म्यूच्यूअल फण्ड के डायरेक्ट प्लान बेहतर रिटर्न देतें हैं (रेगुलर प्लान के मुकाबले)| यह गूढ़ सत्य है|
म्यूच्यूअल फण्ड डायरेक्ट प्लान में कोई कमीशन नहीं दिया जाता, इसलिए रिटर्न बेहतर होते हैं|
रेगुलर म्यूच्यूअल फण्ड में कमीशन दिया जाता है| क्योंकि कमीशन का पैसा आपके निवेश से ही आता है, इसलिए रिटर्न कम होते हैं|
परन्तु डायरेक्ट और रेगुलर म्यूच्यूअल फण्ड के रिटर्न में कितना अंतर होता है?
डायरेक्ट प्लान को शुरू हुए अब 5 वर्ष से अधिक समय हो चुका है| अब हमारे पास काफी डाटा है, जिसके आधार पर हम रिटर्न के अंतर का अंदाजा लगा सकते हैं|
म्यूच्यूअल फण्ड रेगुलर और डायरेक्ट प्लान के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस पोस्ट को पढ़े| अगर म्यूच्यूअल फण्ड आपके लिए नया विषय है और आप म्यूच्यूअल फण्ड के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं, तो इस पोस्ट को पढ़ें|
म्यूच्यूअल फण्ड डायरेक्ट प्लान और रेगुलर प्लान के रिटर्न में कितना अंतर है? (Performance Comparison: Mutual Fund Regular vs. Direct Plan)
मैंने कुछ लोकप्रिय म्यूच्यूअल फण्ड के डायरेक्ट और रेगुलर प्लान के परफॉरमेंस की तुलना करी|
म्यूच्यूअल फण्ड डायरेक्ट प्लान जनवरी 1, 2013 को शुरू हुए थे| उस दिन डायरेक्ट और रेगुलर का NAV एक समान था|
उसके बाद से डायरेक्ट प्लान का NAV तेज़ी से बढ़ा है क्योंकि म्यूच्यूअल फण्ड के डायरेक्ट प्लान बेहतर रिटर्न देते हैं|
आईये देखते हैं, इसका आपके रिटर्न पर क्या प्रभाव पड़ता है| मैंने दो तरीके से रिटर्न के अंतर का आंकलन किया है|
- डायरेक्ट और रेगुलर प्लान में 1 जनवरी, 2013 को 1 लाख रुपये का निवेश
- 1 जनवरी, 2013 से 30 जून, 2018 तक 10,000 रुपये प्रति माह की SIP (Systematic Investment Plan) (डायरेक्ट और रेगुलर प्लान में)
अगर आपने Aditya Birla Sunlife Equity Fund के डायरेक्ट और रेगुलर प्लान में 1 जनवरी, 2013 को 1 लाख रुपये निवेश किया होता, तो 30 जून, 2018 को उस निवेश का मूल्य
डायरेक्ट प्लान में 2.25 लाख रुपये होता| रेगुलर प्लान में 2.14 लाख रुपये होता|
डायरेक्ट प्लान में 11,283 रुपये अधिक होते| ध्यान दें डायरेक्ट और रेगुलर प्लान में पोर्टफोलियो, फण्ड मेनेजर इत्यादि सब एक समान है| अंतर केवल कमीशन और रिटर्न का है|
ध्यान दें यह अंतर केवल 1 लाख रुपये के निवेश कर है| अगर ज्यादा निवेश किया होता, तो अंतर भी ज्यादा होता| जैसे की 10 लाख रुपये के निवेश पर अंतर 1 लाख 11 हज़ार रुपये का होता|
अगर 10,000 रुपये प्रति माह की SIP चलाई होती, तो अंतर 31,132 रुपये का होता| अगर सिप की राशि ज्यादा होती, तो अंतर भी ज्यादा होता|
इन बातों पर ध्यान दें
- डायरेक्ट प्लान का रिटर्न इसलिए बेहतर है क्योंकि डायरेक्ट प्लान में कोई कमीशन का भुगतान नहीं होता| Mutual Fund Direct Plan में Expense ratio कम होता है|
- म्यूच्यूअल फण्ड के डायरेक्ट प्लान का NAV रेगुलर प्लान के NAV से ज्यादा है| परन्तुआप यह न समझें की डायरेक्ट प्लान महंगे हैं| डायरेक्ट प्लान के NAV इसलिए ज्यादा है क्योंकि उसमें बेहतर रिटर्न मिलते हैं|
- डायरेक्ट प्लान और रेगुलर प्लान के NAV का अंतर समय के साथ बढ़ता ही जाएगा|
- आप देख सकते हैं की डायरेक्ट और रेगुलर प्लान के परफॉरमेंस में अंतर इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड (equity mutual fund) में ज्यादा है| डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड में यह अंतर कम होता है|
- सभी फण्ड में अंतर एक सामान नहीं होगा| कम या ज्यादा हो सकता है|
- ऊपर का आंकलन केवल 5.5 वर्षों के लिए है| जैसे-जैसे निवेश की अवधि बढ़ेगी, यह अंतर बढ़ता जाएगा|
लम्बी अवधि में रेगुलर और डायरेक्ट प्लान के रिटर्न में कितना अंतर पड़ेगा?
यह बात तो समय ही बताएगा|
परन्तु हम कुछ अंदाजा लगा सकते हैं|
अगर यह माने को परफॉरमेंस में अंतर इतना ही रहेगा (और रिटर्न भी ऐसे ही रहेंगे), तो हम यह देखते हैं की 20 वर्ष तक 10,000 रुपये प्रति वर्ष की SIP से कितना फर्क पड़ेगा|
यह सही तरीका तो नहीं है, परन्तु आपको कुछ आईडिया लग जाएगा|
आप देख सकते हैं की कुछ फण्ड में अंतर 60 लाख रुपये तक चला गया है| केवल डायरेक्ट और रेगुलर प्लेन में निवेश करने की वजह से इतना बड़ा अंतर|
आपको क्या करना चाहिए?
अगर आप स्वयं ही सही म्यूच्यूअल फण्ड का चुनाव कर सकते हैं (और करते हैं), तो आपको म्यूच्यूअल फण्ड डायरेक्ट प्लान में निवेश करने चाहिए| ऐसे निवेशकों के लिए रेगुलर प्लान में निवेश करना बेवकूफी होगा| ऐसी बहुत सी वेबसाइट हैं, जहां से आप म्यूच्यूअल फण्ड डायरेक्ट प्लान में निवेश कर सकते हैं|
अगर आप स्वयं म्यूच्यूअल फंड का चुनाव नहीं कर सकते, तब आपके पास दो विकल्प हैं:
- किसी अच्छे फाइनेंसियल एडवाइजर या म्यूच्यूअल फण्ड डिस्ट्रीब्यूटर से संपर्क करें| उनसे सलाह में और रेगुलर प्लान में निवेश करें| या
- किसी SEBI इन्वेस्टमेंट एडवाइजर (SEBI RIA) से संपर्क करें और उनसे सलाह लें| आपको उनको फीस देनी होगी, पर आप उसके बाद डायरेक्ट प्लान में निवेश कर सकते हैं|
अगर आप स्वयं फण्ड का चुनाव नहीं कर सकते, रेगुलर प्लान में निवेश नहीं करना चाहते और फीस भी नहीं देना चाहते, तो यह बड़ी समस्या है| डायरेक्ट प्लान में थोड़े से अधिक रिटर्न पाने की मंशा अच्छी है, परन्तु गलत फण्ड में निवेश से ज्यादा नुकसान हो सकता है|
आपको फैसला करना होगा की आपके लिए क्या बेहतर है|
सौजन्य: www.personalfinanceplan.in
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