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Life Insurance claim settlement

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लाइफ इंश्योरेंस कंपनी का लेटेस्ट क्लेम सेटलमेंट रेश्यो (2019)

Last updated: अप्रैल 18, 2019 | by दीपेश Leave a Comment

आप लाइफ इंश्योरेंस पालिसी खरीदने से पहले यह ज़रूर देखना चाहेंगे की जीवन बीमा कंपनी ने कितने क्लेम का भुगतान करती है| यह जानकारी पाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है की आप बीमा कंपनियों के क्लेम सेटलमेंट रेश्यो (claim settlement ratio) को देखें|

जिस कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेश्यो जयादा है, वह कंपनी बेहतर है|

कुछ समय पहले एक पोस्ट में मैंने FY2017 के क्लेम सेटलमेंट रेश्यो (claim settlement ratio) पर चर्चा करी थी| आज मैं FY2018 में जीवन बीमा कंपनी के क्लेम सेटलमेंट रेश्यो के बारे में चर्चा करूंगा| ध्यान दें, हालांकि अभी 2019 (FY2020) चल रहा है, परन्तु यह जानकारी लेटेस्ट है|

जैसा की उस पोस्ट में लिखा था, क्लेम सेटलमेंट रेश्यो को दो तरीकों से देख जा सकता है|

  1. संख्या के अनुसार (Claim Settlement Ratio by Number of Claims)
  2. क्लेम राशि के अनुसार (Claim Settlement Ratio by Benefit Amount)

आईये उदहारण से समझते हैं|

एक बीमा कंपनी के पास 100 क्लेम आये| 90 क्लेम 5 लाख रुपये के थे और बचे हुए 10 क्लेम 1 करोड़ रुपये के थे|

जीवन बीमा कंपनी ने 5 लाख के सारे क्लेम का भुगतान कर दिया| परन्तु 50 लाख के 10 क्लेम में से केवल 5 क्लेम का ही भुगतान किया|

बीमा कंपनी ने 100 में से 95 क्लेम का भुगतान कर दिया| इसलिए क्लेम संख्या के अनुसार claim settlement ratio) हुआ 95%|

क्लेम राशि के अनुसार बीमा कंपनी पर कुल मिला कर 14.5 करोड़ रुपये के क्लेम आये (90 X 5 लाख + 10 X 1 करोड़ रुपये), परन्तु बीमा कंपनी ने केवल 9.5 करोड़ रुपये (90 X 5 लाख + 5 X 1 करोड़ रुपये) का ही भुगतान किया|

अब अगर क्लेम राशि के अनुसार क्लेम सेटलमेंट रेश्यो देखें, तो हुआ 65.5%|

Claim Settlement Ratio by Number of Claims = 95%

Claim Settlement Ratio by Benefit Amount = 65.5%

अगर आप टर्म इंश्योरेंस प्लान लेने जा रहे हैं, तो आप किस क्लेम सेटलमेंट ratio पर ज्यादा ध्यान देंगे| अगर आप एक नयी जीवन बीमा पालिसी लेने जा रहे हैं, तो आप चाहेंगे की आपकी बीमा कंपनी दोनों ही मापदंडों पर अच्छी हो|

साथ ही आप यह भी देखना चाहेंगे की पारित होने वाले क्लेम या रिजेक्ट होने वाले क्लेम की औसत राशि क्या है|

Claim Settlement Ratio of Life Insurance Companies for FY2018 (FY2018 में जीवन बीमा कंपनियों का क्लेम सेटलमेंट रेश्यो)

life insurance company claim settlement ratio 2019
लाइफ इंश्योरेंस कंपनी क्लेम सेटलमेंट रेश्यो
लाइफ इंश्योरेंस कंपनी क्लेम सेटलमेंट FY2018

आप देख सकते हैं की पास हुए क्लेम की औसत राशि रिजेक्ट हुए क्लेम की औसत राशि से काफी कम है| इसका मतलब यह है की बीमा कंपनी बड़े क्लेम की गहराई से जांच करती है| सही बात भी है| अगर आपने पालिसी लेते समय कुछ छुपाया है, तब उस बात के सामने आने की संभावना बढ़ जाती है|

अगर आप पहले ही बीमा पालिसी खरीद चुके हैं और आपकी कंपनी के क्लेम सेटलमेंट रेश्यो कम है,  तब आपको परेशान होने की ज़रुरत नहीं है| अगर आपने पालिसी लेते समय कुछ छुपाया नहीं है, तो बीमा कंपनी आपका क्लेम रिजेक्ट नहीं कर पाएगी|

वैसे भी, अगर आपकी जीवन बीमा पालिसी 3 वर्ष से पुरानी है, तब इंश्योरेंस कंपनी आपका क्लेम रिजेक्ट नहीं कर सकती| जीवन बीमा खरीदते समय इंशोयरेंस कम्पनी को सब कुछ सही-सही बताएं| अपने स्वास्थ्य के बारे में पूरी और सही जानकारी दें| ऐसा करने पर आपके क्लेम रिजेक्ट होने की संभावना बहुत कम रहेगी|

सौजन्य: www.PersonalFinancePlan.in

Filed Under: Financial Planning, LIC, Life Insurance Tagged With: claim settlement ratio in hindi, IRDA claim settlement life insurance companies, Life Insurance claim settlement, क्लेम सेटलमेंट रेश्यो, क्लेम सेटलमेंट रेश्यो 2019

Claim Settlement Ratio for FY2017 (Life Insurance): कौनसी है बेस्ट लाइफ इंश्योरेंस कंपनी?

by दीपेश 2 Comments

IRDA ने वित्तीय वर्ष 2017 (FY2016-2017) के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट (Annual Report) जारी कर दी है।

उस रिपोर्ट में FY2017 के लिए लाइफ इंश्योरेंस कंपनी (जीवन बीमा कंपनी) के क्लेम सेटलमेंट रेश्यो (claim settlement ratio) के बारे में भी जानकारी है|

क्लेम सेटलमेंट रेश्यो (Claim Settlement Ratio of Life Insurance Company) क्या होता है?

इससे यह पता चलता है की इंश्योरेंस कंपनी से पिछले साले आये हुए दावों (claim) में से कितने क्लेम का भुगतान किया और कितनों को रिजेक्ट कर दिया|

तो मान लिए एक कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेश्यो 80% है, तो इसका मतलब यह हुआ की कंपनी ने 80% दावों (क्लेम) का भुगतान किया और 20% क्लेम को रिजेक्ट कर दिया|

जाहिर है, जितना अधिक क्लेम सेटलमेंट रेश्यो (claim settlement ratio) होगा, उतना ही बेहतर है|

क्लेम सेटलमेंट रेश्यो (claim settlement ratio) दो तरीकों से देखा जा सकता है

  1. संख्या के अनुसार (Claim Settlement Ratio by Number of Claims)
  2. क्लेम राशि के अनुसार (Claim Settlement Ratio by Benefit Amount)

आईये उदहारण से समझते हैं|

एक बीमा कंपनी के पास 100 क्लेम आये|

90 क्लेम 5 लाख रुपये के थे और बचे हुए 10 क्लेम 50 लाख रुपये के थे|

अब मान लिए जीवन बीमा कंपनी ने 5 लाख के सारे क्लेम का भुगतान कर दिया|

परन्तु 50 लाख के 10 क्लेम में से केवल 5 क्लेम का ही भुगतान किया|

अब संख्या के अनुसार देखें, तो बीमा कंपनी ने 100 में से 95 क्लेम का भुगतान कर दिया, तो क्लेम संख्या के अनुसार claim settlement ratio) हुआ 95%|

क्लेम राशि के अनुसार बीमा कंपनी पर कुल मिला कर 9.5 करोड़ रुपये के क्लेम आये (90 X 5 लाख + 10 X 50 लाख रुपये), परन्तु बीमा कंपनी ने केवल 7 करोड़ रुपये (90 X 5 लाख + 5 X 50 लाख रुपये) का ही भुगतान किया|

अब अगर क्लेम राशि के अनुसार क्लेम सेटलमेंट रेश्यो देखें, तो हुआ 73.6%

Claim Settlement Ratio by Number of Claims = 95%

Claim Settlement Ratio by Benefit Amount = 73.6%

अब IRDA की रिपोर्ट में यह दोनों ही नंबर होते हैं, तो आप किस नंबर पर ज्यादा ध्यान देंगे|

अगर आप एक नई जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो क्या आप दूसरे नंबर पर विचार नहीं करेंगे?

इस बात में कोई दोराय नहीं की आप चाहेंगे की यह दोनों की नंबर अच्छे हों|

Claim Settlement Ratio of Life Insurance Companies for FY2017 (FY2017 के लिए जीवन बीमा कंपनियों का क्लेम सेटलमेंट रेश्यो)

आइए साल 2017 के आंकड़ों को देखते हैं। (Source: www.PersonalFinancePlan.in)

2017 2018 जीवन बीमा कंपनी क्लेम सेटलमेंट claim settlement ratio 2018

 

2017 2018 जीवन बीमा कंपनी क्लेम सेटलमेंट claim settlement ratio 2018 बेस्ट लाइफ इंश्योरेंस कंपनी

2017 2018 जीवन बीमा कंपनी क्लेम सेटलमेंट claim settlement ratio 2018 बेस्ट टर्म इंश्योरेंस प्लान

 

वित्त वर्ष 2016-2017 के जीवन बीमा कंपनियों के Claim Settlement Ratio से क्या बात स्पष्ट है?

आप देख सकते हैं की क्लेम राशि के सन्दर्भ में क्लेम सेटलमेंट रेश्यो कम है| Claim Settlement Ratio by Number of Claims is better than Claims Settlement Ratio by Benefit Amount.

अब यह जान कर आपको आश्चर्य नहीं होगा की जो क्लेम सेटलमेंट रेश्यो आप विज्ञापनों में पढ़ते हैं, वह क्लेम सेटलमेंट क्लेम की संख्या के अनुसार होता है| Claim Settlement Ratio by Number of Claims is typically advertised. ऐसा इसलिए क्योंकि यह नंबर बेहतर होता है|

ऐसा प्रतीत होता है कि ज्यादा बीमा राशि वाले काफी क्लेम रिजेक्ट किये गए हैं| हो सकता है की टर्म इंशोयरेंस प्लान के तहत आये क्लेम भी काफी रिजेक्ट हो रहे हों|

स्वीकृत क्लेम (जिन क्लेम का भुगतान लिया गया) की औसत राशि (average size of accepted claim) अस्वीकृत क्लेम (जिन क्लेम को रिजेक्ट कर दिया गया) के मुकाबले कम है।

पर एक बात का ध्यान दे| आप एक बीमा कंपनी से एक बड़े क्लेम में ज्यादा जांच पड़ताल की उम्मीद कर सकते हैं|

साथ ही, अगर कोई पालिसी खरीदते समय कुछ धोखाधड़ी (fraud या कोई ज़रूरी जानकारी छिपाना) का इरादा रखता है, तो ऐसा व्यक्ति बड़ी राशि की पालिसी ही खरीदेगा|

पर जीवन बीमा कंपनी को भी क्लीन चिट न दें| हो सकता है की बीमा कंपनी का रुझान भी बड़े क्लेम के रिजेक्ट करने की तरफ ज्यादा हो|

ध्यान दे यह जानकारी केवल जीवन बीमा कंपनियों की है| इसमें हेल्थ इंश्योरेंस के क्लेम के बारे में कोई जानकारी नहीं है|

बेहतर होता की हमें विभिन्न प्रकार की पालिसी (टर्म इंश्योरेंस प्लान, पारंपरिक जीवन बीमा प्लान और यूलिप)के लिए अलग-अलग क्लेम सेटलमेंट की जानकारी दी गयी होती| पर ऐसा नहीं है|

पढ़ें: कौन से हैं 5 सर्वश्रेष्ठ टर्म लाइफ इंश्योरेंस प्लान? 5 Best Term Insurance Plan

इस जानकारी का आप किस तरीके से प्रयोग कर सकते हैं?

अगर आप एक नयी पालिसी लेने जा रहे हैं, तो आप चाहेंगे की उसका क्लेम सेटलमेंट रेश्यो संख्या और क्लेम राशि दोनों के अनुसार अच्छा हो|

अगर दोनों ratio (अनुपातों) में काफी अंतर है, तो आपको थोडा सोचना पड़ेगा|

देखिये किसी एक साल ऐसा होता है, तो चलता है| क्योंकि हो सकता है की कोई बड़े क्लेम वाले fraud केस आ गया हो|

पर अगर हर साल ऐसा होता हैं, तो परेशानी का विषय है|

ऐसी स्तिथि में कुछ तो गलत है| या फिर तो इंश्योरेंस कंपनी बेचते समय कुछ गड़बड़ी करती है, या क्लेम के भुगतान के समय| आपको सतर्क होने की ज़रुरत है|

एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ (HDFC Standard Life) के उदहारण पर एक नजर डाले।

एचडीएफसी स्टैण्डर्ड लाइफ इंश्योरेंस

हर साल काफी अंतर है|  ध्यान दें HDFC Standard Life  इकलौती कंपनी नहीं है की जहाँ अंतर काफी ज्यादा है| और भी कंपनी है|

Insurance Amendment Act, 2015 में आपको कुछ राहत मिल सकती है

यदि आपकी पॉलिसी 3 वर्ष से अधिक पुरानी है तो जीवन बीमा कंपनियां आपके दावे को अस्वीकार (रिजेक्ट) नहीं कर सकती हैं।

इसका मतलब है, एक बार आपकी जीवन बीमा पॉलिसी 3 साल पुरानी हुई, तो बीमा कंपनी किसी भी कारण से आपके क्लेम को रिजेक्ट नहीं कर सकती|

ऐसी स्तिथि में क्लैम सेटलमेंट रेश्यो की अहमियत थोड़ी कम हो जाती है|

हालांकि, अगर आप एक नई टर्म इंश्योरेंस प्लान लेने की योजना बना रहे हैं, तो बेहतर होगा की ऐसी कंपनी के साथ जाएँ जिसके दोनों claim settlement ratio अच्छे हैं| ध्यान दें मृत्यु पालिसी लेने के तीन वर्ष के भीतर भी हो सकती है|

इस विषय में आप विस्तार से इस पोस्ट में पढ़ सकते हैं|

पढ़ें: अगर आपकी जीवन बीमा पालिसी 3 साल पुरानी है, तो क्लेम रिजेक्ट नहीं होगा

Source: PersonalFinancePlan.in

Filed Under: Financial Planning, Life Insurance Tagged With: claim settlement ratio in hindi, IRDA claim settlement life insurance companies, Life Insurance, Life Insurance claim settlement, term life insurance

आपका claim reject नहीं होगा अगर आपकी जीवन बीमा (Life Insurance) पालिसी 3 साल पुरानी है

Last updated: सितम्बर 14, 2017 | by दीपेश 10 Comments

कोई भी इंश्योरस पालिसी खरीदते समय सबसे बड़ी शंका लोगों के मन में यह रहती है की कई साल प्रीमियम का भुगतान करने के बावजूद अगर इंश्योरंस कंपनी ने आपके claim को अस्वीकार (reject) कर दिया, तो आप क्या करेंगे?

और इसी शंका के चलते काफी लोग जीवन और स्वास्थ्य बीमा (life and health insurance) नहीं खरीदते हैं| खासकर टर्म लाइफ इंश्योरंस (Term Life Insurance).

सच बताऊँ तो इंश्योरंस कंपनियों का रिकॉर्ड भी आपको कुछ ज्यादा भरोसा नहीं दिलाता. आये दिन आप न्यूज़ पेपर या मेग्ज़िन्स में पढेंगे की किस तरह बिना किसी वजह insurance company मे claim reject कर दिया|

इंश्योरंस कंपनियों पर विश्वास करना मुश्किल होता है| अगर वह किसी भी तरह आपका claim reject कर सकते हैं, तो कर देंगे|

इसी वजह से काफी लोग LIC (Life Insurance Company) में ज्यादा विश्वास करते हैं और प्राइवेट इंश्योरंस कंपनियों को भेड़िया समझते है|

Amendment in Insurance Act (बीमा अधिनियम में संशोधन)

शायद सरकार को इस बात का अंदेशा था| इसी वजह से सरकार ने 2014-2015 में Insurance Act, 1938 में एक संशोधन (Amendment) कर दिया|

अब अगर आपकी जीवन बीमा पालिसी (life insurance policy) 3 साल पुरानी है, तो इंश्योरंस कंपनी आपका life इंश्योरेंस claim reject (अस्वीकार) नहीं कर सकती|

आइये देखते हैं क्या लिखा है कानून में| सेक्शन 45 में लिखा है:

(1) No policy of life insurance shall be called in question on any ground whatsoever after the expiry of three years from the date of the policy, i.e., from the date of issuance of the policy or the date of commencement of risk or the date of revival of the policy or the date of the rider to the policy, whichever is later.

(2) A policy of life insurance may be called in question at any time within three years from the date of issuance of the policy or the date of commencement of risk or the date of revival of the policy or the date of the rider to the policy, whichever is later, on the ground of fraud:

इक मतलब साफ़ है, चाहे आपने पालिसी खरीदते समय झूट बोला हो या कुछ बताना भूल गायें हों, अगर आपको Life Insurance Policy लिए 3 साल हो गए हैं, तो इंश्योरंस कंपनी को claim स्वीकार (settle) करना होगा|

तो इंश्योरंस कंपनी के पास तीन साल हैं किसी भी बात का पता लगाने के लिए|

इस अधिनियम (एक्ट) की कॉपी आपको IRDA की website पर मिल जायेगी|

इससे आपको क्या फायदा होगा?

काफी फायदा होगा|

अगर आपकी पालिसी तीन साल से ज्यादा पुरानी है, तो में उम्मीद करता हूँ की आपका claim काफी जल्दी process (pass) हो जाएगा|

अगर जीवन बीम पालिसी को तीन साल हो गए हैं, तो इंश्योरंस कंपनी के हाथ बंधे हुए हैं| उन्हें claim pass करना ही होगा|

तो आप उम्मीद कर सकते हैं की claim rejection कम हो जायेंगे|

पालिसी धारक को भी कम चिंता करने की ज़रुरत है|

शायद लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री में उनका विश्वास बढ़ सकता है|

ध्यान रखें

यह संशोधन केवल जीवन बीमा (Life Insurance) पालिसी के लिए है|

यह लाभ आपको स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) के लिए नहीं मिलेगा|

Insurance Act (बीमा अधिनियम) में यह संशोधन (Amendment) मार्च 2015) में लाया गया था|

और यह संशोधन 26 December, 2014 से लागू माना जाएगा|

अगर आपने अपनी पालिसी 26 December 2014 से पहले खरीदी थी, तो मेरे लिए यह कहना कठिन है की आपको इस संशोधन के लाभ मिलेगा की नहीं|

हो सकते है मिले या फिर न मिले| शायद जब कोई केस कोर्ट जाएगा तब ही पता चलेगा|

मैं कोई कानूनी विशेषज्ञ नहीं हूँ और इस बात पर टिप्पणी नहीं करूँगा| आप किसी कानूनी जानकार से बात करके इस बात पर स्पष्टता मांग सकते हैं|

क्या आप पालिसी खरीदते समय कोई बात छुपा सकते हैं?

कुछ लोगों से जब मैंने इस बारे में बात करी तो उनका पहला सवाल था की क्या वह लोग जीवन बीमा लेते समय अपनी किसी बीमारी के बारे में इंश्योरंस कंपनी से छुपा सकते हैं|

उनकी सोच थी की इस संशोधन के बाद अगर किसी तरह तीन साल निकल गए तो फिर इंश्योरंस कामनी कुछ नहीं कर पाएगी और उसे आपके इंश्योरंस claim का पेमेंट करना होगा|

बीमारी छुपाने से आपको शायद प्रीमियम भी कम देना पड़े|

यह सोच गलत है और खतरनाक भी|

पहली बात अगर आपकी मृत्यु पालिसी लेने के तीन वर्षों के अन्दर हो जाती है और इंश्योरंस कंपनी को पता चलता है की आपने अपनी बिमारी छुपायी थी, तो वह आपके claim को reject (अस्वीकार) कर देगी|

ऐसा होने पर आपका परिवार क्या करेगा? ऐसे समय में परिवार वैसे ही इतने तनाव में रहता है| आप एक और परेशानी उनके सर छोड़ जायेंगे|

अगर मृत्यु तीन साल बाद भी होती है और इंश्योरंस कंपनी को पता चलता है, तो वह कहीं न कहीं केस अटका सकते हैं| आपको कोर्ट जाना पड़ सकता है| और क्या पता सभी तथ्यों को जानने के कोर्ट आपके विरुद्ध (against) फैसला सुना दे|

Insurance एक contract (अनुबंध) है|

बशर्ते इंश्योरंस कंपनी या एजेंट इमानदार न हो, आपको पूरी इमानदारी से सारी जानकारी इंश्योरंस company को देनी चाहिए पालिसी खरीदते समय|

यह बदलाव आपके परिवार की आर्थिक सुरक्षा के लिए बहुत ही लाभकारी है|

परन्तु इस संशोधन का गलत फायदा उठाने की कोशिश न करें| आप अपने परिवार को बड़ी परेशानी में डाल सकते हैं|

और पढ़ें: Life Insurance Companies cannot reject claim after 3 years

Filed Under: Life Insurance Tagged With: Insurance Amendment Act 2015, Life Insurance, Life Insurance claim settlement

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