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आपको लोन देते समय बैंक किन बातों पर ध्यान देता है?

जब आप बैंक में किसी लोन के लिए आवेदन करते हैं, तो बैंक क्या बातें देखता है? कैसे निर्णय लेते है की आपको लोन दिया जाए की नहीं या कितना लोन दिया जाए| आईये देखते हैं|

मैं केवल होम लोन की बात नहीं कर कर रहा हूँ| पर्सनल लोन हो या कार लोन या प्रॉपर्टी लोन, हर तरह की लोन में बैंक इन बातों पर अवश्य ध्यान देता है| अगर आप बैंक के नज़रिए से सोचें, तब आपको शायद बैंक के निर्णय का समझने में आसानी होगी| आप अपने लोन आवेदन की बेहतर तय्यारी भी कर सकते हैं|

#1 आप लोन लौटा सकते हैं या नहीं

यह तो सबसे महत्वपूर्ण है|

अगर आपके पास लोन चुकाने की क्षमता नहीं है, तो बैंक आपको लोन नहीं देगा|

अगर लोन दिया जा भी रहा है, तो उतना ही दिया जाएगा, जो की आप आसानी से चुका सकें|

आमतौर पर बैंक आपको आपके मासिक वेतन के 50% से अधिक राशि (की EMI) का लोन नहीं देते| इसका मतलब यह है की बैंक आपको उतना ही लोन देंगे, की उसकी EMI (मासिक किश्त) आपके वेतन के 50% प्रतिशत से कम हो| मान लिए सब कुछ काट कर आपके हाथ में 30,000 रुपये आते हैं|  ऐसे में बैंक आपकी EMI को 15,000 रुपये तक सीमित रखेगा|

ऐसा इसलिए क्योंकि केवल लोन की किश्त ही आपका अकेला खर्चा नहीं है| अगर आपका सारा पैसा लोन की EMI में चला जाएगा, तो आपका घर कैसे चलेगा|

#2 आपकी आय स्थिर है या नहीं

अगर आप वेतनभोगी (salaried) हैं, तब आपको आसानी से लोन मिल जाता है| ब्याज दर भी कम होती है| हालांकि लोन की मात्रा (Loan amount) आपकी आय पर निर्भर करता है, परन्तु लोन मिलने में आसानी रहती है| ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बैंक को पता है की आपकी आय स्थिर है| बैंक को लगता है की आप हर महीने लोन की किश्त देने की क्षमता रखते हैं|

अगर आप सरकारी नौकरी करते हैं या किसी बड़ी कंपनी में काम करते हैं, तब तो लोन मिलने में और भी आसानी होगी|

यदि आप कोई बिज़नस करते हैं या सेल्फ-एम्प्लोयेड (self-employed) हैं, तब लोन मिलने में तो परेशानी होती ही है, साथ ही ब्याज दर भी ज्यादा होती है| ऐसा इसलिए क्योंकि आपकी आय शायद बहुत स्थिर न हो| किसी महीने में 30,000 की कमाई हुई और किसी महीने में 50,000 की| ऐसी में बैंक को इतना विश्वास नहीं रहता और वह लोन देने में हिचक सकता है|

#3 आपके क्रेडिट स्कोर को भी देखा जाता है

आपकी लोन चुकाने की क्षमता तो एक बात है|

आपकी लोन चुकाने की इच्छा को भी देखा जाता है| आपने अपने पुराने लोन या क्रेडिट कार्ड का समय पर भुगतान किया है की नहीं?

यह देखने का सबसे अच्छा तरीका आपका क्रेडिट स्कोर या क्रेडिट रिपोर्ट देखना है|

अगर आपके क्रेडिट स्कोर अच्छा नहीं है, तो आपको लोन मिलने में परेशानी हो सकती है|

इसलिए लोन के लिए आवेदन करने से पहले अपना क्रेडिट स्कोर अवश्य चेक कर लें| आप अपना क्रेडिट स्कोर फ्री में भी चेक कर सकते हैं| इसलिए समय समय पर क्रेडिट स्कोर चेक करते रहे| अगर किसी कारण से आपका क्रेडिट स्कोर कम है, तो उसे सुधारने की कोशिश करें|

#4 आप क्या सेकुरिटी दे सकते हैं

लोन प्रमुख तौर पर दो प्रकार के होते हैं: सुरक्षित लोन (Secured Loan) या असुरक्षित लोन (unsecured loan)

सुरक्षित लोन (Secured Loan) के उदहारण हैं: होम लोन, गोल्ड लोन, म्यूच्यूअल फण्ड लोन, प्रॉपर्टी लोन, एलआईसी पालिसी लोन, कार लोन इत्यादि| इन सभी लोन में आप कुछ गिरवी रखते हैं, इसका मतलब की आप सेकुरिटी देते हैं| अगर आप लोन का भुगतान नहीं कर पाते हैं, तब बैंक आपकी सेकुरिटी बेच कर अपना पैसा वसूल लेगा|

असुरक्षित लोन (Unsecured Loan) का उदहारण है पर्सनल लोन| पर्सनल लोन में आप कुछ भी गिरवी नहीं रखते| केवल आपकी लोन चुकाने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए ही लोन दिया जाता है| आपका क्रेडिट स्कोर भी बहुत अच्छा होना चाहिए| लोन के भुगतान न कर पाने की स्तिथि में बैंक कुछ बेच तो नहीं सकता परन्तु उसके पास कानूनी विकल्प होते हैं|

आमतौर पर, सुरक्षित लोन की ब्याज दर किसी असुरक्षित लोन की ब्याज दर से कम होती है|

कुछ ऐसे लोन भी होते हैं जहां की आपकी लोन चुकाने की क्षमता पर ध्यान नहीं दिया जाता| जैसे की गोल्ड लोन या शेयर लोन या म्यूच्यूअल फण्ड लोन| ऐसा इसलिए क्योंकि यहाँ पर लोन के भुगतान न होने पर आपकी सेकुरिटी को बहुत ही आसानी से बेचा जा सकता है|

यहीं अगर लोन का पैसा वसूलने के कोई प्रॉपर्टी बेचनी पड़ जाए, तो यह एक लम्बी प्रक्रिया है| इसलिए होम लोन या प्रॉपर्टी लोन में आपकी लोन चुकाने की क्षमता पर बहुत ध्यान दिया जाता है|

साथ ही आपकी प्रॉपर्टी की quality को भी देखा जाता है| अगर किसी अच्छे इलाके में प्रॉपर्टी है, तो आसानी से लोन मिल जाएगा| परन्तु कहीं दूर दराज़ इलाके में प्रॉपर्टी है, तो आसानी से लोन नहीं मिलेगा|

ध्यान दें कुछ लोन सरकारी योजनायों के तहत दिए जाते हैं, जैसे की मुद्रा लोन| कुछ लोन प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग के तहत दिए जाए हैं| साथ ही शिक्षा लोन इत्यादि पर भी ऊपर दिए गए मापदंड न लगाए जाएँ| परन्तु अधिकतर लोन देते समय बैंक ऊपर दी गयी बातों का ख्याल रखता है|