IRDA ने वित्तीय वर्ष 2017 (FY2016-2017) के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट (Annual Report) जारी कर दी है।
उस रिपोर्ट में FY2017 के लिए लाइफ इंश्योरेंस कंपनी (जीवन बीमा कंपनी) के क्लेम सेटलमेंट रेश्यो (claim settlement ratio) के बारे में भी जानकारी है|
क्लेम सेटलमेंट रेश्यो (Claim Settlement Ratio of Life Insurance Company) क्या होता है?
इससे यह पता चलता है की इंश्योरेंस कंपनी से पिछले साले आये हुए दावों (claim) में से कितने क्लेम का भुगतान किया और कितनों को रिजेक्ट कर दिया|
तो मान लिए एक कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेश्यो 80% है, तो इसका मतलब यह हुआ की कंपनी ने 80% दावों (क्लेम) का भुगतान किया और 20% क्लेम को रिजेक्ट कर दिया|
जाहिर है, जितना अधिक क्लेम सेटलमेंट रेश्यो (claim settlement ratio) होगा, उतना ही बेहतर है|
क्लेम सेटलमेंट रेश्यो (claim settlement ratio) दो तरीकों से देखा जा सकता है
- संख्या के अनुसार (Claim Settlement Ratio by Number of Claims)
- क्लेम राशि के अनुसार (Claim Settlement Ratio by Benefit Amount)
आईये उदहारण से समझते हैं|
एक बीमा कंपनी के पास 100 क्लेम आये|
90 क्लेम 5 लाख रुपये के थे और बचे हुए 10 क्लेम 50 लाख रुपये के थे|
अब मान लिए जीवन बीमा कंपनी ने 5 लाख के सारे क्लेम का भुगतान कर दिया|
परन्तु 50 लाख के 10 क्लेम में से केवल 5 क्लेम का ही भुगतान किया|
अब संख्या के अनुसार देखें, तो बीमा कंपनी ने 100 में से 95 क्लेम का भुगतान कर दिया, तो क्लेम संख्या के अनुसार claim settlement ratio) हुआ 95%|
क्लेम राशि के अनुसार बीमा कंपनी पर कुल मिला कर 9.5 करोड़ रुपये के क्लेम आये (90 X 5 लाख + 10 X 50 लाख रुपये), परन्तु बीमा कंपनी ने केवल 7 करोड़ रुपये (90 X 5 लाख + 5 X 50 लाख रुपये) का ही भुगतान किया|
अब अगर क्लेम राशि के अनुसार क्लेम सेटलमेंट रेश्यो देखें, तो हुआ 73.6%
Claim Settlement Ratio by Number of Claims = 95%
Claim Settlement Ratio by Benefit Amount = 73.6%
अब IRDA की रिपोर्ट में यह दोनों ही नंबर होते हैं, तो आप किस नंबर पर ज्यादा ध्यान देंगे|
अगर आप एक नई जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो क्या आप दूसरे नंबर पर विचार नहीं करेंगे?
इस बात में कोई दोराय नहीं की आप चाहेंगे की यह दोनों की नंबर अच्छे हों|
Claim Settlement Ratio of Life Insurance Companies for FY2017 (FY2017 के लिए जीवन बीमा कंपनियों का क्लेम सेटलमेंट रेश्यो)
आइए साल 2017 के आंकड़ों को देखते हैं। (Source: www.PersonalFinancePlan.in)
वित्त वर्ष 2016-2017 के जीवन बीमा कंपनियों के Claim Settlement Ratio से क्या बात स्पष्ट है?
आप देख सकते हैं की क्लेम राशि के सन्दर्भ में क्लेम सेटलमेंट रेश्यो कम है| Claim Settlement Ratio by Number of Claims is better than Claims Settlement Ratio by Benefit Amount.
अब यह जान कर आपको आश्चर्य नहीं होगा की जो क्लेम सेटलमेंट रेश्यो आप विज्ञापनों में पढ़ते हैं, वह क्लेम सेटलमेंट क्लेम की संख्या के अनुसार होता है| Claim Settlement Ratio by Number of Claims is typically advertised. ऐसा इसलिए क्योंकि यह नंबर बेहतर होता है|
ऐसा प्रतीत होता है कि ज्यादा बीमा राशि वाले काफी क्लेम रिजेक्ट किये गए हैं| हो सकता है की टर्म इंशोयरेंस प्लान के तहत आये क्लेम भी काफी रिजेक्ट हो रहे हों|
स्वीकृत क्लेम (जिन क्लेम का भुगतान लिया गया) की औसत राशि (average size of accepted claim) अस्वीकृत क्लेम (जिन क्लेम को रिजेक्ट कर दिया गया) के मुकाबले कम है।
पर एक बात का ध्यान दे| आप एक बीमा कंपनी से एक बड़े क्लेम में ज्यादा जांच पड़ताल की उम्मीद कर सकते हैं|
साथ ही, अगर कोई पालिसी खरीदते समय कुछ धोखाधड़ी (fraud या कोई ज़रूरी जानकारी छिपाना) का इरादा रखता है, तो ऐसा व्यक्ति बड़ी राशि की पालिसी ही खरीदेगा|
पर जीवन बीमा कंपनी को भी क्लीन चिट न दें| हो सकता है की बीमा कंपनी का रुझान भी बड़े क्लेम के रिजेक्ट करने की तरफ ज्यादा हो|
ध्यान दे यह जानकारी केवल जीवन बीमा कंपनियों की है| इसमें हेल्थ इंश्योरेंस के क्लेम के बारे में कोई जानकारी नहीं है|
बेहतर होता की हमें विभिन्न प्रकार की पालिसी (टर्म इंश्योरेंस प्लान, पारंपरिक जीवन बीमा प्लान और यूलिप)के लिए अलग-अलग क्लेम सेटलमेंट की जानकारी दी गयी होती| पर ऐसा नहीं है|
पढ़ें: कौन से हैं 5 सर्वश्रेष्ठ टर्म लाइफ इंश्योरेंस प्लान? 5 Best Term Insurance Plan
इस जानकारी का आप किस तरीके से प्रयोग कर सकते हैं?
अगर आप एक नयी पालिसी लेने जा रहे हैं, तो आप चाहेंगे की उसका क्लेम सेटलमेंट रेश्यो संख्या और क्लेम राशि दोनों के अनुसार अच्छा हो|
अगर दोनों ratio (अनुपातों) में काफी अंतर है, तो आपको थोडा सोचना पड़ेगा|
देखिये किसी एक साल ऐसा होता है, तो चलता है| क्योंकि हो सकता है की कोई बड़े क्लेम वाले fraud केस आ गया हो|
पर अगर हर साल ऐसा होता हैं, तो परेशानी का विषय है|
ऐसी स्तिथि में कुछ तो गलत है| या फिर तो इंश्योरेंस कंपनी बेचते समय कुछ गड़बड़ी करती है, या क्लेम के भुगतान के समय| आपको सतर्क होने की ज़रुरत है|
एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ (HDFC Standard Life) के उदहारण पर एक नजर डाले।
हर साल काफी अंतर है| ध्यान दें HDFC Standard Life इकलौती कंपनी नहीं है की जहाँ अंतर काफी ज्यादा है| और भी कंपनी है|
Insurance Amendment Act, 2015 में आपको कुछ राहत मिल सकती है
यदि आपकी पॉलिसी 3 वर्ष से अधिक पुरानी है तो जीवन बीमा कंपनियां आपके दावे को अस्वीकार (रिजेक्ट) नहीं कर सकती हैं।
इसका मतलब है, एक बार आपकी जीवन बीमा पॉलिसी 3 साल पुरानी हुई, तो बीमा कंपनी किसी भी कारण से आपके क्लेम को रिजेक्ट नहीं कर सकती|
ऐसी स्तिथि में क्लैम सेटलमेंट रेश्यो की अहमियत थोड़ी कम हो जाती है|
हालांकि, अगर आप एक नई टर्म इंश्योरेंस प्लान लेने की योजना बना रहे हैं, तो बेहतर होगा की ऐसी कंपनी के साथ जाएँ जिसके दोनों claim settlement ratio अच्छे हैं| ध्यान दें मृत्यु पालिसी लेने के तीन वर्ष के भीतर भी हो सकती है|
इस विषय में आप विस्तार से इस पोस्ट में पढ़ सकते हैं|
पढ़ें: अगर आपकी जीवन बीमा पालिसी 3 साल पुरानी है, तो क्लेम रिजेक्ट नहीं होगा
Source: PersonalFinancePlan.in
virendra shukla says
agar lic ek se jyada hai yani 3,4 to kya sabhi me death claim milega ?
दीपेश says
जी हाँ, सभी पालिसी में death बेनेफ्ती मिलेगा|