अगर आप होम लोन ले कर घर खरीदने के बारे में सोच रहे हैं, तो इन बातों का ध्यान ज़रूर रखें|
#1 पहले प्रॉपर्टी के दाम पर खरीद फरोख्त करें, फिर होम लोन पर
अब लोन तो आप तब लेंगे, जब आपने मकान या परोपरी फाइनल कर ली हो|
हमारा काफी ध्यान बैंक से बातचीत करने और ब्याज दर कम करने में लगा हो सकता है| आप संभवतः प्रोसेसिंग फीस (processing fee) का कुछ हिस्सा बचा लेंगे या ब्याज दर 0.10-0.15% कम करा लेंगे।
बहुत अच्छी बात है|
परन्तु अगर आपने बिल्डर या विक्रेता के साथ बातचीत और खरीद फरोख्त (negotiate) करके भी बहुत पैसा बचा सकते हैं। और अगर आप सफल होते हैं, तो यह बचत आपके बैंक से मिलने वाली बचत से कहीं ज्यादा होगी|
एक उदहारण की सहायता से देखते हैं|
मान लिए आपको घर लेने के लिए 60 लाख के लोन की ज़रुरत है|
यदि आपको 15% अग्रिम छूट मिलती है, तो आपको 60 लाख रुपये के बजाय 51 लाख रुपये का ही ऋण लेना होगा।
चलिए मान लें कि 20 साल के लिए 60 लाख रुपये का ऋण 8%p.a है।
और 51 लाख रुपये का ऋण 9% p.a. पर है। यानी की 1 प्रतिशत ज्यादा|
60 लाख रुपये के लिए मासिक किश्त (EMI) 50,186 रुपये होगी जबकि 51 लाख रुपये के लोन लिए 45,886 रुपये होगी| देखा आपने अगर मकान के दाम कम करा सकते हैं, तो कितना फायदा है| और अभी हमनें अग्रिम भुगतान (down payment) की तो बात भी नहीं करी)|
अगर आपको मासिक किश्त का पता लगाना है, तो आप होम लोन कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं|
इसीलिए पहले बिल्डर या विक्रेता से negotiate (खरीद फरोख्त) करें और उसके बाद बैंक से|
अगर आप भारतीय स्टेट बैंक के होम लोन की जानकारी और ब्याज दर जानना चाहते हैं, तो इस लिंक पर जा कर पा सकते हैं| अन्यथा अगर आपको सभी बैंक के होम लोन रेट जानना चाहते हैं, तो सभी होम लोन रेट की जानकारी के लिए इस लिंक पर जाएँ|
#2 अग्रिम भुगतान (Down Payment) देने के लिए तैयार रहे
इस बात का ध्यान रखें की आपके मकान के पूरे मूल्य का लोन नहीं मिलेगा| प्रॉपर्टी के बाजार मूल्य (market value) का 75-85% ही आपको लोन के रूप में मिलेगा। इसके अलावा पंजीकरण आदि के लिए भी खर्चा आएगा|
बची राशि का इंतज़ाम आपको ही करना होगा| और क्योंकि राशी बड़ी है, आपको इसके लिए पहले से ही तय्यारी करनी होगी|
तो, यदि आप निकट भविष्य में एक घर खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो अग्रिम भुगतान (down payment) और ऐसे खर्चों के लिए अब बचत करना प्रारंभ करें।
#3 दूसरे मकान के लिए होम लोन कर लाभ बदल गए हैं
अगर आपके पास पहले से ही एक घर है और दूसरा खरीदने की योजना बना रहे हैं तो यह बहुत महत्वपूर्ण है।
आम धारणा यह है, की आप दूसरे घर (let-out property) के लिए लिए गए लोन पर जो भी ब्याज देते हैं, उस पर टैक्स बेनिफिट (Section 24) ले सकते हैं|
यह वित्त वर्ष 2017 (पिछले साल) तक सही था लेकिन अब और नहीं। 2017 के बजट में, हाउस प्रॉपर्टी से आय से होने वाली हानि का उपयोग करके जो आप कर लाभ ले सकते हैं, उस लाभ को 2 लाख प्रति वर्ष तक सीमित कर दिया गया है|
यह आपकी सभी आवासीय संपत्तियों के लिए है। इससे पहले, let-out प्रॉपर्टी पर ऐसी कोई सीमा नहीं थी। 2 लाख रुपये की सीमा केवल उस घर ले लिए थी जिसमें आप रहते हैं|
Income from House Property= Net Annual Value (i.e. Rental Income – Municipal Taxes) – Standard Deduction – Interest paid on Housing Loans
घर संपत्ति से आय = शुद्ध वार्षिक मूल्य ( किराये की आय – नगरपालिका कर) – स्टैंडर्ड कटौती – होम लोन पर ब्याज का भुगतान ।
अगर यह आय आपकी शून्य से कम है (loss under Income from House Property), मतलब आपको नुक्सान हुआ है और आप इस नुक्सान को अपनी आमदनी से एडजस्ट कर सकते हैं| ज़ाहिर है, जितना नुकसान आप दिखाएँगे, उतनी ही आपकी कर योग्य आय कम हो जायेगी और आपको कम टैक्स देना होगा|
क्योंकि होम लोन की राशि ज्यादा होती है, ब्याज आपको आसानी से नुकसान में ले जा सकता है| काफी लोग इस बात का फायदा उठाया करते थे| परन्तु अब नहीं| अब केवल 2 लाख रुपये तक ही लाभ ले सकते हैं|
आप इस पहलु के बारे में गहराई से इस पोस्ट (अंग्रेजी) में पढ़ सकते हैं|
हालांकि आपको अगले 8 वर्षों में सेट-ऑफ के लिए नुक्सान को carry forward करने की अनुमति है, परन्तु इसका इतना फायदा भी नहीं है।
#4 आपको मासिक किश्त देनी होगी
यदि आप एक निर्माणाधीन संपत्ति के लिए योजना बना रहे हैं, तो आपको कुछ महीनों या वर्षों के लिए मासिक किश्त (EMI) और किराया दोनों का भुगतान करना होगा। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि क्या आप एक ही समय में दोनों का भुगतान सकते हैं।
आपको यह भी देखना होगा कि आप Pre-EMI या Full-EMI के लिए जाना चाहते हैं।
अगर आप बना हुआ घर भी ले रहे है, तब भी आपकी EMI आपके किराए (जहाँ आप अभी तक रह रहे थे) से काफी ज्यादा हो सकती है
यह सुनिश्चित करें की आप ऐसा कर सकते हैं, वरना बाद में काफी परेशानी हो सकती है|
अगर आपको मासिक किश्त का पता लगाना है, तो आप होम लोन कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं|
#5 लोन लेने के चक्कर में कुछ भी ना खरीद लें, बैंक अधिकारियों से भी रहे सावधान
लोन लेते समय बैंक आपको विभिन्न प्रकार के इंश्योरेंस प्लान बेचने की कोशिश करेंगे| इन सबसे बचें|
बैंक को ऐसे उत्पाद बेचने पर काफी कमीशन मिलता है और बैंक कर्मचारियों के बिक्री लक्ष्य (sales target) भी पूरे होते हैं| मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आपको जीवन बीमा या दुर्घटना बीमा की ज़रुरत नहीं है|
बिलकुल हो सकती है| आपके पास हर समय पर्याप्त बीमा होना चाहिए।
परन्तु आपको यह उत्पाद बैंक से खरीदने का ज़रुरत नहीं है| इसकी दो वजह हैं| पहला तो बैंक से लेने पर आपको बहुत महंगा पडेगा| दूसरा यह की शायद वह प्लान आपकी ज़रुरत के अनुसार न हो
आप एक साधारण टर्म इंश्योरेंस प्लान ले सकते हैं और इसे बैंक को assign कर सकते हैं। बैंक से बीमा खरीदने की कोई जरूरत नहीं है ।
हाँ एक बात और, बैंक आपको ऐसी योजनाओं को खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। कई बार आपसे कहा जा सकता है, की अगर आप उनसे इंश्योरेंस प्लान नहीं खर्रीदेंगे तो आपको लोन नहीं मिलेगा| यह गलत है|
आप बैंक अधिकारियों से ऐसा लिख कर (लिखित में) देने को कहें|
#6 सोचें, समझें और फिर फैसला करें
लोगों को आकर्षित करने के लिए बैंक कई नए प्रकार के लोन ऑफर ले कर आ रहे हैं। आपको यह देखने की ज़रूरत है कि क्या ये उत्पाद आपके लिए उपयोगी हैं या आप सुविधाओं का पूरा उपयोग करने में सक्षम होंगे या नहीं।
यह पता करने की कोशिश करें की आपकी कितनी बचत होगी| अगर आप MS Excel का उपयोग करना जानते हैं, तो यह काम आप भी आसानी से कर सकते हैं|
अन्यथा, अपनी बचत का पता लगाने के लिए मित्र या एडवाइजर की सहायता ले सकते है|
उसके बाद ही फैसला करें|
Source: EMICalculator
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