टैक्स सेविंग सीजन (Tax-saving season) आने वाला है| इस दौरान ईएलएसएस बनाम पीपीएफ (ELSS vs PPF) चर्चा का एक बहुत ही लोकप्रिय विषय है।
कुछ लोग पीपीएफ को बेहतर मानते हैं, तो कुछ ELSS को|
आप किस में निवेश करना पसंद करते हैं? पीपीएफ में या ELSS में या किसी में भी नहीं?
सच बताऊँ तो मुझे यह सवाल काफी अजीब और कुछ स्तर पर गलत लगता है| अगर देखें तो पीपीएफ (PPF) और ईएलएसएस (ELSS) में कोई भी समानता नहीं है|
ईएलएसएस एक इक्विटी उत्पाद है जबकि पीपीएफ एक ऋण उत्पाद है। ELSS is an equity investment whereas PPF is a debt investment.
पीपीएफ के साथ रिटर्न की गारंटी होती है, ईएलएसएस (ELSS) के साथ ऐसी कोई गारंटी नहीं है|
ईएलएसएस(ELSS) निवेश में 3 साल का लॉक-इन है जबकि पीपीएफ 15 वर्षों में परिपक्व होगा |
केवल एक समानता है की दोनों में निवेश करने पर आयकर अधिनियम की धारा 80 सी (Section 80C) के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है|
एक तरह से, लोगों को ईएलएसएस और पीपीएफ के बीच इस दुविधा का सामना करना पड़ता है क्योंकि दोनों में निवेश करने पर समान टैक्स बेनिफिट देते हैं।
अगर दोनों उत्पादों के पास एक जैसे टैक्स बेनिफिट नहीं होते, तो शायद ऐसी दुविधा भी कभी नहीं होती|
इस पोस्ट में, मैं ईएलएसएस और पीपीएफ के बीच एक तुलना करूँगा| साथ ही इस बात पर चर्चा करूंगा की आपको इस सवाल के बारे में कैसे सोचना चाहिए|
इक्विटी लिंक्ड बचत योजना Equity Linked Savings Scheme (ELSS)
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) को आमतौर पर टैक्स-सेविंग इक्विटी म्यूचुअल फंड के रूप में जाना जाता है|
- ELSS एक प्रकार का इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड है|
- ELSS और अन्य इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड में बस इतना अंतर है की ELSS में निवेश करने पर आपको टैक्स बेनिफिट मिलता है और ELSS में 3 वर्ष का lock-in होता है|
- तीन साल का लॉक-इन है | ईएलएसएस फण्ड में हर निवेश तीन साल के लॉक-इन के अधीन है, इसलिए आप 3 साल से पहले अपना पैसा नहीं निकाल सकते।
- ईएलएसएस में निवेश करने पर इनकम टैक्स की धारा 80 सी (Section 80C) के तहत 1.5 लाख तक का टैक्स बेनिफिट मिलता है।
- प्रत्येक वित्तीय वर्ष में ELSS में निवेश की मात्रा पर कोई सीमा नहीं है। आप कितना भी निवेश कर सकते हैं| परन्तु टैक्स बेनिफिट .5 लाख रुपये प्रति वर्ष तक ही सीमित रहेगा।
- इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड 1 वर्ष से पहले बेचने पर होने वाले मुनाफे को Short Term Capital Gain माना जाता है और उस मुनाफे पर आपको 15% टैक्स देना होता है| ELSS आप तीन साल से पहले कुछ बेच ही नहीं सकते| इसीलिए short term capital gain की तो कोई संभावना ही नहीं है|
- इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड 1 वर्ष के बाद बेचने पर होने वाले मुनाफे को Long Term Capital Gain माना जाता है| FY2019 से ऐसे मुनाफे पर आपको 10% टैक्स देना होगा| ELSS पर भी यही नियम लागू होगा| जब आप ELSS यूनिट्स बेचेंगे, तब आपको मुनाफे पर 10% टैक्स देना होगा| म्यूच्यूअल फण्ड बेचने पर लगने वाले टैक्स की अधिक जानकारी के लिए इस पोस्ट को पढ़ें|
- इक्विटी म्यूचुअल फंड से डिविडेंड (dividend) पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होता| परन्तु आपको dividend देने से पहले म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी 10% टैक्स (Dividend Distribution Tax) काट लेती है|
- यदि आप SIP के माध्यम से ईएलएसएस में निवेश कर रहे हैं, तो SIP की हर किश्त तीन साल को लॉक हो जाएगी। 15 जनवरी 2016 को किस्त के माध्यम से खरीदी गई यूनिट्स 16 जनवरी 2019 को या उसके बाद बेचीं जा सकती हैं। 15 फरवरी 2016 को खरीदी गई यूनिट्स 16 फरवरी, 2019 से बेची जा सकती हैं।
- रिटर्न शेयर बाजार से जुड़ा हुआ है और इसकी गारंटी नहीं है।
- Non-resident Indians (NRI) भी ELSS में निवेश कर सकते हैं।
पढ़ें: म्यूच्यूअल फण्ड बेचने पर कितना अक्स देना पड़ता है?
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ)
मैंने अपने कई पोस्ट में पीपीएफ के बारे में बात की है। इसलिए, मैं इस पोस्ट में विस्तार से पीपीएफ को कवर नहीं करूँगा। आप नीचे दी गयी पोस्ट के माध्यम से पीपीएफ के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं|
पढ़ें: PPF खाते के बारे में पूरी जानकारी
पढ़ें: PPF खाते से कैसे लें लोन और किन बातों का रखें ध्यान
पढ़ें: PPF खाता मेच्योर होने पर क्या हैं आपके विकल्प?
पढ़ें: क्या आपको अपने बच्चों के लिए पीपीएफ अकाउंट खोलना चाहिए?
पढ़ें: अब कर सकते हैं 5 साल बाद अपना पीपीएफ खाता बंद
पढ़ें: पीपीएफ में कैसे होती है ब्याज की गणना?
पीपीएफ के बारे में कुछ ख़ास बातें
- पीपीएफ खाता 15 साल बाद मेच्योर होता है।
- परन्तु पीपीएफ निवेश के लिए लॉक-इन अवधि हर साल कम होती जाती है। मतलब की 15 साल पहले निवेश से गिने जाते हैं| हर निवेश 15 साल के लिए लॉक नहीं होता| इसके विपरीत, ईएलएसएस में हर निवेश तीन साल के ताजा लॉक-इन के अधीन होता है|
- इसका मतलब पीपीएफ में पहला निवेश 15 साल को लॉक रहेगा जबकि दसवें साल में किया गया निवेश केवल 5 साल ही लॉक-in में रहेगा| ELSS में हर निवेश को एक सामान 3 वर्ष के लॉक-इन का सामना करना पड़ता है|
- 15 साल की प्रारंभिक परिपक्वता के बाद, आप 5 वर्षों के ब्लॉक में पीपीएफ खाते का विस्तार कर सकते हैं।
- तीसरे वर्ष से आपके पीपीएफ खाते से आप लोन ले सकते हैं। सातवें वर्ष से आंशिक निकासी (partial withdrawal) की अनुमति है|
- कुछ परिस्थितियों में आप अपने खाते को 5 साल के बाद भी बंद कर सकते हैं| परन्तु ऐसा करने पर आपको एक पेनल्टी देनी होगी|
- आप एक वित्तीय वर्ष में अपने पीपीएफ खाते में (और पीपीएफ खातों में जहां आप अभिभावक या guardian हैं) अधिकतम 1.5 लाख रुपये में डाल सकते हैं। अतिरिक्त राशि पर ब्याज नहीं मिलेगा|
- 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर सेक्शन 80 C के तहत टैक्स लाभ मिलता है|
- रिटर्न तय नहीं हैं | हर तिमाही (quarter) के लिए ब्याज दर वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अधिसूचित है|
- NRI पीपीएफ में निवेश नहीं कर सकते|
पीपीएफ या ईएलएसएस (PPF vs ELSS): किस में करें निवेश?
पहले आप को अपने वित्तीय लक्ष्यों (financial goals) के बारे में सोचना चाहिए और उसके बाद फैसला लेना चाहिए| केवल टैक्स सेविंग के बारें में न सोचें|
पीपीएफ और ईएलएसएस के बारे में सोचने से पहले, जांच करें कि आपके पास पर्याप्त जीवन बीमा है या नहीं। यदि आपके पास पर्याप्त जीवन बीमा नहीं है, तो एक टर्म प्लान खरीदें| उसके बाद निवेश के बारे में सोचे| जीवन बीमा खरीदने पर भी टैक्स बेनिफिट मिलता है|
पीपीएफ और ELSS दोनों ही लम्बे समय के निवेश (long term investment) के लिए है| तो अगर आप कम समय के लिए निवेश कर रहे है, तो आप किसी में भी निवेश न करें|
जब आप पहली बार अपना खाता खोलते हैं तो पीपीएफ एक दीर्घकालिक निवेश है | हालांकि, जब आप परिपक्वता के करीब जाते हैं, तो इसका इस्तेमाल अल्पावधि निवेश (short term investment) के रूप में भी किया जा सकता है। परन्तु आपको देखना होगा की आपको ऐसा करने की ज़रुरत है या नहीं|
अपने asset allocation पर ध्यान दें| अगर आप इक्विटी में ज्यादा निवेश कर रहे हैं, तो आप PPF (जो की एक डेब्ट निवेश है) में निवेश कर सकते हैं| अगर आप डेब्ट में ज्यादा कर रहे हैं, तो आप ELSS पर विचार कर सकते हैं| आपको एक संतुलन बना कर चलना चाहिए|
ईएलएसएस(ELSS) भी एक दीर्घकालिक निवेश (long term investment) होता है। लॉक-इन अवधि से अपने आपको आप को ग़लत तरीके से गुमराह न होने दें। भले ही ईएलएसएस निवेश को 3 साल की लॉक-इन अवधि के बाद बेचा जा सकता है, परन्तु आपको ईएलएसएस में तभी निवेश करना चाहिए, जब की आपका निवेश क्षितिज (investment horizon) कम से कम 10 साल है।
यदि सेक्शन 80C की 1.5 लाख की लिमिट ईपीएफ (EPF) आवंटन, जीवन बीमा और होम लोन के भुगतान से पूरी हो चुकी है, तो ईएलएसएस (ELSS) में निवेश करने की कोई जरूरत नहीं है। आप किसी भी इक्विटी फण्ड में निवेश कर सकते हैं|
ध्यान दे ELSS और एक किसी सामान्य इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड में केवल यही अंतर है की ELSS में निवेश करने पर आपको टैक्स बेनिफिट मिलता है| इसीलिए अगर आपके टैक्स बेनिफिट की लिमिट पूरी हो गयी है, तो ईएलएसएस में निवेश करने की कोई ज़रूरत नहीं है।
ध्यान दें पीपीएफ अभी भी एक विचार के योग्य है (भले ही 80 C निवेश की लिमिट पहले से पूरी हो गयी हो)| पीपीएफ एक ऋण उत्पाद के लिए अच्छे रिटर्न प्रदान करता है और 15 साल की प्रारंभिक परिपक्वता अवधि समाप्त हो जाने के बाद बहुत अधिक लचीलापन (flexibility) देता है। साथ ही आप एक साल में 1.5 लाख से ज्यादा जमा नहीं कर सकते| तो अगर आप अपने PPF के बैलेंस को बढ़ाना चाहते हैं, तो आप 1.5 लाख के टैक्स बेनिफिट की लिमिट पूरी होने के बाद भी PPF निवेश कर सकते हैं|
मेरे अनुसार आपको आपको अपने पूरे पोर्टफोलियो को देखना चाहिए| साथ की यह भी देखना चाहिए की आप किस लिए निवेश कर रहे है और आपकी सेक्शन 80C की लिमिट पूरा करने के लिए कितने रुपये की ज़रुरत है|
अपने asset allocation पर भी ध्यान दे| उसके बाद ही कोई निर्णय लें| आप चाहें तो दोनों में भी निवेश कर सकते हैं|
पर हाँ, यदि आप ईएलएसएस में निवेश कर रहे हैं, तो अपने ईएलएसएस फंड में निवेश करने के लिए वित्तीय वर्ष के अंत तक इंतजार न करें। पहले से शुरू करें| एसआईपी (SIP) के माध्यम से पूरे साल नियमित रूप से निवेश करें| पीपीएफ में भी साल की शुरुआत में निवेश करने पर ज्यादा ब्याज मिलेगा|
व्यक्तिगत तौर पर में PPF में निवेश करता हूँ| ELSS में नहीं करता| इक्विटी में निवेश के लिए में सामान्य इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करता हूँ|
आप कहां निवेश करने की योजना बना रहे हैं? पीपीएफ या ईएलएसएस या दोनों में या किसी में नहीं?
पढ़ें: FY2018-2019 में इनकम टैक्स बचाने के 35 तरीके
Source: PersonalFinancePlan.in
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