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वर्ष 2019-2020 की इनकम टैक्स दरें (1 अप्रैल 2019-मार्च 31, 2020)

by दीपेश Leave a Comment

वित्तीय वर्ष 2019-2020 (1 अप्रैल 2019 – मार्च 31, 2020) के लिए टैक्स स्लैब इस प्रकार हैं|

वित्तीय वर्ष 2019-2020 के लिए इनकम टैक्स स्लैब

देखें तो, टैक्स स्लैब में कोई भी बदलाव नहीं किया गया है| बस टैक्स रिबेट को बढ़ा दिया गया है|

इसका मतलब यह है की अगर आपकी कर योग्य आय (taxable income) 5 लाख रुपये तक है, तब आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा|

कुछ गलतफेहमियाँ भी हैं इस बारे में| अगर आपको लगता है की 5 लाख तक की आय पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा, तो यह गलत है| 5% टैक्स स्लैब को हटाया नहीं गया है|

अगर आपकी कर योग्य आय 5 लाख रुपये से ज्यादा है, तो आपको रिबेट नहीं मिलेगी और आपको 5 लाख रुपये तक की आय पर भी टैक्स देना होगा| सरकार ने बस यह कहा है की अगर आपकी कर योग्य आय 5 लाख रुपये तक है तब आपको rebate मिलेगी कुछ भी टैक्स नहीं देना होगा|

इसको उदाहरणों से समझते हैं|

नए नियम के अनुसार टैक्स कैलकुलेशन के कुछ उदहारण

बजट 2019 में पर्सनल टैक्स से सम्बंधित कुछ और भी अहम् घोषणाएं की गयीं|

स्टैण्डर्ड डिडक्शन के टैक्स लाभ को बढ़ाया गया

स्टैण्डर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) को 40,000 रुपये प्रति वर्ष से बढ़ाकर 50,000 रुपये प्रति वर्ष कर दिया है| अगर आप सैलरी पाते हैं (वेतनभोगी हैं) या पेंशनर (pensioner) हैं, तब आप स्टैण्डर्ड डिडक्शन का लाभ ले सकते हैं| यदि self-employed हैं, तब आपको स्टैण्डर्ड डिडक्शन का लाभ नहीं मिलेगा|

मकान बेचने पर टैक्स बचाने के लिए अब एक की जगह दो मकान खरीद सकते हैं

अभी तक घर बेचने पर टैक्स बचाने के तरीकों में से एक तरीका था: आप capital gain को एक नया मकान बनाने या खरीदने में उपयोग कर सकते थे| परन्तु आप केवल एक ही ऐसा मकान खरीद सकते थे| अगले वर्ष से (1 अप्रैल 2019 से) आप टैक्स बचाने के लिए दो प्रॉपर्टी तक में निवेश कर सकते हैं|

बस ऐसा करने की दो शर्तें हैं:

  1. मुनाफे की राशि 2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए|
  2. आप इस नियम का लाभ (एक की जगह दो नए मकान) पूरे जीवन में केवल एक बार ही कर सकते हैं|

दूसरे मकान के अनुमानित किराए (notional rent) पर आपको टैक्स नहीं देना होगा

मान लिए आपके पास दो मकान हैं (दिल्ली और नॉएडा में) और दोनों में से एक भी मकान किराए पर नहीं है| हालांकि आपका कोई भी मकान किराए पर नहीं है, परन्तु आपको दो में से एक मकान पर notional rent (अनुमानित किराया) मानना होगा और उस पर टैक्स भी देना होगा| अब देखें तो आपको कुछ किराया नहीं मिला, पर आपको टैक्स देना होगा| अगर आप ऐसे नियम से परेशान थे, तब आपके लिए कुछ रहत है|

अगले वर्ष से (1 अप्रैल 2019 से) से अगर आपके पास दो मकान हैं और दोनों ही self-occupied (किराए पर नहीं हैं) हैं, तब आपको notional rent (अनुमानित किराया) पर कर नहीं देना होगा| ध्यान दें अगर आपके पास दो से अधिक मकान हैं, तब आपको तीसरे मकान से अनुमानित किराए पर टैक्स देना होगा| एक बार और, अगर मकान किराए पर है (चाहे आप पास एक घर हैं या दो), फिर तो किराए पर टैक्स देना ही पड़ेगा|

टैक्स-फ्री Gratuity की सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये की गयी

अगर आप किसी कंपनी में 5 वर्ष काम कर लेते हैं, तब आप Gratuity के हक़दार बन जाते हैं| आमतौर पर, यह राशि आपको आपके रिटायरमेंट के समय (या नौकरी छोड़ते समय) दी जाती है| हम लोग Gratuity की गणना में नहीं जायेंगे| अभी तक आप पूरे जीवन में 10 लाख रुपये तक की Gratuity टैक्स-फ्री पा सकते हैं| अगर इससे ज्यादा पायेंगे, तो आपको अतिरिक्त राशि पर टैक्स देना होगा| अब इस सीमा को बढाकर 20 लाख कर दिया गया है|

बैंक और पोस्ट-ऑफिस डिपाजिट पर TDS सीमा को 10,000 से 40,000 रुपये किया गया

अगर आप बैंक में फिक्स्ड डिपाजिट खोलते हैं, तो अगर आपका ब्याज 10,000 रुपये से अधिक होता है, तो बैंक 10% TDS काट लेता है| टीडीएस कटने से आपकी टैक्स liability पूरी नहीं होती| अगर आप ऊंचे टैक्स ब्रैकेट में आते हैं ,तो आपको अतिरिक्त टैक्स देना होगा| अन्यथा अगर अतिरिक्त टैक्स कट गया है, तब आप टैक्स रिटर्न भरकर पैसा वापिस ले सकते हैं| आप फॉर्म 15G या 15H भरकर टीडीएस काटने से बचा सकते हैं|

अब टीडीएस की सीमा को 10,000 रुपये से बढाकर 40,000 रुपये कर दिया गया है|  देखें तो टैक्स भार में कुछ बदलाव नहीं है| हाँ, अगर आपकी आय टैक्स सीमा से कम है, तो आपको कुछ सहूलियत ज़रूर हो जायेगी|

सीनियर सिटीजन (वरिष्ठ नागरिकों) को बैंक या पोस्ट-ऑफिस डिपाजिट पर 50,000 रुपये तक के ब्याज पर कोई टैक्स नहीं देना होता| 50,000 रुपये तक के ब्याज पर टैक्स भी नहीं देना होता| इसलिए इस नियम से वरिष्ठ नागरिकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा|

प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजनां की घोषणा

असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए यह एक पेंशन योजना है| 60 वर्ष की आयु से आजीवन 3,000 रुपये तक की पेंशन मिलेगी| अधिक जानकारी के लिए इस पोस्ट को पढ़ें|

Filed Under: Tax Planning Tagged With: इनकम टैक्स दरें, इनकम टैक्स स्लैब

Health Insurance Claim Settlement Ratios 2018 (हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम सेटलमेंट 2018)

Last updated: जनवरी 31, 2019 | by दीपेश Leave a Comment

जब भी हम कोई इंश्योरेंस प्लान लेने जाते हैं, तो पालिसी का चुनाव करने से पहले हम उस कंपनी के क्लेम सेटलमेंट रेश्यो (claim settlement ratio) के बारे में जानना चाहते हैं| क्लेम सेटलमेंट रेश्यो जितना ज्यादा है, आपको उस कंपनी में उतना आपको उतना ही विश्वास रहेगा|

क्लेम सेटलमेंट रेश्यो की गणना करने के लिए आप “जितने क्लेम का आपने भुगतान किया” का “जितने क्लेम आपके पास आये” से भाग (divide) करते हैं|

Claim Settlement Ratio = No. of claims settled/No. of claims received

क्लेम सेटलमेंट रेश्यो की यह परिभाषा जीवन बीमा कंपनी ( लाइफ इंश्योरेंस कंपनी) के लिए चलती है| हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी में क्लेम सेटलमेंट दूसरे तरीके से देखा जाता है| यहाँ पर हम लोग Incurred Claims Ratio या ICR की बात करते हैं|

Incurred Claims Ratio (ICR) = कंपनी ने कितनी राशि का क्लेम में भुगतान किया/कंपनी ने कितना प्रीमियम इकठ्ठा किया = Amount paid in Claims/Health Insurance Premium collected during the year

जनवरी 2019 में हेल्थ इंशोयरेंस कंपनियों के लिए FY2018 की यह जानकारी रिलीज़ करी गयी|

Health Insurance Claim Settlement Ratios 2018 (हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम सेटलमेंट 2018)

incurred claims ration health insurance companies FY2018 हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम सेटलमेंट 2018

Incurred Claims Ratio (ICR) कितना होना चाहिए?

लाइफ इंश्योरेंस में क्लेम सेटलमेंट रेश्यो जितना ज्यादा है, उतना अच्छा है| परन्तु हेल्थ इंश्योरेंस के ICR के साथ ऐसा नहीं है|

अगर ICR बहुत ज्यादा है (100% से भी ज्यादा), इस बात के दो मतलब हो सकते हैं|

  1. कंपनी क्लेम सेटल करने में बहुत अच्छी है| यह एक अच्छी बात है|
  2. कंपनी ने अपनी पालिसी का दाम सही से नहीं रखा है| ऐसी स्तिथि में आने वाले समय में आपकी पालिसी का प्रीमियम एक दम से बढ़ाया जा सकता है| यह आपके लिए परेशानी की वजह है|

अब ICR किस वजह से ज्यादा है, यह बता पाना मुश्किल है|

अगर ICR बहुत कम हैं (60% से भी कम), इसकी भी दो वजह हो सकती है|

  1. कंपनी बहुत क्लेम रिजेक्ट करती है| यह परेशानी वाली बात है|
  2. कंपनी के क्लेम ही नहीं आ रहे| कंपनी ने शायद स्वस्थ्य लोगो को ही बीमा बेचा है| या फिर इंश्योरेंस कंपनी ने पालिसी का दाम सही रखा है| ऐसे में आपके लिए कुछ भी कह पाना मुश्किल है| आप नहीं कह सकते ही कंपनी अच्छी है या बुरी है|

अब ICR किस वजह से कम है, यह बता पाना मुश्किल है|

मेरे अनुसार ऐसी इंश्योरेंस कंपनी के साथ हेल्थ इंश्योरेंस खरीदें, जिनका ICR 60% से 90% के बीच में हो| केवल एक वर्ष के ICR पर ध्यान ने दें| कम से कम 2-3 वर्षों के ICR पर ध्यान दें|

उससे भी ज़रूरी बात, पालिसी लेते समय कुछ भी न छुपायें| इंश्योरेंस कंपनी को अपने स्वास्थ्य के बारे मिएँ पूरी जानकारी दें| इससे आपका क्लेम रिजेक्ट होने की संभावना कम हो जायेगी|

पढ़ें: हेल्थ इंश्योरेंस टैक्स बेनिफिट (2019)

अधिक जानकारी के लिए इस पोस्ट (अंग्रेजी) में पढ़ें|

Filed Under: Financial Planning, Life Insurance Tagged With: health insurance premium, हेल्थ इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस और टैक्स बचत

एलआईसी पालिसी मेच्योर होने पर पैसे कैसे लें?

Last updated: जनवरी 23, 2019 | by दीपेश Leave a Comment

अधिकतर लोगों के पास कम से कम एक एलआईसी पालिसी तो होती है| निवेशक पूरी समयनिष्ठता से अपनी पालिसी का प्रीमियम भी भरते हैं| ऐसी स्तिथि में आप यह भी चाहेंगे की जब आपकी पालिसी मेच्योर हो, तब आपको LIC से पैसा भी उतनी ही जल्दी और आसानी से मिल जाए|

आईये इस पोस्ट में जानते है, मेच्योरिटी के समय LIC से पैसे लेने की प्रक्रिया के बारे में|

आपको आपकी पालिसी मेच्योर होने से कुछ समय पहले LIC से सन्देश आता है की आपकी पालिसी मेच्योर होने वाली है| LIC यह सन्देश पालिसी मेच्योर होने से दो महीने पहले भेजती है| अगर नहीं आया है, तो अपने एलाईसी एजेंट या LIC शाखा में समपर्क करें|

एलआईसी पालिसी मेच्योरिटी के समय आपको क्या दस्तावेज़ देने होंगे?

एलआईसी पालिसी मेच्योर होते समय आपको निम्नलिखित दस्तावेज़ LIC की शाखा में जमा करने होंगे|

  1. Original Policy Document: आपको अपना ओरिजिनल पालिसी डॉक्यूमेंट (मूल प्रति) शाखा में जमा करना होगा| अगर आप ओरिग्निअल पालिसी डॉक्यूमेंट खो गया है, तब आपको फॉर्म 3756 भरकर duplicate पालिसी निकलवानी पड़ेगी| इसमें काफी मेहनत लगेगी| इसलिए अपने original डॉक्यूमेंट संभाल कर रखें|
  2. Form 3825: साथ ही आपको फॉर्म 3825 (discharge receipt) भरकर भी जमा करना होगा| इस फॉर्म में अपना revenue स्टाम्प भी लगाना होगा| आप फॉर्म 3825 को LIC की वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं|
  3. NEFT mandate form: फॉर्म 3825 के साथ आपको NEFT mandate फॉर्म भी देना होगा| इस फॉर्म में आपको अपने बैंक खाते की जानकारी देनी होगी| पालिसी के मेच्योरिटी राशि सीधे आपे बैंक खाते में आ जायेगी|
  4. पहचान का प्रमाण (Identity proof): जैसे की PAN कार्ड की self-attested कॉपी
  5. पते के प्रमाण (Residence proof) की self-attested कॉपी (पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, बिजली का बिल इत्यादि)
  6. एक cancelled चेक या आपकी पासबुक की कॉपी

बेहतर होगा की आप यह सारे डॉक्यूमेंट LIC शाखा में पोल्सिय मेच्योर होने के 1 महीने पहले जमा कर दें| आपको आपका पैसा जल्दी मिल जाएगा|

ध्यान दें LIC अब चेक या डिमांड ड्राफ्ट से पालिसी का भुगतान नहीं करता| केवल NEFT द्वारा ही भुगतान किया जाता है| राशि सीधे आपके बैंक खाते में आ जाती है|

बैंक खाते में आपका नाम और पालिसी में आपका नाम एक सामान होना चाहिए| अगर कुछ अंतर हुआ, पैसे के ट्रान्सफर रिजेक्ट हो सकता है| आपको बिना बात परेशानी होगी|

आप यह सारे फॉर्म LIC की वेबसाइट पर जा कर डाउनलोड कर सकते हैं|

पढ़ें: एलआईसी पालिसी से लोन कैसे लें?

फॉर्म 3825 का कुछ हिस्सा (Excerpt from Form 3825)

पूरा फॉर्म LIC की वेबसाइट से डाउनलोड करें या शाखा में जा कर पाएं

NEFT Mandate Form

Filed Under: LIC Tagged With: एलआईसी पालिसी मेच्योरिटी प्रक्रिया, एलआईसी पालिसी से पैसा कैसे लें

डीएचएफएल होम लोन (DHFL Home Loan) के बारे में जानकारी

by दीपेश Leave a Comment

अधिकाँश लोगों को मकान खरीदने के लिए होम लोन लेना पड़ता है| आप होम लोन बैंकों से ले सकते हैं या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (HFC) से भी ले सकते हैं|

DHFL भी एक HFC है| आज चर्चा करते हैं DHFL से मिलने वाले होम लोन के बारे में|

DHFL होम के लिए कौन आवेदन पर सकता है? (DHFL Loan Eligibility)

  1. आपकी आयु कम से कम 21 वर्ष होनी चाहिए|
  2. लोन अवधि की समाप्ति के समय आपकी आयु 65 वर्ष से अधिक नहीं हो सकती|
  3. आपके पास आय का स्त्रोत होना चाहिए|
  4. लोन वेतनभोगियों (salaried) और self-employed, दोनों को मिल सकता है|

DHFL (डीएचएफएल) से आपको कितना होम लोन मिल सकता है?

आप DHFL की वेबसाइट पर अपनी होम लोन eligibility (पात्रता) चेक कर सकते हैं| आपकी आय, लोन अवधि और ब्याज दर पर निर्भर करेगा की आपको कितना लोन मिल सकता है| ध्यान दें यह कैलकुलेटर बहुत ही साधारण है| लोन देने से पहले और भी बहुत सी बातें देखीं जायेंगी, जैसे की क्या आपका कोई और भी लोन चल रहा है|

लोन पात्रता के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस पोस्ट को पढ़ें|

पढ़ें: होम लोन लेते समय इन 6 बातों का रखें ख्याल

लोन भुगतान की अवधि कितनी होगी?

DHFL की वेबसाइट के अनुसार आपको 30 वर्ष तक की अवधि का लोन मिल सकता है| अगर आप सैलरी पाते हैं, तो लोन अवधि आपके रिटायरमेंट (60 वर्ष) तक ही हो सकती है|

मान लिए आपकी वेतनभोगी (salaried) हैं और आपकी आयु 40 वर्ष है, तब आपको 20 वर्ष से अधिक का लोन नहीं मिलेगा|

अगर आप self-employed हैं, तो लोन अवधि आपकी आयु 65 या 70 वर्ष तक की हो सकती है|

इंटरेस्ट रेट कितना होगा? (डीएचएफएल होम लोन ब्याज दर)

ब्याज दर बदलती रहती है| DHFL होम लोन के लेटेस्ट इंटरेस्ट रेट जानने के लिए वेबसाइट या शाखा पर जाएँ|

ब्याज दर आपकी लोन राशि पर निर्भर करेगी| साथ ही, इस बात पर भी निर्भर करेगी की आप सैलरी पाते हैं या self-employed हैं|

ब्याज के अलावा भी आपको कुछ चार्ज देने पड़ सकते हैं, जैसे की प्रोसेसिंग फीस आदि| शुल्कों के बारे मिने जानकारी के लिए DHFL वेबसाइट पर जाएँ|

लोन का पूर्व-भुगतान करने पर कोई भी पेनल्टी नहीं लगेगी| No Prepayment Penalty

DHFL होम लोन की EMI कितनी होगी?

EMI आपकी होम लोन राशि, लोन अवधि और ब्याज दर पर निर्भर करेगी|

अगर आप जानना चाहते है की आपके होम लोन की EMI कैसे काम करती है और कैसे कैलकुलेट होती है, तो आप इस पोस्ट को पढ़ सकते हैं| अगर ज्यादा मेहनत नहीं करना चाहते, तो नीचे कैलकुलेट कर सकते हैं या फिर इस वेबसाइट पर जा कर देख सकते हैं|

DHFL की वेबसाइट पर भी EMI कैलकुलेटर है|

emicalculator.net

लोन के भुगतान पर आको वही टैक्स बेनिफिट मिलेंगे जो की बैंक से होम लोन लेने पर मिलते| Principal (मूल राशि) के भुगतान पर सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक और ब्याज के भुगतान पर सेक्शन 24 के ताहत 2 लाख रुपये तक|

लोन के लिए क्या security देनी होगी?

अमूमन आपका घर (जो आपने लोन से खरीदा है) लोन के भुगतान पर गिरवी रहेगा|

कुछ मामलों में DHFL अतिरिक्त सेकुरिटी की मान भी कर सकता है| जैसे की आपके जीवन बीमा पालिसी, फिक्स्ड डिपाजिट की रसीद इत्यादि|

होम लोन के लिए के डॉक्यूमेंट चाहियें?

आपको कुछ साधारण डॉक्यूमेंट की चाहिए| आपको पहचान और पते का प्रमाण देना होगा|

आय की प्रमाण देना होगा| सैलरी स्लिप, बैंक स्टेटमेंट, पिछले कुछ वर्षों इनकम टैक्स रिटर्न, GST रिटर्न इत्यादि| ध्यान दें यह सारे दस्तावेज़ आपके लिए लागू नहीं होंगे| आपको कुछ ही देने होंगे|

DHFL से होम लोन लेने से पहले इन बातों के रखें ख्याल?

दूसरे बैंकों से ब्याज दर और शुल्कों की तुलना करें|

ऐसा भी हो सकता है की लोन कंपनी आपको लोन के साथ कोई इंश्योरेंस प्लान खरीदने के लिए दबाव डाले| कंपनी जो इंश्योरेंस बेच रही है, वह बहुत महंगा होगा और शायद आपके लिए पर्याप्त भी न हो|

हालांकि लोन लेते समय जीवन बीमा बुरा आईडिया नहीं है| अगर आपको कुछ हो गया, तो आपके लोन का भुगतान कौन करेगा? जीवन बीमा ऐसी स्तिथि में लाभकारी साबित हो सकता है| परन्तु लोन कंपनी जो बीमा बेच रही है, उससे बचें| अपनी ज़रुरत के अनुसार जीवन बीमा लें और उस बीमा को लोन कंपनी को assign कर दें|

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एनपीएस में निवेश करने पर टैक्स बेनिफिट्स (NPS Tax Benefits)

Last updated: जुलाई 13, 2019 | by दीपेश 111 Comments

पिछले कुछ सालों में NPS में काफी लोगों की रूचि बढ़ी है| इसका प्रमुख कारण एनपीएस को मिले अतिरिक्त टैक्स लाभ हैं|

आईये देखते हैं क्या हैं NPS (National Pension Scheme) में निवेश करने के टैक्स बेनिफिट्स|

NPS में निवेश (Invest) करने के टैक्स बेनिफिट्स (एनपीएस कर लाभ)

#1. Section 80CCD(1)

1.5 लाख रुपये तक| इस बात का ध्यान रखे की Section 80CCD(1) की छूट सेक्शन 80C के अंतर्गत आती हैं| अगर आप नौकरी करते हैं, तो या छूट आपके वेतन (basic + DA) के 10% तक ही ली जा सकती है|

अगर आप सेल्फ एम्प्लोयेड (self employed) हैं , तो टैक्स राहत आपकी कुल आय के 20%  तक हो सकती है|

#2. Section 80CCD(1B)

यह छूट 1.5 लाख की राहत से अलग हैं| यह टैक्स बचत केवल NPS में निवेश के लिए ही है|

Section 80CCD(1) और Section 80CCD(1B) की टैक्स छूट आपके NPS में निवेश करने पर है|

#3. Section 80CCD(2)

अगर आपके एम्प्लायर (employer) भी आपके NPS अकाउंट में योगदान करते हैं, तो आप इस धारा के तहत टैक्स बेनिफिट ले सकते हैं | याद रखिये यह टैक्स छूट उस राशि के लिए मिलेगी जो आपके एम्प्लायर ने आपके NPS अकाउंट में निवेश की है|

यह छूट आपके वेतन के 10 प्रतिशत तक ही सीमित है| केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिए यह सीमा 14% हैं (FY2020 से)|

सेल्फ एम्प्लोयेड (self employed) इस धरा के तहत लाभ नहीं ले सकते क्योंकि कोई एम्पलोयेर नहीं है|

Section 80CCD(2) की टैक्स छूट आपके employer द्वारा आपके NPS अकाउंट में निवेश करने पर है|

पढ़ें: कैसे करें एनपीएस में ऑनलाइन निवेश? How to invest online in NPS?

आप एनपीएस के टैक्स बेनिफिट के बारे में जानकारी इस Youtube विडियो पर भी पा सकते हैं|

NPS (एनपीएस) में निवेश करते समय ध्यान रखें

#1. अगर आप NPS के Tier-II में निवेश करते हैं, तो आपको कोई भी टैक्स की छूट नहीं मिलेगी|

ऊपर दिए गए टैक्स बेनिफिट केवल NPS Tier-I में निवेश करने के लिए है|

अब इस नियम में कुछ बदलाव लाया गया है| अगर आप NPS Tier II में निवेश करते हैं और उसमें 3 वर्ष का lock-in है, तब आप टियर 2 में निवेश करने पर भी टैक्स बेनिफिट ले सकते हैं|NPS टियर 2 खाते में निवेश पर यह टैक्स बेनिफिट केवल केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों (Central Government Employee) को मिलेगा| अगर आप केंद्रीय सरकार के कर्मचारी नहीं है, तब आपको एनपीएस टियर 2 खाते में निवेश करने पर कोई टैक्स लाभ नहीं मिलेगा|

ध्यान दें NPS Tier II में टैक्स बेनिफिट FY2020 (1 अप्रैल 2019 को या उसके बाद निवेश करने पर) से मिलेगा| और यह लाभ केवल केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों को मिलेगा|

पढ़ें: एनपीएस के बारे में कुछ ग़लतफ़हमियाँ

#2. Section 80CCD(1) के तहत जो टैक्स राहत है, वह सेक्शन 80C के अन्दर ही आती है| परन्तु सेक्शन 80CCD(1B) के तहत जो टैक्स छूट है, वह सेक्शन 80C की 1.5 लाख की छूट के अतिरिक्त है|

आईये कुछ उदहारण की सहायता से टैक्स छूट को और बेहतर समझने की कोशिश करते हैं|

इन सभी उधारणों में मैंने माना है की आपका (या आपके एम्प्लायर का) NPS में निवेश सीमा के अन्दर है|ध्यान रखें की सेक्शन 80CCD(1) और सेक्शन 80CCD(2) में टैक्स छूट की कुछ सीमाएं हैं जो की आपकी आय से सम्बंधित हैं|

NPS टैक्स बेनिफिट्स: 80 सीसीडी 1, 80 सीसीडी 1B, 80 सीसीडी 2: उदहारण 1

आप 1.5 लाख रुपये PPF में निवेश करते हैं और 50,000 रुपये NPS में निवेश करते हैं, तो आप उस साल २ लाख की टैक्स बचत कर सकते हैं|

1.5 लाख PPF में निवेश के लिए सेक्शन 80C के तहत और 50,000 रुपये NPS के लिए 80CCD(1B) के तहत| आपको कुल मिलकर 2 लाख तक की छूट मिलेगी

कुल टैक्स लाभ : 2 लाख रुपये

एनपीएस टैक्स बेनिफिट: 80 सीसीडी 1, 80 सीसीडी 1B, 80 सीसीडी 2: उदहारण 2

आप 1.5 लाख रुपये PPF में निवेश करते हैं और 50,000 रुपये NPS में निवेश करते हैं, तो आप उस साल २ लाख की टैक्स बचत कर सकते हैं| आपका employer 75,000 रुपये का निवेश करता है आपके NPS अकाउंट में|

सेक्शन 80C: 1.5 लाख रुपये (PPF में निवेश के लिए)

सेक्शन 80CCD(1B): 50 हज़ार रुपये (NPS में निवेश के लिए)

सेक्शन 80CCD(2): 75 हज़ार रुपये (आपके employer द्वारा आपके NPS अकाउंट में निवेश के लिए)

कुल टैक्स लाभ : 2 लाख 75 हज़ार रुपये

एनपीएस कर लाभ (उदाहरण 3):

PPF: 1.25 लाख

NPS: 90,000

NPS (आपके employer द्वारा): 45,000

Section 80C: 1.25 लाख रुपये (PPF में निवेश के लिए)

Section 80CCD(1): 25 हज़ार रुपये (NPS में निवेश के लिए)

Section 80CCD(1B): 50 हज़ार रुपये (NPS में निवेश के लिए)

Section 80CCD(2): 45 हज़ार रुपये (आपके employer द्वारा आपके NPS अकाउंट में निवेश के लिए)

कुल टैक्स लाभ : 2 लाख 45 हज़ार रुपये

ध्यान रखे सेक्शन 80C और सेक्शन 80CCD(1) में कुल मिल कर टैक्स रहत 1.5 लाख से ज्यादा नहीं हो सकती|

NPS टैक्स बेनिफिट (उदाहरण 4):

NPS: 2.5 लाख

NPS (आपके employer द्वारा): 55,000

सेक्शन 80CCD(1): 1.5 लाख रुपये (NPS में निवेश के लिए)

सेक्शन 80CCD(1B): 50 हज़ार रुपये (NPS में निवेश के लिए)

सेक्शन 80CCD(2): 55 हज़ार रुपये (आपके employer द्वारा आपके NPS अकाउंट में निवेश के लिए)

कुल टैक्स लाभ: 2 लाख 55 हज़ार रुपये

NPS टैक्स बेनेफिट्स 80ccd 1b 80सीसीडी 1b स्पष्टीकरण उदाहरण

पढ़ें: एनपीएस से पैसे निकालने पर कितना टैक्स देना पड़ता है?

Filed Under: NPS Tagged With: 80 सीसीडी 1b उदाहरण, 80ccd 1b उदाहरण, NPS, NPS Tax benefits, NPS टैक्स बेनिफिट्स, एनपीएस 80ccd 1b स्पष्टीकरण, एनपीएस टैक्स बेनेफिट्स, एनपीएस टैक्स लाभ

NPS vs. PPF: कौन है बेहतर और किस में करें निवेश?

Last updated: जनवरी 17, 2019 | by दीपेश 10 Comments

अगर आपको NPS (National Pension Scheme या राष्ट्रीय पेंशन योजना) और PPF (Public Provident Fund या पब्लिक प्रोविडेंट फण्ड)  में से एक का चुनाव करके उसमें निवेश करना हो,  तो आप क्या करेंगे?

आप NPS में निवेश करेंगे या PPF में?

यह करने के लिए NPS और PPF के बारें में बारीकी से जानना ज़रूरी है |

आइये देखते हैं NPS और PPF में से किसमें निवेश करना आपके लिए लाभकारी होगा |

PPF vs. NPS (पीपीएफ vs. एनपीएस)

NPS vs PPF PPF vs NPS hindi एनपीएस पीपीएफ निवेश

जानिये क्या हैं NPS में निवेश करने के टैक्स बेनेफिट्स

आपको क्या करना चाहिए? NPS या PPF?

मुझे PPF बेहतर लगता है|

इस बात की कई वजह हैं|

PPF एक debt प्रोडक्ट के हिसाब से बहुत अच्छे रिटर्न्स देता है | रिटर्न्स पर कोई टैक्स भी नहीं देना होता |

हालांकि अगर आप लम्बे समय के लिए निवेश कर रहे हैं, तो आपको equity प्रोडक्ट्स में भी निवेश करना चाहिए |

परन्तु इसका मतलब ये नहीं की आप NPS में निवेश करें | इक्विटी (equity) में निवेश करने के और भी तरीके हैं | जैसे की आप म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश कर सकते हैं |

NPS में कई बंधन हैं | आप रिटायरमेंट से पहले पैसा नहीं निकाल सकते | अगर निकालते हैं, तो 80% राशि से Annuity प्लान खरीदना होगा | रिटायरमेंट के बाद कुछ टैक्स भी देना पड़ सकता है |

परन्तु NPS जो टैक्स बेनिफिट देता है, उसको भी नज़रन्दाज़ न करें |

मैं यह भी कहना चाहूँगा की आपको केवल टैक्स बचाने के लिए लिए निवेश नहीं करना चाहिए|

मेरे विचार से NPS में 50 हज़ार से ज्यादा निवेश न करें क्योंकि NPS का जो exclusive टैक्स बेनिफिट है वह केवल 50,000 रुपये तक ही है | इसमें भी यह उन लोगों के लिए ज्यादा लाभकारी होगा जो की 30% टैक्स ब्रेकिट में आते हैं|

NPS में केवल अपने रिटायरमेंट के लिए ही निवेश करें | किसी और गोल के लिए निवेश न करें क्योंकि आप अपना इन्वेस्टमेंट रिटायरमेंट से पहले निकाल नहीं सकते|

हालांकि PPF में से आप रिटायरमेंट से पहले भी अपनी जमा राशि निकाल सकते हैं, बेहतर होगा की आप PPF को अपने रिटायरमेंट के लिए बचा कर रखें|

PPF में आप एक साल में 1.5 लाख से ज्यादा निवेश नहीं कर सकते| और NPS में ५० हज़ार से ज्यादा करना नहीं चाहिए| इसका मतलब यह हुआ की आप NPS और PPF में 2 लाख से ज्यादा का निवेश नहीं कर सकते (आपको नहीं करना चाहिए)|

तो अगर आपको 2 लाख से ज्यादा निवेश करना है, तो आपको NPS और PPF के परे देखना होगा| आपको इनमें से किसी एक का ही चुनाव नहीं करना | आप दोनों में निवेश कर सकते हैं|

मेरा मतलब यह नहीं है की आप अगर 2 लाख तक निवेश कर सकते हों, तो केवल NPS और PPF में ही निवेश करें| अपने पोर्टफोलियो को diversify करें | अपने पोर्टफोलियो में विविधता लायें|

अपने इन्वेस्टमेंट्स को NPS और PPF तक सीमित न करें | इनके परे भी देखें |

खासकर अगर आपका रिटायरमेंट में अगर अभी काफी समय है तो, equity म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश करना पर ज़रूर विचार करें|

Filed Under: NPS, PPF, Tax Planning Tagged With: National Pension Scheme, NPS, PPF, Public Provident Fund

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