परन्तु अगर डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड या लिक्विड म्यूच्यूअल फण्ड के चुनाव के पुराने रिटर्न पर बहुत ज्यादा ध्यान देंगे, तो परेशानी हो सकती है|

जैसे की मैंने ऊपर चर्चा करी है विभिन्न लिक्विड फण्ड के रिटर्न में बहुत ज्यादा अंतर नहीं होता| कुछ फण्ड मेनेजर अपने फण्ड को बेहतर दिखाने के लिए अधिक रिस्क ले सकते हैं (जिससे की उनके फण्ड को बेहतर रिटर्न मिले)| हो सकता है वह बेकार कंपनियों के बांड में निवेश करें| ऐसी कंपनी में डिफ़ॉल्ट की संभावना भी ज्यादा हो सकती है|

लिक्विड फण्ड में आप केवल बचत खाते (savings account) से थोड़े से बेहतर रिटर्न पाने के लिए करते हैं| रिटर्न का बहुत ज्यादा पीछा न करें| नुकसान भी हो सकता है| बड़े लिक्विड फण्ड में निवेश करें|

Source: www.PersonalFinancePlan.in

Filed Under: Mutual Funds Tagged With: best liquid fund, liquid fund, डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड, बेस्ट लिक्विड फण्ड, म्यूच्यूअल फण्ड, लिक्विड फण्ड

म्यूच्यूअल फण्ड डायरेक्ट प्लान और रेगुलर प्लान के रिटर्न में कितना अंतर होता है?

by दीपेश Leave a Comment

म्यूच्यूअल फण्ड के डायरेक्ट प्लान बेहतर रिटर्न देतें हैं (रेगुलर प्लान के मुकाबले)| यह गूढ़ सत्य है|

म्यूच्यूअल फण्ड डायरेक्ट प्लान में कोई कमीशन नहीं दिया जाता, इसलिए रिटर्न बेहतर होते हैं|

रेगुलर म्यूच्यूअल फण्ड में कमीशन दिया जाता है| क्योंकि कमीशन का पैसा आपके निवेश से ही आता है, इसलिए रिटर्न कम होते हैं|

परन्तु डायरेक्ट और रेगुलर म्यूच्यूअल फण्ड के रिटर्न में कितना अंतर होता है?

डायरेक्ट प्लान को शुरू हुए अब 5 वर्ष से अधिक समय हो चुका है| अब हमारे पास काफी डाटा है, जिसके आधार पर हम रिटर्न के अंतर का अंदाजा लगा सकते हैं|

म्यूच्यूअल फण्ड रेगुलर और डायरेक्ट प्लान के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस पोस्ट को पढ़े| अगर म्यूच्यूअल फण्ड आपके लिए नया विषय है और आप म्यूच्यूअल फण्ड के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं, तो इस पोस्ट को पढ़ें|

म्यूच्यूअल फण्ड डायरेक्ट प्लान और रेगुलर प्लान के रिटर्न में कितना अंतर है? (Performance Comparison: Mutual Fund Regular vs. Direct Plan)

मैंने कुछ लोकप्रिय म्यूच्यूअल फण्ड के डायरेक्ट और रेगुलर प्लान के परफॉरमेंस की तुलना करी|

म्यूच्यूअल फण्ड डायरेक्ट और रेगुलर प्लान के रिटर्न में अंतर

म्यूच्यूअल फण्ड डायरेक्ट प्लान जनवरी 1, 2013 को शुरू हुए थे| उस दिन डायरेक्ट और रेगुलर का NAV एक समान था|

उसके बाद से डायरेक्ट प्लान का NAV तेज़ी से बढ़ा है क्योंकि म्यूच्यूअल फण्ड के डायरेक्ट प्लान बेहतर रिटर्न देते हैं|

आईये देखते हैं, इसका आपके रिटर्न पर क्या प्रभाव पड़ता है|  मैंने दो तरीके से रिटर्न के अंतर का आंकलन किया है|

  1. डायरेक्ट और रेगुलर प्लान में 1 जनवरी, 2013 को 1 लाख रुपये का निवेश
  2. 1 जनवरी, 2013 से 30 जून, 2018 तक 10,000 रुपये प्रति माह की SIP (Systematic Investment Plan) (डायरेक्ट और रेगुलर प्लान में)

म्यूच्यूअल फण्ड रेगुलर vs डायरेक्ट प्लान परफॉरमेंस

अगर आपने Aditya Birla Sunlife Equity Fund के डायरेक्ट और रेगुलर प्लान में 1 जनवरी, 2013 को 1 लाख रुपये निवेश किया होता, तो 30 जून, 2018 को उस निवेश का मूल्य

डायरेक्ट प्लान में 2.25 लाख रुपये होता| रेगुलर प्लान में 2.14 लाख रुपये होता|

डायरेक्ट प्लान में 11,283 रुपये अधिक होते| ध्यान दें डायरेक्ट और रेगुलर प्लान में पोर्टफोलियो, फण्ड मेनेजर इत्यादि सब एक समान है| अंतर केवल कमीशन और रिटर्न का है|

ध्यान दें यह अंतर केवल 1 लाख रुपये के निवेश कर है| अगर ज्यादा निवेश किया होता, तो अंतर भी ज्यादा होता| जैसे की 10 लाख रुपये के निवेश पर अंतर 1 लाख 11 हज़ार रुपये का होता|

अगर 10,000 रुपये प्रति माह की SIP चलाई होती, तो अंतर 31,132 रुपये का होता| अगर सिप की राशि ज्यादा होती,  तो अंतर भी ज्यादा होता|

इन बातों पर ध्यान दें

  1. डायरेक्ट प्लान का रिटर्न इसलिए बेहतर है क्योंकि डायरेक्ट प्लान में कोई कमीशन का भुगतान नहीं होता| Mutual Fund Direct Plan में Expense ratio कम होता है|
  2. म्यूच्यूअल फण्ड के डायरेक्ट प्लान का NAV रेगुलर प्लान के NAV से ज्यादा है| परन्तुआप यह न समझें की डायरेक्ट प्लान महंगे हैं| डायरेक्ट प्लान के NAV इसलिए ज्यादा है क्योंकि उसमें बेहतर रिटर्न मिलते हैं|
  3. डायरेक्ट प्लान और रेगुलर प्लान के NAV का अंतर समय के साथ बढ़ता ही जाएगा|
  4. आप देख सकते हैं की डायरेक्ट और रेगुलर प्लान के परफॉरमेंस में अंतर इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड (equity mutual fund) में ज्यादा है| डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड में यह अंतर कम होता है|
  5. सभी फण्ड में अंतर एक सामान नहीं होगा| कम या ज्यादा हो सकता है|
  6. ऊपर का आंकलन केवल 5.5 वर्षों के लिए है| जैसे-जैसे निवेश की अवधि बढ़ेगी, यह अंतर बढ़ता जाएगा|

लम्बी अवधि में रेगुलर और डायरेक्ट प्लान के रिटर्न में कितना अंतर पड़ेगा?

यह बात तो समय ही बताएगा|

परन्तु हम कुछ अंदाजा लगा सकते हैं|

अगर यह माने को परफॉरमेंस में अंतर इतना ही रहेगा (और रिटर्न भी ऐसे ही रहेंगे), तो हम यह देखते हैं की 20 वर्ष तक 10,000 रुपये प्रति वर्ष की SIP से कितना फर्क पड़ेगा|

यह सही तरीका तो नहीं है, परन्तु आपको कुछ आईडिया लग जाएगा|

म्यूच्यूअल फंड डायरेक्ट प्लान सिप रेगुलर प्लान सिप

आप देख सकते हैं की कुछ फण्ड में अंतर 60 लाख रुपये तक चला गया है| केवल डायरेक्ट और रेगुलर प्लेन में निवेश करने की वजह से इतना बड़ा अंतर|

आपको क्या करना चाहिए?

अगर आप स्वयं ही सही म्यूच्यूअल फण्ड का चुनाव कर सकते हैं (और करते हैं), तो आपको म्यूच्यूअल फण्ड डायरेक्ट प्लान में निवेश करने चाहिए| ऐसे निवेशकों के लिए रेगुलर प्लान में निवेश करना बेवकूफी होगा| ऐसी बहुत सी वेबसाइट हैं, जहां से आप म्यूच्यूअल फण्ड डायरेक्ट प्लान में निवेश कर सकते हैं|

अगर आप स्वयं म्यूच्यूअल फंड का चुनाव नहीं कर सकते, तब आपके पास दो विकल्प हैं:

  1. किसी अच्छे फाइनेंसियल एडवाइजर या म्यूच्यूअल फण्ड डिस्ट्रीब्यूटर से संपर्क करें| उनसे सलाह में और रेगुलर प्लान में निवेश करें| या
  2. किसी SEBI इन्वेस्टमेंट एडवाइजर (SEBI RIA) से संपर्क करें और उनसे सलाह लें| आपको उनको फीस देनी होगी, पर आप उसके बाद डायरेक्ट प्लान में निवेश कर सकते हैं|

अगर आप स्वयं फण्ड का चुनाव नहीं कर सकते, रेगुलर प्लान में निवेश नहीं करना चाहते और फीस भी नहीं देना चाहते, तो यह बड़ी समस्या है| डायरेक्ट प्लान में थोड़े से अधिक रिटर्न पाने की मंशा अच्छी है, परन्तु गलत फण्ड में निवेश से ज्यादा नुकसान हो सकता है|

आपको फैसला करना होगा की आपके लिए क्या बेहतर है|

सौजन्य: www.personalfinanceplan.in

Filed Under: Mutual Funds Tagged With: difference between direct and regular mutual fund, म्यूच्यूअल फण्ड डायरेक्ट प्लान में निवेश कैसे करें, म्यूच्यूअल फण्ड रेगुलर प्लान से डायरेक्ट प्लान में कैसे जाएँ, म्यूच्यूअल फण्ड रेगुलर वस डायरेक्ट

  • Page 1
  • Page 2
  • Page 3
  • Interim pages omitted …
  • Page 5
  • Go to Next Page »

Primary Sidebar

HindiFinance

Subscribe on Youtube




Join our Newsletter
Enter your email address and click on the Get Instant Access button.
Thank you for subscribing.
Something went wrong.
I agree to have my personal information transfered to MailChimp ( more information )
We respect your privacy

For any guest posts or advertising queries, please write to us at hindifinance@gmail.com

Popular Posts

  • अटल पेंशन योजना की पूरी जानकारी (Atal Pension Yojana in Hindi) (2022)
  • सुकन्या समृद्धि योजना की पूरी जानकारी (Sukanya Samriddhi Yojana 2019)
  • नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) के बारें में पूरी जानकारी (Complete Information about NPS in Hindi)
  • PPF खाते के बारे में पूरी जानकारी (Complete Information about PPF Account in Hindi)
  • कौन से हैं 5 सबसे अच्छे टर्म इंश्योरेंस प्लान (Best Term Life Insurance Plan)?

(c) Copyright 2025 www.HindiFinance.com | Privacy Policy