कोई भी इंश्योरस पालिसी खरीदते समय सबसे बड़ी शंका लोगों के मन में यह रहती है की कई साल प्रीमियम का भुगतान करने के बावजूद अगर इंश्योरंस कंपनी ने आपके claim को अस्वीकार (reject) कर दिया, तो आप क्या करेंगे?
और इसी शंका के चलते काफी लोग जीवन और स्वास्थ्य बीमा (life and health insurance) नहीं खरीदते हैं| खासकर टर्म लाइफ इंश्योरंस (Term Life Insurance).
सच बताऊँ तो इंश्योरंस कंपनियों का रिकॉर्ड भी आपको कुछ ज्यादा भरोसा नहीं दिलाता. आये दिन आप न्यूज़ पेपर या मेग्ज़िन्स में पढेंगे की किस तरह बिना किसी वजह insurance company मे claim reject कर दिया|
इंश्योरंस कंपनियों पर विश्वास करना मुश्किल होता है| अगर वह किसी भी तरह आपका claim reject कर सकते हैं, तो कर देंगे|
इसी वजह से काफी लोग LIC (Life Insurance Company) में ज्यादा विश्वास करते हैं और प्राइवेट इंश्योरंस कंपनियों को भेड़िया समझते है|
Amendment in Insurance Act (बीमा अधिनियम में संशोधन)
शायद सरकार को इस बात का अंदेशा था| इसी वजह से सरकार ने 2014-2015 में Insurance Act, 1938 में एक संशोधन (Amendment) कर दिया|
अब अगर आपकी जीवन बीमा पालिसी (life insurance policy) 3 साल पुरानी है, तो इंश्योरंस कंपनी आपका life इंश्योरेंस claim reject (अस्वीकार) नहीं कर सकती|
आइये देखते हैं क्या लिखा है कानून में| सेक्शन 45 में लिखा है:
(1) No policy of life insurance shall be called in question on any ground whatsoever after the expiry of three years from the date of the policy, i.e., from the date of issuance of the policy or the date of commencement of risk or the date of revival of the policy or the date of the rider to the policy, whichever is later.
(2) A policy of life insurance may be called in question at any time within three years from the date of issuance of the policy or the date of commencement of risk or the date of revival of the policy or the date of the rider to the policy, whichever is later, on the ground of fraud:
इक मतलब साफ़ है, चाहे आपने पालिसी खरीदते समय झूट बोला हो या कुछ बताना भूल गायें हों, अगर आपको Life Insurance Policy लिए 3 साल हो गए हैं, तो इंश्योरंस कंपनी को claim स्वीकार (settle) करना होगा|
तो इंश्योरंस कंपनी के पास तीन साल हैं किसी भी बात का पता लगाने के लिए|
इस अधिनियम (एक्ट) की कॉपी आपको IRDA की website पर मिल जायेगी|
इससे आपको क्या फायदा होगा?
काफी फायदा होगा|
अगर आपकी पालिसी तीन साल से ज्यादा पुरानी है, तो में उम्मीद करता हूँ की आपका claim काफी जल्दी process (pass) हो जाएगा|
अगर जीवन बीम पालिसी को तीन साल हो गए हैं, तो इंश्योरंस कंपनी के हाथ बंधे हुए हैं| उन्हें claim pass करना ही होगा|
तो आप उम्मीद कर सकते हैं की claim rejection कम हो जायेंगे|
पालिसी धारक को भी कम चिंता करने की ज़रुरत है|
शायद लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री में उनका विश्वास बढ़ सकता है|
ध्यान रखें
यह संशोधन केवल जीवन बीमा (Life Insurance) पालिसी के लिए है|
यह लाभ आपको स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) के लिए नहीं मिलेगा|
Insurance Act (बीमा अधिनियम) में यह संशोधन (Amendment) मार्च 2015) में लाया गया था|
और यह संशोधन 26 December, 2014 से लागू माना जाएगा|
अगर आपने अपनी पालिसी 26 December 2014 से पहले खरीदी थी, तो मेरे लिए यह कहना कठिन है की आपको इस संशोधन के लाभ मिलेगा की नहीं|
हो सकते है मिले या फिर न मिले| शायद जब कोई केस कोर्ट जाएगा तब ही पता चलेगा|
मैं कोई कानूनी विशेषज्ञ नहीं हूँ और इस बात पर टिप्पणी नहीं करूँगा| आप किसी कानूनी जानकार से बात करके इस बात पर स्पष्टता मांग सकते हैं|
क्या आप पालिसी खरीदते समय कोई बात छुपा सकते हैं?
कुछ लोगों से जब मैंने इस बारे में बात करी तो उनका पहला सवाल था की क्या वह लोग जीवन बीमा लेते समय अपनी किसी बीमारी के बारे में इंश्योरंस कंपनी से छुपा सकते हैं|
उनकी सोच थी की इस संशोधन के बाद अगर किसी तरह तीन साल निकल गए तो फिर इंश्योरंस कामनी कुछ नहीं कर पाएगी और उसे आपके इंश्योरंस claim का पेमेंट करना होगा|
बीमारी छुपाने से आपको शायद प्रीमियम भी कम देना पड़े|
यह सोच गलत है और खतरनाक भी|
पहली बात अगर आपकी मृत्यु पालिसी लेने के तीन वर्षों के अन्दर हो जाती है और इंश्योरंस कंपनी को पता चलता है की आपने अपनी बिमारी छुपायी थी, तो वह आपके claim को reject (अस्वीकार) कर देगी|
ऐसा होने पर आपका परिवार क्या करेगा? ऐसे समय में परिवार वैसे ही इतने तनाव में रहता है| आप एक और परेशानी उनके सर छोड़ जायेंगे|
अगर मृत्यु तीन साल बाद भी होती है और इंश्योरंस कंपनी को पता चलता है, तो वह कहीं न कहीं केस अटका सकते हैं| आपको कोर्ट जाना पड़ सकता है| और क्या पता सभी तथ्यों को जानने के कोर्ट आपके विरुद्ध (against) फैसला सुना दे|
Insurance एक contract (अनुबंध) है|
बशर्ते इंश्योरंस कंपनी या एजेंट इमानदार न हो, आपको पूरी इमानदारी से सारी जानकारी इंश्योरंस company को देनी चाहिए पालिसी खरीदते समय|
यह बदलाव आपके परिवार की आर्थिक सुरक्षा के लिए बहुत ही लाभकारी है|
परन्तु इस संशोधन का गलत फायदा उठाने की कोशिश न करें| आप अपने परिवार को बड़ी परेशानी में डाल सकते हैं|
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