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इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) भरने का लिए कौनसे फॉर्म का इस्तेमाल करें?

by दीपेश

इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख नज़दीक आती जा रही है| अगर आपने अभी तक अपना इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरा है, तो जल्दी भरिये| पर इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म कई प्रकार के होते हैं, क्या आप जानते हैं की आपको किस फॉर्म का इस्तेमाल करना है|

आज चर्चा करेंगे की अपने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की लिए आपको कौनसे इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म (ITR) का इस्तेमाल करना चाहिए|

इनकम टैक्स कैसे कैलकुलेट करें?

इनकम टैक्स कैलकुलेट करने के लिए बहुत से कैलकुलेटर ऑनलाइन उपलब्ध हैं| बहुत सी वेबसाइट यह सुविधा फ्री में उपलब्ध कराती हैं| आप किसी भी वेबसाइट पर जा कर अपना टैक्स भी कैलकुलेट कर सकते हैं|

अगर आप विस्तार से जानना चाहते हैं की इनकम टैक्स कैसे कैलकुलेट होता है, तो इस पोस्ट को अवश्य पढ़ें|


इनकम टैक्स रिटर्न क्या है?

इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return or ITR) के माध्यम से आप भारत सरकार को अपनी पिछले वित्तीय वर्ष की आय के बारे में बताते है|

अगर आपको किसी बकाया टैक्स या पेनल्टी का भुगतान करना है, तो वह भी रिटर्न भरते समय कर सकते हैं|

साथ ही, अगर आपका अतिरिक्त टैक्स कट गया है, तो उस अतिरिक्त टैक्स राशि का refund पाने के लिए रिटर्न भी भरना ज़रूरी है|


इनकम टैक्स भरना किसके लिए अनिवार्य है?

अगर आपकी वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये (पिछले वित्तीय वर्ष में) से ज्यादा है, तो आपके लिए इनकम टैक्स भरना अनिवार्य है|

अगर 60 या 60 से अधिक आयु है, तो यह सीमा 3 लाख रुपये है|

अगर 80 या 80 से अधिक आयु है, तो यह सीमा 5 लाख रुपये हो जाती है|


इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारिख क्या है?

इनकम टैक्स रिटर्न भरने या जमा करने की आखरी तारिख 31 जुलाई है| इसका मलतब इस बर्ष आपको 31 जुलाई 2018 तक अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करन होगा|


समय पर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल न करने से क्या होगा?

अगर आपने 31 जुलाई तक रिटर्न फाइल नहीं किया, तब आपको जुर्माना देना होगा|

अगर  31 जुलाई तक नहीं करते और 31 दिसम्बर, 2018 तक कर देते हैं, तो 5,000 रुपये जुर्माना होगा|

अगर 31 दिसम्बर, 2018 तक भी नहीं करते और अगले वर्ष के 31 मार्च, 2019 तक कर देते हैं, तो 10,000 रुपये का जुर्माना लगेगा|

बस थोड़ी सी रियायत है| अगर आपकी वार्षिक आय 5 लाख रुपये से कम है, तो अधिकतम जुर्माना 1,000 रुपये होगा|

आप 31 मार्च के बाद अपने रिटर्न फाइल नहीं कर पायेंगे| यहाँ तो और भी बड़ी समस्या हो जायेगी|

इस विषय के बारे में आप विस्तार से इस पोस्ट में पढ़ सकते हैं|


इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए कौनसे इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म का इस्तेमाल करें?

बहुत सारे फॉर्म है| इसलिए सही फॉर्म का चुनाव करने में थोड़ी परेशानी तो हो ही सकती है|

गलत फॉर्म का इस्तेमाल करने पर आपको परेशानी हो सकती है और हो सकता है की आप अपनी इनकम को सही तरीके से रिपोर्ट भी न कर पाएं|


ITR 1 या सहज फॉर्म

यह एक पेज का फॉर्म है| इसको भरना भी सबसे आसान है|

ITR1 आप तब भर सकते हैं जब आपकी आय का स्त्रोत निम्न में से हो:

  1. सैलरी या पेंशन
  2. Income from other sources
  3. केवल 1 प्रॉपर्टी (मकान) से किराया आता हो (अगर पिछले वर्ष से कोई loss carry forward कर रहे हैं, तो ITR1 नहीं भर सकते|

कौन ITR1 नहीं भर सकता?

  1. आपकी कुल आय 50 लाख रुपये से ज्यादा है
  2. आपकी कोई भी बिज़नस से आय (business income) या capital gain है|
  3. अगर खेती से आमदनी (Agricultural Income) 5,000 रुपये से अधिक है
  4. अगर आपके पास विदेश में संपत्ति है (foreign assets)
  5. अगर आपके पास एक से अधिक मकानों से आमदनी है|
  6. आपने लाटरी या horse racing में कोई राशि जीती हो|

ITR 2

कौन ITR2 भर सकता है?

ITR2 आप तब भर सकते हैं जब आपकी आय का स्त्रोत निम्न में से हो:

  1. सैलरी या पेंशन
  2. Income from other sources, लौटरी, horse racing में कोई राशि जीती हो|
  3. एक से ज्यादा प्रॉपर्टी से किराया
  4. Capital gains
  5. खेती से आमदनी (agricultural income) 5,000 रुपये से ज्यादा हो
  6. विदेश में कोई आय (foreign income) या विदेश में कोई संपत्ति (foreign assets)

कौन ITR2 नहीं भर सकता है?

अगर आप बिज़नस से कोई आय है, तो आप ITR 2 का इस्तेमाल नहीं कर सकते|


ITR 3

ITR3 आप तब भर सकते हैं जब आपकी आय का स्त्रोत निम्न में से हो:

  1. आपकी बिज़नस (business या profession) से आय हो|
  2. सैलरी या पेंशन
  3. प्रॉपर्टी से किराया
  4. Income from other sources, लाटरी, horse racing से आय

ITR 4 या 

यह फॉर्म उन लोगों के लिए है जिनकी बिज़नस या profession से आय है और जो presumptive income स्कीम (धारा 44AD, 44ADA और 44AE) के तहत अपने रिटर्न दाखिल करना चाहते हैं|


अब आपको यह देखना होगा की आपकी आय के स्त्रोत क्या हैं और उसी के अनुसार आप अपने लिए सही इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म का चुनांव कर सकते हैं|

आप सभी तरह के इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म और नियमों के बारे अधिक जानकारी इस लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं|


इनकम टैक्स रिटर्न कैसे भरें?

ऐसा करने के कई विकल्प हैं|

  1. आप किसी CA या टैक्स एडवाइजर की सहायता से रिटर्न भर सकते हैं|
  2. आप स्वयं इनकम टैक्स की वेबसाइट पर लॉग इन करके रिटर्न भर सकते हैं|
  3. बहुत सारी वेबसाइट ऐसी हैं जहाँ आप अपना रिटर्न फाइल कर सकते हैं| इन वेबसाइट पर कुछ सेवाएं मुफ्त है, कुछ सेवायों के लिए आपको शुल्क देना पड़ सकता है| कुछ वेबसाइट आपको सही रिटर्न फॉर्म के चुनाव में भी मदद करती हैं|

ध्यान दें मैं इनकम टैक्स एक्सपर्ट नहीं हूँ| कुछ भी फैसला करने से पहले आप किसी Chartered Accountant (CA) या किसी टैक्स कंसलटेंट से बात करें|

Filed Under: Tax Planning Tagged With: इनकम टैक्स रिटर्न, इनकम टैक्स रिटर्न क्या है, इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म

इनकम टैक्स कैसे कैलकुलेट करें? (How to calculate Income Tax?) (Hindi)

Last updated: जुलाई 2, 2018 | by दीपेश 2 Comments

क्या आप जानते कई की इनकम टैक्स की गणना कैसे होती है? क्या आप स्वयं अपनी टैक्स लायबिलिटी (income tax liability) निकाल सकते हैं?

वैसे तो बहुत सारे ऑनलाइन कैलकुलेटर उपलब्ध हैं, आपको पता होना चाहिए की आपका इनकम टैक्स कैसे कैलकुलेट होता है| यह केवल आपकी जानकारी के लिए नहीं है| अगर आप टैक्स की गणना को बेहतर समझेंगे, तो आपको टैक्स बचत या टैक्स प्लानिंग करने में भी आसानी होगी|

आपकी कुल आय केवल आपकी सैलरी नहीं है

आपकी आय या आमदनी को पांच हिस्सों में बात जा सकता है|

  1. Income from Salary (वेतन से आय)
  2. Income from House property (हाउस प्रॉपर्टी से आय) (जैसे घर को किराए पर चढ़ाया)
  3. Profit or gain from Business or Profession (किसी बिज़नस से होने वाली आय)
  4. Capital gains (पूँजी लाभ) (सोना, प्रॉपर्टी, शेयर, म्यूच्यूअल फण्ड इत्यादि बेचने पर होने वाला लाभ)
  5. Income from other sources (अन्य स्रोतों से होने वाली आय) जैसे की आपके बचत खाते, फिक्स्ड डिपाजिट इत्यादि पर होने वाला खर्च

इन पाँचों तरह की आय को मिला कर आपकी कुल आय निकाली जाती है|

आप देख सकते हैं की आप कुल आय केवल वेतन नहीं है| वेतन (सैलरी) के अलावा भी आपकी आय हो सकती है और उस पर आपको टैक्स देना पड़ सकता है| और अलग-अलग तरह की आय पर आपको अलग तरीके (या रेट) से टैक्स देना पड़ सकता है|

इनकम टैक्स कैलकुलेट करने के लिए इन बातों का भी रखें ख्याल

  1. आपको पूरी आय पर टैक्स नहीं देना होता|
  2. हो सकता है की आपकी आय या सैलरी के कुछ हिस्से पर कोई टैक्स न देना हो| जैसे की HRA और लता का कुछ हिस्सा| या फिर टैक्स-फ्री बबांड या PPF या EPF का ब्याज|
  3. इसके बाद आप निवेश या खर्चे करके अपना टैक्स भार कम कर सकते हैं|
  4. इसके बाद जो आय बचती है, उस पर आपको अपने टैक्स ब्रैकेट के अनुसार टैक्स देना होता है|
  5. इसके अलावा कुछ तरह की आय (जैसे की capital gains) पर आपको अलग रेट पर टैक्स देना होता है|

Taxable Income = Gross Income – Exempt Income – Tax Deductions

कर योग्य आय = कुल आय – कर मुक्त आय  – कर लाभ (टैक्स डिडक्शन)

कर मुक्त आय (Exempt Income) क्या है?

मैं कुछ उदहारण की सहायता से समझाता हूँ|

  1. आपके HRA (House Rent Allowance या मकान किराया भत्ता) का कुछ हिस्सा कर मुक्त होता है| कितनी हिस्सा कर मुक्त होता है, उसकी जानकारी आप इस पोस्ट में पा सकते हैं|
  2. इसके अलावा Leave Travel Allowance (LTA) का कुछ हिस्सा भी कर मुक्त हो सकता है|
  3. FY2018 तक आपको Conveyance Allowance (19,200 रुपये टैक्स) और मेडिकल Reimbursement (15,000 रुपये तक) भी कर मुक्त है| FY2019 से इन दोनों को हटा दिया गया है और इनकी जगह Standard Deduction (40,000 रुपये) को लाया गया है|
  4. ध्यान इन सभी Allowance का फायदा आपको तभी मिल सकता है की जब यह आपके वेतन के हिस्सा हैं|
  5. पीपीएफ/ईपीएफ खाते पर मिलने वाला ब्याज
  6. टैक्स-फ्री बांड से मिलने वाला ब्याज इत्यादि
  7. 10,000 रुपये तक बचत खाते का ब्याज
  8. वरिष्ठ नागरिकों के लिए बचत खाते, recurring डिपाजिट या फिक्स्ड डिपाजिट पर मिलने वाला ब्याज (50,000 रुपये टैक्स)| यह नियम FY2019 से लागो होगा|

इनके अलावा भी कई तरह की आय हो सकती है, जिन पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होता|

ऐसी आय पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होता और आपकी कर योग्य आय कम हो जाती है|

आप कुछ निवेश या खर्चे करके अपना टैक्स भार कम कर सकते हैं (Tax Deduction)

कुछ उदहारण देता हूँ|

  1. सेक्शन 80C के तहत निवेश (PPF, EPF, ELSS, NSC, जीवन बीमा प्रीमियम भुगतान, होम लोन principal रीपेमेंट इत्यादि) करने पर 1.5 लाख रुपये तक| अधिक जानकारी के लिए यह पोस्ट पढ़ें|
  2. सेक्शन 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के भुगतान पर 25,000 रुपये तक टैक्स बेनिफिट (FY2019 से 50,000 रुपये तक| अधिक जानकारी के लिए यह पोस्ट पढ़ें|
  3. सेक्शन 80E का तहत शिक्षा लोन के ब्याज के भुगतान पर| अधिक जानकारी के लिए इस पोस्ट को पढ़ें|
  4. सेक्शन 24 के तहत होम लोन के ब्याज के भुगतान पर टैक्स बेनिफिट| अधिक जानकारी के लिए इस पोस्ट को पढ़ें|
  5. एनपीएस में निवेश के लिए Section 80CCD(1B) के तहत 50,000 रुपये का अतिरिक्त टैक्स बेनिफिट| अधिक जानकारी के लिए इस पोस्ट को पढ़ें|
  6. कुछ विशिष्ट दान करने के लिए धारा 80G के तहत टैक्स बेनिफिट
  7. कुछ अन्य तरीकों को जानने लिए यह पोस्ट पढ़ें|

यह सब करने का बाद आपको अपनी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स कैलकुलेट करना होगा

आप लेटेस्ट टैक्स सलब जानने के लिए यह पोस्ट पढ़ सकते हैं|

income tax slab FY2018 2019

साथ की अगर आपकी कर योग्य आय 3.5 लाख रुपये से कम है, तो आपको 2,500 रुपये की टैक्स रिबेट (tax rebate) भी मिलेगी|

ध्यान हर तरह की आय पर आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स नहीं देना होता| जैसे की capital gains (पूँजी लाभ) पर अलग दर से टैक्स लगता है| जैसे इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड बेचने पर होने वाले लाभ पर FY2019 से आपको ऐसे टैक्स देना होगा|

long term capital gain लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड शेयर dividend डिविडेंड पर टैक्स बजट 2018

Illustration (उदहारण)

मान लिए आपकी आय 20 लाख रुपये है|

आपको 1.5 लाख रुपये का HRA मिलता है, जिसमें से 1 लाख रुपये कर मुक्त है| आपको कोई और allowance नहीं मिलता है|

आपने पीपीएफ खाते में 1 लाख रुपये का निवेश किया| ELSS में 50,000 रुपये का निवेश किया| साथ ही 50,000 रुपये आपने एनपीएस में निवेश किया|

20,000 रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान किया|

आपकी कितना टैक्स देना होगा?

इनकम टैक्स कैसे निकालें इनकम टैक्स रिटर्न 1

इनकम टैक्स कैसे निकालें इनकम टैक्स रिटर्न कैसे भरें 2

तो आपको कुल मिला कर 2,63,640 रुपये का टैक्स देना होगा|

अब मान लिए आपने कुछ शेयर बेचे और आपको 50,000 रुपये का मुनाफा (Short Term Capital Gain) हुआ| इस पर आपको 15% टैक्स देना होगा और टैक्स के ऊपर 4% Cess (FY2019) से| इससे आपकी टैक्स liability 7,800 रुपये से बढ़ जायेगी|

ध्यान दें आपका कुछ TDS भी आपका एम्प्लायर काटता होगा| अगर अतिरक्त टैक्स टीडीएस (TDS) के रूप में काट लिया गया है, तो आप इनकम टैक्स रिटर्न भर कर अतिरिक्त टैक्स को वापिस ले सकते हैं| अगर TDS कम कटा है, तो आपको अतिरिक्त टैक्स जमा करना होगा|

उपयोगी लिंक

इनकम टैक्स स्लैब 2017-2018

इनकम टैक्स स्लैब 2018-2019

 

ऑनलाइन इनकम टैक्स कैलकुलेटर

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डाकघर मासिक आय योजना (पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम) की पूरी जानकारी

by दीपेश 2 Comments

डाकघर मासिक आय योजना (POMIS) एक निवेश योजना है|

आप पोस्ट ऑफिस (डाक घर) में यह खाता खोल कर हर महीने ब्याज पा सकते हैं| आप इसे एक फिक्स्ड डिपाजिट की तरह समझ सकते हैं, जिसमें आपको हर महीने ब्याज मिलता है|

5 वर्ष के बाद आपका पैसा लौटा दिया जाता है|

आईये जानते हैं डाकघर मासिक आय योजना (Post Office Monthly Income Scheme) के बारे में विस्तार से|

डाकघर मासिक आय योजना (पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम) अकाउंट कौन खोल खोल सकता है?

कोई भी व्यक्ति POMIS खाता खोल सकता है|

आप POMIS खाते को एकल (individual) या संयुक्त (joint mode) में खोल सकते हैं|

Joint अकाउंट में 2 या 3 धारक हो सकते हैं|

डाकघर मासिक आय योजना (POMIS) कहाँ खोल सकते हैं?

आप डाकघर में जा कर पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम का अकाउंट खोल सकते हैं|

आप कितने POMIS खाते खोल सकते हैं?

आप कितने भी POMIS खाते खोल सकते हैं|

ध्यान दें POMIS खाता एक फिक्स्ड डिपाजिट की तरह है, न की सेविंग्स अकाउंट की तरह|

बस आपको यह सुनिश्चित करना होगा की आप सभी खातों में कुल मिला कर अधिकतम निवेश राशि (4.5 लाख रुपये) से अधिक निवेश न करें|

डाकघर मासिक आय योजना (POMIS) अकाउंट में अधिकतम और न्यूनतम निवेश क्या है?

आप POMIS खाता 1,500 रुपये के निवेश से खोल सकते हैं|

अधिकतम निवेश (प्रति व्यक्ति) 4.5 लाख रूपये है|

ध्यान दें अगर आप संयुक्त खाता (joint POMIS account) खोलते हैं, तो राशि सभी धारकों में एक बराबर बटी हुई मानी जायेगी|

मान लिए, आप अपने पति/पत्नी के साथ एक joint अकाउंट खोलते हैं|

ऐसी स्तिथि में आप कुल मिलाकर 9 लाख रुपये तक जमा कर सकते हैं|

ऐसा इसलिए की यह पैसा आप दोनों में बराबर बटा हुआ माना जाएगा|

4.5 लाख रुपये आपका और 4.5 लाख रुपये आपकी पति/पत्नी का| क्योंकि अधिकतम निवेश की सीमा प्रति व्यक्ति है, आप दोनों में से किसी ने भी सीमा से अधिक निवेश नहीं किया|

एक और उदहारण से समझते हैं|

#1 आप अपने नाम पर एक एकल खाता खोला 1 लाख रुपये का|

4.5 लाख रुपये में से 1 लाख रुपये कम हो गए|

#2 उसके बाद आप अपनी पत्नी का साथ एक joint अकाउंट खोलते हैं 7 लाख रुपये का|

यह 7 लाख रुपये आप दोनों में बराबर बबटे हुए माने जायेंगे| 3.5 लाख आपके और 3.5 लाख रुपये आपकी पत्नी के|

इसके साथ ही आपकी सीमा पूरी हो गयी (1 लाख + 3.5 लाख)| अब आप POMIS में कुछ और निवेश नहीं कर सकते (जब तक आपका कोई खाता मेच्योर नहीं हो जाता)

#3 आपकी पत्नी अभी भी चाहे तो 1 लाख रुपये तक POMIS खाते में निवेश कर सकती हैं|

अगर अधिकतम सीमा से अधिक निवेश करेंगे तो क्या होगा?

मेरे अनुसार इस बात में स्पष्टता नहीं है| एक बात पक्की है, की आपको योजना का ब्याज नहीं मिलेगा|

या तो आपको सेविंग्स बैंक अकाउंट का ब्याज मिलेगा (4%) या कुछ भी ब्याज नहीं मिलेगा|

डाकघर मासिक आय योजना (POMIS) खाते की अवधि कितनी होती है?

योजना का अवधि 5 वर्ष होती है|

5 वर्ष तक आपको हर महीने कुछ ब्याज मिलेगा| उसके बाद आपको आपकी मूल राशि वापिस दे दी जायेगी|

क्या डाकघर मासिक आय योजना (POMIS) को बीच में बंद कर सकते हैं?

जी हाँ, ज़रुरत पड़ने पर POMIS खाता 5 वर्ष से पहले बंद किया जा सकता है|

परन्तु समयपूर्व खाता बंद करने के लिए आपको कुछ पेनल्टी देनी होगी|

पहले एक साल अप खाते को बंद नहीं कर सकते|

दूसरे और तीसरे वर्ष में खाता बंद करने पर मूल राशि के 2% की पेनल्टी लगेगी|

तीसरे वर्ष के बाद समयपूर्व खाता बंद करने पर मूल राशि के 1% की पेनल्टी लगेगी|

क्या में अपने POMIS खाते को एक पोस्ट ऑफिस से दूसरे में ट्रान्सफर कर सकता हूँ?

जी हाँ, कर सकते हैं|

डाकघर मासिक आय योजना (POMIS)  में कितना ब्याज मिलता है?

बब्याज का दर हर तिमाही बदल सकती है| भारत सरकार का वित्त मंत्रालय द्वारा हर तिमाही (every quarter) ब्याज दर की घोषणा करी जाती है|

अभी (जून 27, 2018) की ब्याज दर 7.3% p.a. है|

लेटेस्ट इंटरेस्ट रेट (ब्याज दर) जानने के लिए इस लिंक पर जाएँ|

ध्यान दें एक बार आपने अपने POMIS खाता खोल लिया, तो उस खाते पर ब्याज दर में बदलाव का आपके ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ेगा| आपकी ब्याज दर उतनी ही रहेगी|

जो नए खाते खुलेंगे, वह नयी ब्याज दर पर खुलेंगे|

जैसा की योजना के नाम से प्रतीत होता है, आपको ब्याज हर महीने मिलता है|

अगर आप 1 लाख रुपये से पोस्ट ऑफिस मासिक आय योजना खाता खोलते हैं, तो आपको हर महीने 1 लाख ररुपये X 7.3%/12 = 608 रुपये का ब्याज मिलेगा| पांच वर्ष पूरे होने पर आपको 1 लाख रुपये लौटा दिए जायेंगे| ध्यान दें आपकी मासिक आय ब्याज दर पर निर्भर करती है| अगर ब्याज दर ज्यादा होगी, तो आपकी आय भी ज्यादा होगी|

अब देखें तो, पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम कैलकुलेटर की कोई आवश्यकता नहीं है,लेकिन यदि आप जानना चाहते हैं की आपको एक नियमित आय पाने के लिए कितना निवेश करना पड़ेगा तो आप ऐसे कैलकुलेट करते हैं|

मान लिए आपको प्रति माह 1,000 रुपये की आय चाहिए| इसके लिए आपको कितना निवेश करना होगा|

1,000 ÷ (ब्याज दर ÷ 12)

अगर ब्याज दर 7.3% p.a. है, तो आपको करना पड़ेगा,

1,000 ÷ (7.3% ÷ 12) =  1.64 लाख रुपये

ध्यान रखें आप 4.5 लाख रुपये से ज्यादा निवेश नहीं कर सकते|

डाकघर मासिक आय योजना (POMIS) अकाउंट में निवेश करने पर कोई टैक्स बेनिफिट मिलता है?

जी नहीं, पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम में निवेश करने पर कोई टैक्स बेनिफिट नहीं मिलता|

साथ ही, मिलने वाले ब्याज पर आपको अपने टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा|

POMIS में TDS (Tax Deduction at Source) नहीं लगता|

अधिक जानकारी के लिए इंडिया पोस्ट की वेबसाइट पर जाएँ|

नियमित आय के लिए पोस्ट ऑफिस की कुछ अन्य स्कीम

वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (Senior Citizens Savings Scheme,SCSS)

प्रधानमन्त्री वय वंदना योजना (PMVVY, Pradhan Mantri Vaya Vandana Yojana)

वरिष्ठ नागरिकों के लिए SCSS और PMVVY बेहतर विकल्प हैं (POMIS की तुलना में)|

कैसे पा सकते हैं PPF खाते से पेंशन?

Filed Under: Financial Planning, PPF Tagged With: Post Office Monthly Income Scheme (POMIS), डाकघर मासिक आय योजना, पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम, पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम 2018

नियमित आय के लिए इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड के dividend पर भरोसा न करें?

Last updated: जून 26, 2018 | by दीपेश Leave a Comment

पिछले कुछ समय में काफी निवेशकों में नियमित आय (regular) के लिए इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड के डिविडेंड विकल्प (Dividend option of Equity Mutual Fund Scheme) में निवेश करना शुरू किया है|

हर म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम में निवेश के दो विकल्प होते हैं: Growth और Dividend

Dividend विकल्प के तहत आपको समय-समय पर dividend मिलता है| Growth विकल्प में कोई dividend नहीं मिलता| इन विकल्पों के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप इस पोस्ट को पढ़ सकते हैं|

मेरे अनुसार नियमित आय के लिए इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड के dividend option में निवेश करना एक बुरा विकल्प है| आपको इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड के dividend विकल्प में निवेश नहीं करना चाहिए|

इस पोस्ट में मैं कारणों पर चर्चा करूंगा|

#1 Dividend मिलने की कोई गारंटी नहीं होती

नियमों के अनुसार dividend केवल मुनाफे में ही दिया जा सकता है| तो अगर शेयर बाज़ार गिर रहा है, तो हो सकता है की फण्ड मेनेजर के पास dividend देने के लिए मुनाफा ही ना हों| इसलिए आप dividend पर भरोसा नहीं कर सकते|

#2 Dividend देना फण्ड मेनेजर की मर्ज़ी है, आपका अधिकार नहीं

वैसे तो फण्ड मेनेजर dividend देने की कोशिश करेंगे, पर अगर आपको dividend नहीं मिलता, तो आप कुछ कर नहीं सकते|

मेरा मतलब है की अगर किसी वजह से फण्ड dividend की घोषणा नहीं करता, तो आप कुछ नहीं कर सकते| यह भी हो सकता है की आपकी उम्मीद से कम dividend की घोषणा हो|

हाँ, चाहें तो, आप अपने निवेश को बेच सकते हैं|

#3 Dividend आपके पैसे से ही आता है

कुछ लोगों में धारणा है की dividend मुफ्त की कमाई है| ऐसा बिलकुल नहीं है|

जितना डिविडेंड मिलता है, उतनी ही मात्र से आपके निवेश का मूल्य कम हो जाता है||

सच में देखें तो, टैक्स की वजह से मूल्य ज्यादा कम हो जाता है|

मान लिए आपके फण्ड का NAV 50 रुपये चल रहा है और फण्ड 2 रुपये के dividend की घोषणा करता है, तो डिविडेंड मिलते ही आपके फण्ड का NAV 50 रुपये से घट कर 48 रुपये हो जाएगा|

#4 Dividend पर टैक्स भी देना पड़ता है

म्यूच्यूअल फण्ड के dividend पर टैक्स के बारे में जानने से पहले एक बात का ध्यान रखें|

Dividend पर आप टैक्स नहीं देते, परन्तु म्यूच्यूअल फण्ड आपकी तरफ से टैक्स भरता है| परन्तु  टैक्स आता आपके पैसे से ही है|

समझ लिए, म्यूच्यूअल फण्ड टैक्स काट कर आपको पैसे देता है| ऐसे टैक्स को Dividend Distribution Tax (DDT) कहते हैं| उसके बाद मिले हुए dividend पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होता|

आईये देखते हैं की यह कैसे काम करता है|

म्यूच्यूअल फण्ड दो प्रकार के होते हैं| इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड (equity mutual fund) और डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड (debt mutual fund)

इस पोस्ट में मैं प्रमुख तौर पर इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड के बारे में ही बात कर रहा हूँ|

इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड (Equity Mutual Fund)

वित्तीय वर्ष 2018 (मार्च 31 2018) तक मिलने वाले dividend पर कोई टैक्स नहीं लगेगा| परन्तु FY 2019 (1 अप्रैल 2018) से मिलने वाले dividend पर आपको 10% टैक्स देना होगा| इसके ऊपर सरचार्ज (12%) or Cess (4%) भी लेगा| तो कुल मिला कर आपका टैक्स हुआ 11.65%.

सच में देखें तो आपका टैक्स और भी ज्यादा हुआ|

फण्ड के आपके दिए गए dividend पर 10% टैक्स देना है|

आपको 100 रुपये का dividend देने के लिए फण्ड को 100/(1-10%) = 111.11 रुपये बांटने होंगे|

साथ ही जो 11.11 रुपये  का Dividend Distribution Tax देना है, उस पर 12% का सरचार्ज और 4% सेस लगेगा| कुल मिला कर आपका टैक्स हुआ, 12.94 रुपये|

तो समझ लिए की अगर आपके हाथ में 100 रुपये का dividend आया, तो आपके फण्ड का NAV 112.94 रुपये से कम हो जाएगा| 12.94 रुपये गए टैक्स में|

अगर आपने Dividend option की जगह Growth option में निवेश किया होता तो:

वित्तीय वर्ष 2019 से इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड बेचने पर होने वाले long term capital gain पर भी 10% टैक्स देना है|

परन्तु यहाँ पर आपको सरचार्ज नहीं देना होता|

तो कुल मिलकर आपको टैक्स देना होता है 10.4%| Dividend पर आपको 11.65% टैक्स देना पड़ रहा है|

Growth option में दो और फायदे हैं:

  1. आपको हर वित्तीय वर्ष 1 लाख रुपये तक के long term capital gain पर कोई टैक्स नहीं देना होता|
  2. साथ ही अगर आपकी कुल इनकम (LTCG हटाने के बाद) 2.5 लाख (या 3 लाख रुपये) से कम है, तो ऐसी कमी को भी आप LTCG की मात्रा में से कम कर सकते हैं|
  3. मान लिए आप 40 वर्ष के हैं और आपकी कुल आय 1 लाख रुपये है| आपको इक्विटी फण्ड बेचने पर कुल मिला कर 5 लाख रुपये का LTCG हुआ| अब क्यूंकि आप आय 2.5 लाख से 1.5 लाख रुपये कम है, तो आपको कुल मिला कर 5 लाख – 1.5 लाख – 1 लाख = 2.5 रुपये के मुनाफे पर ही 10% टैक्स देना होगा|
  4. Dividend पर तो म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी ही टैक्स काट लेती है| इसलिए वहां पर कोई रियायत नहीं है|

मेरे अनुसार dividend के लिए इंतज़ार करने से बेहतर विल्कल्प है की आप म्यूच्यूअल फण्ड के Growth option में निवेश करें| जब आपको पैसे की ज़रुरत है, तब आप अपने निवेश को बेच कर पैसे निकाल सकते हैं|

उससे भी ज़रूरी बात, अगर आपको नियमित आय चाहिए, तो इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड के बजाय डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करें| इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड में केवल वही पैसा निवेश होना चाहिए, जो की आप लम्बी अवधि तक नहीं निकालेंगे|

मैंने Dividend वाले म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश किया है? अब मैं क्या करूं?

यह निर्णय बहुत सी बातों पर निर्भर करता है|

आपका फाइनेंसियल एडवाइजर आपके पोर्टफोलियो के देख कर आपको सही राय दे सकता है|

पर हाँ, अब इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड के dividend विकल्प में निवेश करना कोई अच्छा आईडिया नहीं है| आगे से तो निवेश न ही करें|

जो आप निवेश कर चुके हैं, उस निवेश को आप एक वर्ष पूरा होने के बाद (जब आपका exit load वाला पीरियड पूरा हो जाए), आप उस निवेश को Dividend से Growth में शिफ्ट कर सकते हैं|

ध्यान दें मैं यह नहीं कह रहा हूँ की नियमित आय की लिए इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड के Growth आप्शन में निवेश करें| वह भी गलत होगा| मैं बस यह कह रहा हूँ की Growth आप्शन Dividend विकल्प से बेहतर हैं|

डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड (Debt Mutual Fund) की dividend स्कीम के बारे में मेरी राय

Dividend पर 25% टैक्स (DDT) लगता है| इसके ऊपर सरचार्ज (12%) or Cess (4%) भी लेगा| तो कुल मिला कर आपका टैक्स हुआ 29.12%|

अगर इक्विटी फण्ड के तरह ही गणना करें,  आपके हाथ में 100 रुपये का dividend आया, तो आपके फण्ड का NAV कम हो जाएगा 138.82 रुपये से|

3 वर्ष से पहले डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड बेचने पर आपको मुनाफे पर अपने टैक्स ब्रैकेट के अनुसार टैक्स देना होता है|

3 वर्ष के बाद बेचें पर मुनाफे पर 20% टैक्स होता है| पर यहाँ आपको indexation का बेनिफिट मिलता है|

आपको नियमित आय की ज़रुरत है और आप 10% या 20% टैक्स ब्रैकेट में आते हैं, तो आपको dividend विकल्प में निवेश करने की ज़रुरत नहीं है|

अगर आप 30% टैक्स ब्रैकेट में आते हैं और आपको नियमित आय की ज़रुरत है, तो आप dividend विकल्प के बारे में सोच सकते हैं|

यहाँ भी आपका फाइनेंसियल एडवाइजर आपके पोर्टफोलियो के देख कर आपको सही राय दे पायेगा|

long term capital gain लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड शेयर dividend डिविडेंड पर टैक्स बजट 2018

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अपने म्यूच्यूअल फण्ड निवेश की सहायता से भी लोन ले सकते हैं (Loan against Mutual Funds)

by दीपेश Leave a Comment

अगर आपको अर्जेंट लोन चाहिए, तो आपके कुछ सीमित विकल्प ही होते हैं|

आप पर्सनल लोन ले सकते हैं| गोल्ड लोन ले सकते हैं| इंश्योरेंस पालिसी से लोन ले सकते हैं या पीपीएफ खाते से भी लोन ले सकते हैं|

यह लोन जल्दी मिल तो जाते हैं परन्तु कुछ परेशानी रहती है|

पर्सनल लोन में आपके लोन के चुकाने की क्षमता को देखा जाता है| आपका क्रेडिट स्कोर भी देखा जाता है| अगर क्रेडिट स्कोर अच्छा नहीं है, तो पर्सनल लोन को भूल ही जाईये|

गोल्ड लोन में आपके पास पर्याप्त मात्र में सोने के आभूषण होने चाहिए| हर प्रकार की इंश्योरेंस पालिसी से लोन नहीं मिलता और केवल सरेंडर मूल्य की 80-90% राशि तक का लोन ही मिलता है| पीपीएफ खाते से लोन लेने की भी एक समय सीमा है, 6 वर्ष समाप्त होने के बाद आप पीपीएफ खाते से लोन नहीं ले सकते|

ध्यान दें गोल्ड लोन तो आप बहुत जल्दी मिलने की उम्मीद कर सकते हैं, लेकिन पर्सनल लोन, इंश्योरेंस पालिसी लोन या पीपीएफ लोन मिलने में समय लग सकता है|

आपको देखना होगा की आपके लिए ऊपर दिए गए लोन विकल्पों में से कुछ काम करेगा या नहीं|

इन सभी विकल्पों के अलावा अभी एक और विकल्प है| अगर आप म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करते हैं, तो अपने म्यूच्यूअल फण्ड निवेश को प्लेज (pledge) करके भी लोन ले सकते हैं|

आप शेयर के साथ भी यह कर सकते हैं| परन्तु इस पोस्ट में मैं म्यूच्यूअल फण्ड से मिलने वाले लोन के बारे में चर्चा करूंगा|

म्यूच्यूअल फण्ड निवेश से लोन कैसे लें?

हालांकि अमूमन म्यूच्यूअल फण्ड से लोन लेने में भी समय लगता है| परन्तु यह समय सीमा धीरे-धीरे कम होती जा रही है|

कुछ समय पहले  HDFC Bank में एक सुविधा शुरू करी है जहाँ आप कुछ मिनिटों में अपने बैंक खाते में लोन का पैसा पा सकते हैं| इस सुविधा का नाम Digital Loan Against Mutual Funds (LAMF) है|

आज मैं इसी सुविधा पर चर्चा करूंगा| ध्यान दें दूसरे बैंक भी यह सुविधा प्रदान करते हैं पर मैं HDFC बैंक की लोन के बारे में चर्चा करूंगा|

म्यूच्यूअल फण्ड से लोन की सुविधा का लाभ ले सकता है? (Eligibility)

  1. आपका HDFC Bank के साथ बैंक अकाउंट होना चाहिए। ध्यान दें दूसरे बैंक भी आपके म्यूच्यूअल फण्ड निवेश कर लोन देते हैं| इस पोस्ट में मैं HDFC बैंक के लोन के बारे में बात कर रहा हूँ|
  2. नेट बैंकिंग के जरिए आप लोन के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसलिए, सुनिश्चित परें की आपके पास नेट बैंकिंग का password हो|
  3. अब क्योंकि आप म्यूच्यूअल फण्ड को गिरवी रख कर लोन लेने की सोच रहे हैं, तो आपके पास म्यूचुअल फंड निवेश भी होना चाहिए ।
  4. आप केवल उन्ही म्यूच्यूअल फण्ड के खिलाफ लोन ले सकते हैं, जिनको CAMS सेवा प्रदान करता है| इस बारे में बाद में बात करेंगे|
  5. केवल व्यक्तिगत होल्डिंग (individual holding) वाले म्यूचुअल फंड निवेह्स के खिलाफ ही लोन मिलेगा| जो निवेश आपने संयुक्त मोड (joint holding mode) में किया है, उसके खिलाफ आपको लोन नहीं मिलेगा।

CAMS क्या है?

CAMS (Computer Age Management Services Private Limited) भारत में कई म्यूचुअल फंड हाउसेज (या AMCs) के लिए रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट के रूप में काम करता है ।

CAMS  म्यूच्यूअल फण्ड कंपनियों को infrastructure सर्विसेज भी प्रदान करता है।

CAMS के बारे में अधिक जानकारी आप CAMS की वेबसाइट पर पा सकते हैं|

अहम् बात यह है की CAMS जिन म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी को सेवा प्रदान करता है, उन म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी के साथ आपके निवेश की पूरी जानकारी CAMS के पास रहती है| इसीलिए CAMS इस पूरी लोन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है|

लोन एप्लीकेशन की प्रक्रिया के समय CAMS चुने गए निवेश कर pledge बनाता है और उसी के आधार पर एचडीएफसी बैंक आपको लोन देता है|

ध्यान दें यह पूरी प्रक्रिया ऑफलाइन भी हो सकती है परन्तु ऐसे में लोन मिलने में थोडा समय लगेगा|

किन म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी को CAMS सेवा प्रदान करता है?

  1. Aditya Birla Sun Life Mutual Fund
  2. DSP Blackrock MF
  3. HDFC Mutual Fund
  4. HSBC Mutual Fund
  5. ICICI Prudential Mutual Fund
  6. IDFC Mutual Fund
  7. IIFL Mutual Fund
  8. Kotak Mutual Fund
  9. L&T Mutual Fund
  10. Mahindra Mutual Fund
  11. PPFAS Mutual Fund
  12. SBI Mutual Fund
  13. Shriram Mutual Fund
  14. TATA Mutual Fund
  15. Union Mutual Fund

जैसा की ऊपर बताया गया है, केवल इन्ही म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी में आपके निवेश की खिलाफ  आप Digital Loan Against Mutual Funds ले सकते हैं|

जब आप आवेदन करेंगे, तो आपको अपने आप ही दिखा दिया जाएगा की आपके कौन से निवेश लोन सुविधा के पात्र हैं|

HDFC Digital LAMF लोन के लिए एप्लाई कैसे करें?

जैसा कि उल्लेख किया गया है, आपके पास एचडीएफसी बैंक खाता होना चाहिए और खाता के लिए नेट बैंकिंग सक्षम होनी चाहिए ।

  1. पहले HDFC बैंक की वेबसाइट पर नेट बैंकिंग में लॉग इन करें|
  2. लॉग इन करने के बाद आपको अपने CAMS खाते में लॉग इन करने की आवश्यकता होगी| अगर आपने CAMS वेबसाइट पर अपना खाता नहीं बनाया है, तो आप 5 मिनिट में आसानी से बना सकते हैं|
  3. उसके बाद आप अपने पोर्टफोलियो से म्यूच्यूअल फण्ड चुन सकते हैं, जिनकी विरुद्ध आप लोन लेना चाहते हैं|
  4. लोन सुविधा को सक्रिय करने के लिए आपको एक OTP भेजा जाएगा| OTP डाल कर आप लोन सुविधा पा सकते हैं|

एचडीएफसी बैंक के अनुसार आपको 3 मिनिट के भीतर लोन मिल जाएगा|

लोन आवेदन प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जान्ने के लिए आप Youtube पर इस विडियो को भी देख सकते हैं|

 

इन बातों का रखें ख्याल

  1. आप इक्विटी और डेब्ट फंड (equity and debt funds) दोनों के खिलाफ लोन ले सकते हैं|
  2. आपके क्रेडिट स्कोर से कोई भी फर्क नहीं पड़ेगा| आपका क्रेडिट स्कोर बुरा हो या फिर आपकी क्रेडिट हिस्ट्री ही न हो, तब भी आप यह लोन ले सकते हैं|
  3. यह सुविधा ओवरड्राफ्ट (overdraft facility) के रूप में दी जाती है| इसलिए आपने जितनी राशि ली है, केवल उतनी राशि पर ही ब्याज देना होगा| ओवरड्राफ्ट सुविधा में आप कितनी बार भी पैसा निकाल सकते हैं|
  4. मान लिए आपके पास 5 लाख की overdraft सुविधा है| आप एक बार 5 लाख रुपये निकालते हैं और कुछ समय बाद राशि का भुगतान कर देते हैं| भुगतान कर के बाद आप फिर 5 लाख रुपये तक निकाल सकते हैं|
  5. जब तक आप overdraft सुविधा को बंद नहीं कर देते, आप अपने म्यूच्यूअल फण्ड निवेश को बेच नहीं सकते|
  6. लोन का भुगतान न होने की स्तिथि में बैंक आपके निवेश को बेच भी सकता है|

मुझे कितना लोन मिल सकता है?

यह स्पष्टता से नहीं बताया गया है|

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार बैंक इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड के 50% से अधिक मूल्य का लोन नहीं दे सकते| डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड में कोई सीमा तय नहीं की गयी है|

तो अगर आपके इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड निवेश का मूल्य 1 लाख रुपये है, तो बैंक आपको 50,000 रुपये से अधिक का लोन नहीं दे सकता|

अगर आपके पास 1 लाख रुपये के डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड होते, तो आप अधिक लोन की अपेक्षा कर सकते थे|

ध्यान दें हर बैंक के नियम अलग हो सकते हैं|

एचडीएफसी बैंक म्यूच्यूअल फण्ड लोन (HDFC Digital LAMF) की ब्याज दर क्या है?

लोन की ब्याज दर बदलती रह सकती है|

अभी ब्याज दर 1 Year MCLR + 2.3% p.a. है|  लोन की ब्याज दर 11% के आस-पास होगी|

लोन लेने के बाद अगर मेरे निवेश का मूल्य गिर जाता है, तो क्या होगा?

ऐसी स्तिथि में आपकी overdraft से पैसा निकालने की क्षमता (drawing power) को कम कर दिया जाएगा|

मान लिए आपने 1 लाख रुपये के इक्विटी फण्ड को pledge करके 50,000 रुपये का लोन लिया था|

बाद में निवेश का मूल्य गिर कर 80,000 रुपये हो जाता है|

ऐसी स्तिथि में आपकी drawing पॉवर 50,000 रुपये से घटाकर 40,000 रुपये कर दी जायेगी| अगर आप पहले से ही 40,000 रुपये से ज्यादा पैसा निकाल चुके हैं, तो आपको अतिरिक्त राशि पर पेनल्टी देनी पड़ सकती है| या फिर आप जल्दी पैसा जमा करके अपनी बकाया राशि को 40,000 रुपये तक ला सकता हैं|

अधिक जानकारी के लिए आप एचडीएफसी बैंक की वेबसाइट पर जा सकते हैं

आपको क्या करना चाहिए?

आपके म्यूच्यूअल फण्ड निवेश पर रिटर्न के गारंटी नहीं है| परन्तु लोन पर ब्याज दर तो देनी ही होगी| आपको 11-12% p.a. का ब्याज देना होगा| अगर आपका निवेश 11-12% से अधिक रिटर्न नहीं देता, तो लोन लेना बेवकूफी होगा|

डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड में तो इतना रिटर्न मिलना मुश्किल है| इक्विटी फण्ड में मिल तो सकता है पर कोई गारंटी नहीं है| इक्विटी फण्ड में तो आपको नुकसान भी हो सकता है|

इसीलिए मेरे अनुसार बेहतर होगा की आप अपने म्यूच्यूअल फण्ड की खिलाफ लोन लेने की बजाय अपने म्यूच्यूअल फण्ड निवेश को बेच दें| म्यूच्यूअल फण्ड बेचने पर जो पैसा मिले, उसे अपनी ज़रुरत के लिए इस्तेमाल करें|

ज़रुरत पड़ने पर मैं तो अपने म्यूच्यूअल फण्ड निवेश बेच दूंगा (इनके खिलाफ लोन नहीं लूँगा)|

आप क्या करेंगे?

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स्टैंड अप इंडिया लोन योजना (Stand Up India Scheme) के बारे में पूरी जानकारी

by दीपेश Leave a Comment

स्टैंड अप इंडिया स्कीम (Stand Up India Scheme) अगस्त 2015 में शुरू करी गयी थी|

इस लोन योजना का उद्देश्य अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों (Scheduled Caste/Scheduled Tribe/women entrepreneurs) में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है। 

इस योजना के तहत  SC/ ST या महिला उद्यमियों द्वारा नए प्रोजेक्ट या परियोजनाओं  (greenfield project) के लिए  10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक का लोन दिया जाता है।

आइए लोन योजना के बारे में विस्तार से जानते हैं|

स्टैंड-अप इंडिया स्कीम: पात्रता (Stand up India Loan in Hindi)

  • यह योजना केवल महिला उधारकर्ताओं या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति उधारकर्ताओं के लिए उपलब्ध है। Scheme only for woman entrepreneurs or SC/ST entrepreneurs
  • आपकी आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  • एक ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट (नए प्रोजेक्ट) को स्थापित करने के लिए Stand Up India Loan ले सकते हैं। किसी पुराने बिज़नस के लिए लोन नहीं ले सकते|
  • आपको प्रोजेक्ट/बिज़नस विनिर्माण (manufacturing), सेवाओं (service) या व्यापार (trade) क्षेत्र में होना चाहिए।
  • अगर आवेदक कोई कंपनी है, तो कम से कम 51% शेयरहोल्डिंग या नियंत्रण हिस्सेदारी SC/ ST या महिला की होनी चाहिए।
  • आपने किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान के साथ लोन पर डिफ़ॉल्ट न किया हो|

अगर आप और आपका प्रोजेक्ट यह सारी शर्तें पूरी करता है, तो आप स्टैंड अप इंडिया स्कीम के तहत लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं|

स्टैंड-अप इंडिया स्कीम में कितना लोन मिल सकता है?

आप 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक के लोन ले सकते हैं। 

आप टर्म लोन या कार्यशील पूँजी (working capital) लोन, दोनों तरह का लोन के सकते हैं|

अगर आपने दोनों लिए हैं, तब भी आपका कुल लोन 1 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं हो सकता|

ध्यान दें इस योजना के तहत आपको केवल प्रोजेक्ट की कुल लागत की 75% राशि तक का लोन ही मिल सकता है|

इसका मतलब, आपको अभी भी 25% राशि कहीं और से लानी होगी|

योजना के नियमों के अनुसार उधारकर्ता (borrower) के कम से कम 10% पैसे अपने ही लगाने होंगे| बची हुई राशि के लिए आप राज्य या केंद्रीय सरकार की योजना का लाभ उठा सकते हैं| मैं यहाँ कुछ सब्सिडी योजनायों की सूची दे रहा हूँ, जिनका आप लाभ उठा सकते हैं|

अगर आप working capital लोन (कार्यशील पूँजी) ले रहे हैं, तो इस बात का ख्याल रखें:

  1. 10 लाख रुपये तक का working capital लोन आप overdraft के रूपे में ले सकते हैं|
  2. अगर आपका working capital लोन 10 लाख रुपये से अधिक है, तो आपको केश क्रेडिट लिमिट (Cash Credit limit) के रूप में लेना होगा|

मुझे 10 लाख रुपये से कम के लोन की आवश्यकता है?

Stand Up India Scheme में आप 10 लाख से 1 करोड़ रुपये तक का लोन ले सकते हैं| 10 लाख से कम राशि का लोन नहीं ले सकते|

परन्तु निराश होने की ज़रुरत नहीं है|

आप  मुद्रा लोन योजना के तहत लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं| प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना के तहत आप 10 लाख रुपये तक का लोन ले सकते हैं| मुद्रा लोन योजना में इतनी शर्तें (conditions) भी नहीं हैं|

स्टैंड-अप इंडिया लोन इंटरेस्ट रेट कितना होता है? (Stand up India Scheme: Loan Interest Rate)

सरकार ने ब्याज दर तय नही करी है।

पर हाँ, बैंक को निर्देश दिए गए हैं की उधारकर्ता की श्रेणी की अनुसार कम से कम ब्याज दर पर लोन दिया जाए|

साथ ही लोन की ब्याज दर Base Rate/MCLR + Tenure Premium + 3% से अधिक नहीं हो सकती|

मेरे अनुसार किसी नए बिज़नस के लिए ब्याज की दर काफी अच्छी है।

स्टैंड अप इंडिया लोन की भुगतान अवधि क्या है? Stand up India Scheme: Loan Repayment Tenure)

अधिकतम लोन अवधि (loan tenure) 7 वर्ष है। बैंक आपको 18  महीने तक मूल  पुनर्भुगतान (principal repayment) पर ऋण-स्थगन (moratorium) दे सकता है।

स्टैंड अप इंडिया लोन में क्या सेकुरिटी देनी होती है? Stand up India Scheme: Security)

आप लोन से जो भी संपत्ति या सामान (assets) जैसे की मशीन इत्यादि खरीदेंगे, उस पर बैंक के चार्ज होगा|

टर्म लोन के मामले में fixed assets पर बैंक का चार्ज होगा|

Working capital loan के मामले में current assets (कच्चे माल, तैयार माल, प्राप्तियां आदि) पर बैंक का चार्ज होगा|

ध्यान दें बैंक आपसे अतिरिक्त security की मांग भी कर सकता है|

अगर कुछ सेकुरिटी नहीं दे सकते, तो बैंक Stand Up India लोन के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम के तहत शामिल होने को कह सकता है|

ध्यान दे ऐसी स्तिथि में आपको कुछ अतिरिक्त खर्चा उठाना पड़ सकता है|

स्टैंड अप इंडिया लोन के लिए एप्लाई कैसे करें?

आप स्टैंड अप इंडिया लोन के लिए कई तरीकों से आवेदन कर सकते हैं। सुनिश्चित करें कि आप योग्यता मानदंडों को पूरा करते हैं।

  1. बैंक की शाखयों में
  2. स्टैंड अप इंडिया पोर्टल के माध्यम से (https://www.standupmitra.in/ ), आप स्टैंड अप इंडिया लोन एप्लीकेशन फॉर्म ऑनलाइन वहार सकते हैं|
  3. अग्रिम जिला प्रबंधक (Lead District Manager, LDM) के माध्यम से

आवेदन के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया मुद्रा लोन के आवेदन की तरह ही है| प्रक्रिया को अच्छे से समझने के लिए आप StandUpMitra  (स्टैंड अप इंडिया पोर्टल ) पर इस वीडियो को देख सकते हैं। 

अगर आपको फॉर्म भरते समय किसी सहायता (handholding) की आवश्यकता है, तो आपको वह सहायता भी आपको उपलब्ध कराई जायेगी|

मुद्रा लोन और Stand Up India लोन योजना में क्या अंतर है?

पात्रता (eligibility) में अंतर है| स्टैंड-अप इंडिया लोन योजना केवल महिलायों या SC/ST उद्यमियों के लिए है| आप किसी नए प्रोजेक्ट के लिए ही लोन ले सकते हैं|

मुद्रा लोन योजना में ऐसी कोई पाबंधी नहीं है|

साथ ही मुद्रा लोन योजना में आप 10 लाख रुपये तक का ही लोन ले सकते हैं|

Stand Up India Loan Scheme में आप 10 लाख से 1 करोड़ तक का लोन ले सकते हैं|

मेरे अनुसार मुद्रा लोन (स्टैंड-अप इंडिया स्कीम के मुकाबले) आसानी से मिल सकता है|

लोन मिलने में कितना समय लगता है?

3-6 सप्ताह में अन्दर आपके लोन पास हो जाना चाहिए| यह स्कीम के दिशानिर्देशों के अनुसार है| असलियत में हो सकता है की ज्यादा समय लगता हो|

अगर किसी कारण आपकी लोन एप्लीकेशन रिजेक्ट हो जाती है, तो बैंक में जा कर कारण का पता करें|

अतिरिक्त लिंक

मैंने इस पोस्ट में बहुत सीमित जानकारी दी है| अतिरिक्त जानकारी के लिए नीचे गए लिंक पर जाएँ या अपने बैंक में जा पर बात करें|

  1. स्टैंड अप इंडिया स्कीम के बारे में कुछ आम सवाल (Stand Up India Scheme FAQs)
  2. स्टैंड अप इंडिया स्कीम दिशानिर्देश (Stand Up India Scheme Guidelines)
  3. आईसीआईसीआई बैंक स्टैंड अप इंडिया लोन पेज (ICICI Bank Stand Up Scheme Page)

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