इलाज़ का खर्चा बढ़ता जा रहा है| अगर अस्पताल में भारती होना पड़े, तो लम्बे बिल का खतरा रहता है| ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं है जहाँ अस्पताल के बिल ने परिवार की आर्थिक स्तिथि खराब कर दी हो| ऐसे में आप क्या कर सकते हैं?
आज दो विकल्पों पर चर्चा करते हैं: हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) और मेडिकल लोन|
दोनों में कुछ अच्छी और बुरी बातें हैं| देखते हैं कौन सा हाँ बेहतर विकल्प|
हेल्थ इंश्योरेंस लेने में क्या समस्याएं हैं?
हेल्थ इन्श्योरेंस में आप हर वर्ष कुछ प्रीमियम देते हैं| अगर असपताल में भारती होते हैं, तो बीमा कंपनी इलाज़ का खर्चा उठाती है| अगर क्लेम नहीं किया, तो प्रीमियम वापिस नहीं किया जाता| जानते हैं क्या हैं परेशानियां|
- आप प्रीमियम का भुगतान करते रहते हैं| ऐसा हो सकता है की कई वर्षों तक आपको क्लेम न करना पड़े| आपको लगेगा की आपका अनेक वर्षों का प्रीमियम बेकार गया|
- हर साल प्रीमियम बढ़ा दिया जाता है| कई बार प्रीमियम एक वर्ष में 30-40% तक भी बढ़ सकता है| अगर किसी वजह आप प्रीमियम नहीं दे पाए, तो पूरी मेहनत बेकार| अगर आप कभी क्लेम भी नहीं किया, तो सारा पुराना प्रीमियम भी बेकार चला गया|
- इंश्योरेंस कंपनी पर भरोसा करना भी मुश्किल है| आपने कई वर्षों तक प्रीमियम का भुगतान किया, जब क्लेम की बारी आई, तो कोई फ़ालतू कारण बताकर क्लेम रिजेक्ट कर दिया|
- इंशोयरेंस कंपनी कई अन्य तरीकों से भी बदमाशी करती हैं| आपके पास सस्ता इंश्योरेंस प्लान है, तो वह उसे बंद करके आपको कोई नया महंगा प्लान खरीदने के लिए दबाव डालेंगी|
- बुज़ुर्ग लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने में परेशानी रहती है| साथ ही, अगर आपको कोई पहले से बीमारी (pre-existing illness) है, तो स्वास्थ्य बीमा मिलने में परेशानी रहेगी| बीमा कंपनी आपकी एप्लीकेशन रिजेक्ट कर देगी या प्रीमियम बहुत अधिक होगा|
- अस्पताल के कुछ तरह के खर्चों का भुगतान बीमा कंपनी द्वारा नहीं किया जाता| इनका भुगतान आपको अपनी जेब से करना होगा|
पढ़ें: कौनसी है बेस्ट हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी? (हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम सेटलमेंट रेश्यो की जानकारी)
मेडिकल लोन के क्या फायदे और नुकसान हैं?
मेडिकल लोन एक तरह का पर्सनल लोन ही होता है| बस समझ लिए की लोन की राशि आपकी बैंक खाते में आने की बजाय सीधे अस्पताल को भेजी जाती है| कुछ मेडिकल लोन में राशि आपके खातें में भी आ सकती है|
मेडिकल लोन आप केवल ज़रुरत पड़ें पर ही लेंगे| आपको हर वर्ष प्रीमियम देने की आवश्यकता नहीं है| कुछ मामलों में आपको अस्पताल के बिल पर कुछ डिस्काउंट भी मिल सकता है| ब्याज की दर एक पर्सनल लोन से कम हो सकती है|
अगर इलाज़ के खर्चे की लिए पैसे की ज़रुरत है, तब आप मेडिकल लोन ले सकते हैं| मेडिकल लोन के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस पोस्ट को पढ़ें|
अब सवाल आता है, किस पर भरोसा करें, हेल्थ इंश्योरेंस पर या मेडिकल लोन पर?
मेडिकल लोन और हेल्थ इंश्योरेंस में क्या बेहतर है?
मेरे अनुसार हेल्थ इंश्योरेंस (स्वास्थ्य बीमा) लेना एक बेहतर विकल्प है|
आईये देखते हैं क्यों|
मैं मानता हूँ की अगर आप कई वर्षों तक क्लेम ने करें, तब आपको महसूस होगा की आपका प्रीमियम व्यर्थ गया| इससे बेहतर तो आपने यह पैसा कहीं निवेश कर दिया होता और कुछ रिटर्न पाए होते| समय पड़ने पर आप इस पैसे को निकाल कर चिकित्सा पर खर्च भी कर सकते हैं| परन्तु, यहाँ एक समस्या है| ज़िन्दगी का कोई भरोसा नहीं| आपने 10 वर्ष तक 20,000 रुपये का प्रीमियम दिया और 11वें पर में सीधे 5 लाख रुपये का क्लेम करने की ज़रुरत पड़ है| ऐसा होने पर शायद आपको अपना पिछले 10 वर्ष का प्रीमियम इतना व्यर्थ नहीं लगेगा|
अगर आपने प्रीमियम देने की बजाय यह पैसा निवेश किया होता, तब आप इस पैसे का इलाज़ में इस्तेमाल कर सकते थे| परन्तु यह पैसा एक बार खर्च हो गया, तो खत्म हो जाएगा| हेल्थ इंश्योरेंस की सीमा हर वर्ष रिसेट (reset) हो जाती है| मतलब की आप आगे भी क्लेम कर सकते हैं| उदहारण की सहायता से समझते हैं|
आपके पास 5 लाख रुपये का बीमा है| आपके पालिसी 1 जून, 2018 को खरीदी| आपका पालिसी वर्ष हुआ 1 जून से 31 मई| आप एक पालिसी वर्ष में पूरे 5 लाख रुपये का क्लेम कर लेते हैं| इस पालिसी वर्ष में आप कोई और क्लेम नहीं कर पायेंगे क्योंकि आपकी बीमा की सीमा खत्म हो गयी है| आपका पालिसी वर्ष 31 मई, 2019 को समाप्त हो जाएगा| 1 जून, 2019 से आपकी लिमिट फिर से रिसेट (reset) हो जायेगी| इसका मतलब आप 1 जून, 2019 से फिर से 5 लाख तक रुपये तक का क्लेम कर सकते हैं| ऐसा हर वर्ष होता रहेगा| अगर आप प्रीमियम देने की बजाय पैसा जमा किया होता, तब वह पैसा तो खत्म हो गया होता| आगे आपक क्या करते?
कई बार ऐसी बीमारी भी हो जाती है, जहाँ आपको बार-बार अस्पताल में भारती होना पड़ता है और खर्चा आता रहता है| ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस पालिसी बहुत लाभकारी हो सकती है|
मेडिकल लोन में केवल आपको पैसा उधार मिलता है| यह पैसा आपको ब्याज समेत चुकाना भी होगा| ब्याज की दर अधिक भी हो सकती है| साथ ही, इस बात की भी क्या गारंटी है की आपको मेडिकल/ लोन मिल ही जाएगा| अगर आपको ज़रुरत पड़ने पर मेडिकल लोन नहीं मिला, तब आप क्या करेंगे? आपका या परिवारजन का इलाज़ कैसे होगा? अगर कोई ऐसी बीमारी होती है, जहां बार-बार अस्पताल में भारती होना पड़े, तो कितनी बार लोन लेंगे और कैसे भुगतान करेंगे|
ध्यान दें हेल्थ इंश्योरेंस में आपको केवल प्रीमियम देना होता है| क्लेम का भुगतान बीमा कंपनी करती है और आपको उसे कुछ लौटाना नहीं होता| मेडिकल लोन में आपने 5 लाख का लोन लिया, तो आपको 5.5 लाख रुपये (लौटाने भी होंगे)|
हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के भुगतान पर टैक्स बेनिफिट मिलते हैं| मेडिकल लोन के भुगतान पर कोई टैक्स बेनिफिट नहीं मिलता|
पढ़ें: बीमा खरीदते समय इन गलतियों से बचें?
आपको क्या करना चाहिए?
मेरे अनुसार आपके पास हेल्थ इंश्योरेंस हों चाहिए| अगर आपका एम्प्लायर आपको बीमा प्रदान करता है, तब आप कुछ राहत ले सकते हैं| परन्तु ध्यान रखें एम्प्लायर द्वारा प्रदान किया गया बीमा केवल तभी तक होता है, जब तक आप नौकरी कर रहे हैं|
साथ ही थोड़ा सा पैसा जमा करते रहे और एक मेडिकल फण्ड (medical fund) बनाएं| यह पैसा आप फिक्स्ड डिपाजिट या लिक्विड फण्ड में रख सकते हैं| ज़रुरत पड़ने पर आप मेडिकल इंश्योरेंस के साथ-साथ इसका इस्तेमाल भी कर सकते हैं| मेडिकल लोन पर भरोसा करना अच्चा विकल्प नहीं है|
सौजन्य: EmiCalculator.net
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