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सीनियर सिटीजन को जीवन बीमा नहीं लेना चाहिए: 5 कारण

बहुत से लोग निवेश करने की लिए जीवन बीमा पालिसी का सहारा लेते हैं| केवल युवा लोग ही नहीं, वरिष्ठ नागरिक या सेवानिवृत्त लोग भी जीवन बीमा प्लान (लाइफ इंश्योरेंस प्लान) खरीदते हैं|

मेरे अनुसार वरिष्ठ नागरिकों (सीनियर सिटीजन) को जीवन बीमा उत्पाद खरीदने की कोई ज़रुरत नहीं है|

इस पोस्ट में कुछ कारणों पर चर्चा करते हैं|

# 1 आपको शायद जीवन बीमा की आवश्यकता ही नहीं हो

अगर आपने रिटायर होने से पहले आपने सही से फाइनेंसियल प्लानिंग करी है, तो आपको रिटायरमेंट के वक़्त लाइफ इंश्योरेंस (जीवन बीमा) की ज़रुरत नहीं होनी चाहिए|

देखिये, अगर रिटायरमेंट से पहले ही अपने खर्चों या अन्य कामों के लिए पैसा इकठ्ठा कर चुके हैं, तो जीवन बीमा की ज़रुरत अपने आप ही खत्म हो जाती है|

अगर आपके पास पर्याप्त धन है, तो जीवन बीमा की ज़रुरत ही नहीं है| बिना बात प्रीमियम का पैसा बेकार जाएगा|

मैं केवल पारंपरिक बीमा प्लान (ट्रेडिशनल लाइफ इंश्योरेंस प्लान) या यूलिप प्लान की बात नहीं कर रहा हूँ| आपको टर्म इंश्योरेंस प्लान की ज़रुरत भी नहीं होनी चाहिए|

# 2 आपको प्रीमियम देने में परेशानी होगी

यदि आप सेवानिवृत्ति के दौरान जीवन बीमा योजना खरीदते हैं, तो आपको योजना जारी रखने के लिए प्रीमियम का भुगतान करते रहना होगा।

यह प्रीमियम आपके बजट पर दबाव डालेगा|

जब जीवन बीमा की ज़रुरत ही नहीं है, तो ऐसा खर्चा क्यों करना|

ऐसा हो सकता है की आपको सिंगल प्रीमियम इंश्योरेंस प्लान बेचने की कोशिश की जाए| सिंगल प्रीमियम प्लान में केवल एक बार प्रीमियम देना होता है| परन्तु वहां भी परेशानी है| पोस्ट में आगे इस बारे में चर्चा करूंगा|

# 3 आपको खराब रिटर्न मिलेगा

यह बहुत अहम् मुद्दा है|

काफी लोग लाइफ इंश्योरेंस प्लान केवल जीवन बीमा के लिए नहीं खरीदते बल्कि रिटर्न पाने के लिए खरीदते हैं| इसके लिए वह पारंपरिक जीवन बीमा प्लान (ट्रेडिशनल प्लान) या यूलिप (Unit Linked Insurance Plan) खरीदते हैं|

मुझे पूरा विश्वास है की बहुत से सीनियर सिटीजन भी जीवन बीमा खरीदते समय रिटर्न के बारे में ही सोचते हैं|

यदि मैं आपसे कहूं की आपकी अधिक आयु की वजह से आपके रिटर्न कम होंगे, तो आप क्या करेंगे?

जी हाँ, य़ह सच हैं।

ऐसा इसीलिए होता है, क्योंकि यूलिप और ट्रेडिशनल प्लान में कुछ हिस्सा मोर्टेलिटी चार्ज की ओर जाता है|

Mortality चार्ज आपको जीवन बीमा प्रदान कर के लिए चार्ज किया जाता है| जो राशि बचती है, वह निवेश होती है|

जैसे-जैसे आपकी आयु बढती है, वैसे-वैसे मोर्टेलिटी चार्ज बढ़ते जाते हैं| अगर mortality चार्ज ज्यादा है, तो आपके निवेश या प्रीमियम का अधिक हिस्सा mortality चार्ज के भुगतान की ओर जाएगा|

इससे आपके रिटर्न कम हो जायेंगे|

आइए एक पारंपरिक योजना का उद्धरण लेते हैं।

आइए मान लें कि 30 वर्षीय व्यक्ति (अमित) और 60 वर्षीय व्यक्ति (रमेश) 10 लाख रुपये के बीमा योजना खरीदते हैं। दोनों की पालिसी अवधि सामान है|

रमेश का प्रीमियम ज्यादा होगा क्योंकि उसकी आयु ज्यादा है|

अब देखें तो, परिपक्वता के समय, दोनों को एक ही राशि मिलेगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि बीमित राशि समान है और बोनस पॉलिसी अवधि पर निर्भर करता है (जो दोनों के लिए सामान है)|

रमेश को मेच्योरिटी के समय राशि अमित के सामान ही मिलेगी परन्तु उसका प्रीमियम अमित के प्रीमियम से ज्यादा है|

आप देख सकते हैं की रमेश को कम रिटर्न मिलेंगे क्योंकि उसकी आयु ज्यादा है|

यूलिप के मामले में, आपके फंड मूल्य का एक हिस्सा मोर्टेलिटी चार्ज के भुगतान के लिए जाता हैऔर बचा हुआ पैसा निवेशित रहता है| जाहिर है, अगर आपकी उम्र ज्यादा है, तो ज्यादा पैसा मोर्टेलिटी चार्ज के लिए कटेगा।

इससे भी आपके रिटर्न प्रभावित होंगे|

कुछ ऐसे मामले भी सामने आयें है की जहाँ पर मोर्टेलिटी चार्ज वरिष्ठ नागरिकों के यूलिप में निवेश का पूरा हिस्सा ही खा गए|

एक मामले में एक सीनियर सिटीजन ने यूलिप में 50,000 रुपये निवेश किये और कुछ वर्ष में उनके निवेश का मूल्य घटकर 248 रुपये हो गया|

दूसरे मामले में एक वरिष्ठ नागरिक ने 6 साल में 3.2 लाख रुपये यूलिप में निवेश किये और 6 वर्ष बाद उनके निवेश का मूल्य घटकर 11,678 रुपये हो गया|

यदि आपको जीवन बीमा की आवश्यकता नहीं है तो आपको mortality चार्ज का भार उठाने की कोई ज़रुरत नहीं है|

#4 मेच्योरिटी के समय आपको परिपक्वता राशि पर टैक्स देना पड़ सकता है

हम में से ज्यादातर लोग यह मानते हैं कि जीवन बीमा कंपनी से प्राप्त राशि पर कोई टैक्स नहीं देना होता|

यह बात मृत्यु लाभ (धारक की मृत्यु के समय मिलने वाली राशि) के लिए सच है लेकिन परिपक्वता लाभ (maturity benefit) के लिए नहीं।

परिपक्वता लाभ टैक्स-फ्री तभी होता है जबकि:

वार्षिक प्रीमियम मृत्यु लाभ (death benefit या Sum Assured) के 10% से कम होना चाहिए| इसका मतलब मृत्यु लाभ (death benefit) वार्षिक प्रीमियम (annual premium) का कम से कम 10 गुना होना चाहिए।

Sum Assured >= 10 times annual premium

यह आयकर अधिनियम की धारा 10 (10 D) के अनुसार है।

अधिकांश सिंगल प्रीमियम योजनायों में यह शर्त पूरी नहीं होती|

वरिष्ठ नागरिकों के लिए रेगुलर प्रीमियम पालिसी (जहाँ पर हर वर्ष प्रीमियम देना होता है) में भी यह परेशानी आ सकती है|

मैं IRDA Linked Product Regulation, 2013 से एक अंश प्रस्तुत कर रहा हूँ| यह नियम यूलिप पर लागू होते हैं।

जैसा कि आप देख सकते हैं, काफी अधिक संभावना है की सिंगल प्रीमियम योजना की परिपक्वता राशि पर धारक को टैक्स देना होगा| ऐसा इसलिए की अधिकतर मामलों में टैक्स बचने वाली शर्त पूरी नहीं होगी|

वरिष्ठ नागरिकों के लिए तो यह संभावना और भी कम है| रेगुलर प्रीमियम प्लान में भी वरिष्ठ नागरिकों को परेशानी हो सकती है|

अगर आयु 45 वर्ष से कम है, तो आप सुरक्षित हैं क्योंकि जीवन बीमा वार्षिक प्रीमियम का कम से कम 10 गुना होगा।

45 वर्ष से अधिक आयु पर जीवन बीमा वार्षिक प्रीमियम का कम से कम 7 गुना होना चाहिए| यहाँ समस्या हो सकती है|

एक बात और,  यह समस्या केवल यूलिप प्लान तक ही सीमित नहीं है। पारंपरिक प्लान में भी यह समस्या आ सकती है| एलआईसी बीमा बचत योजना एक उदहारण है|

अब देखें तो सीनियर सिटीजन को रिटर्न भी कम मिलते हैं और मेच्योरिटी पर राशि पर टैक्स भी दना पड़ सकता है| ऐसे में जीवन बीमा प्लान लेना समझदारी का फैसला नहीं होगा

# 5 ज़रुरत पड़ने पर पैसा निकालने में परशानी हो सकती है

रिटायरमेंट के बाद आप चाहेंगे की ज़रुरत पड़ने पर आप अपने पैसे को आसानी से निकाल पाएं।

परन्तु पारंपरिक जीवन बीमा योजनायों (traditional life insurance plans) में मेच्योरिटी से पहले पैसे निकालने पर काफी पेनल्टी देनी पड़ती है| यूलिप में भी  आपका पैसा 5 साल के लिए लॉक हो जाता है।

निष्कर्ष यह है की सीनियर सिटीजन को लाइफ इंश्योरेंस प्लान नहीं खरीदने चाहिए| वजह बहुत सारी हैं| शायद उनको जीवन बीमा की ज़रुरत न हो| प्रीमियम देने में परशानी होगी| उनकी अधिक आयु की वजह से रिटर्न कम होंगे| मेच्योरिटी पर टैक्स देना पड़ सकता है| साथ की ज़रुरत पड़ने पर पैसा निकालना में परेशानी हो सकती है|

सौजन्य: www.PersonalFinancePlan.in