रिटायर होने के बाद भी आय (इनकम) की ज़रुरत होती है| वेतन मिलना तो बंद हो जाता है, पर आपके खर्चे खत्म नहीं होते|
इस पोस्ट में रिटायरमेंट के दौरान नियमित आय पाने के 10 तरीकों पर चर्चा करते हैं|
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#1 बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (Bank Fixed Deposit)
इसको समझना सबसे आसान है| हर व्यक्ति ने कभी न कभी फिक्स्ड डिपाजिट तो खोला ही होगा|
आप मासिक (monthly), त्रैमासिक (quarterly), अर्ध-वार्षिक (half-yearly) या वार्षिक (annual) ब्याज भुगतान का विकल्प चुन सकते हैं।
फायदे: समझने में आसान है। ज़रुरत पड़ने पर आप थोड़ी सी पेनल्टी दे कर अपना पैसा निकाल भी सकते (FD तोड़ सकते हैं) हैं|
नुकसान: मिलने वाले ब्याज पर आपको अपने टैक्स ब्रैकेट के अनुसार टैक्स देना होता है| आपको 7-10 वर्षों सेअधिक अवधि के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट नहीं मिलेगा। FD मेच्योर होने पर जब आप नयी FD खोलेंगे, तो उस समय ब्याज दर कम हो सकती है| ऐसा होने पर आपकी आय पर सीधा असर पड़ेगा|
ब्याज पर TDS भी कट सकता है| टीडीएस से बचने के लिए आप फॉर्म 15G/15H जमा कर सकते हैं|
#2 वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (Senior Citizens Savings Scheme या SCSS)
केवल वरिष्ठ नागरिक (> 60 वर्ष) ही SCSS में निवेश कर सकते हैं।
ब्याज का भुगतान हर तिमाही (quarterly) किया जाता है।
यह डिपाजिट 5 वर्ष में मेच्योर होता है| 5 वर्ष की समाप्ति पर आप तीन वर्ष तक के लिए एक्सटेंड (extend) कर सकते हैं| आप बैंकों और डाकघरों में SCSS डिपाजिट खोल सकते हैं।
वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) हर तिमाही ब्याज दर की घोषणा करता है|
अभी की दर 8.3% (अप्रैल 27, 2018) चल रही है| SCSS की लेटेस्ट ब्याज दर जानने के लिए इस पोस्ट को पढ़ सकते हैं
फायदे: ब्याज दर अच्छी होती है। निवेश करने पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है। ज़रुरत पड़ने पर पेनल्टी दे कर पैसा निकाल सकते हैं|
नुकसान/कमियाँ: मिलने वाले इंटरेस्ट पर आपको टैक्स देना होता है| आप एक समय में SCSS में 15 लाखरुपये से ज्यादा निवेश नहीं कर सकते| यदि आपके पति/पत्नी भी निवेश करते हैं, तो कुल मिला कर 30 लाख रुपये निवेश कर सकते हैं| TDS भी कटता है| आप फार्म 15G/15H जमा करके TDS बचा सकते हैं|
सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम के बारे में सम्पूर्ण जानकारी की लिए आप इस पोस्ट को पढ़ सकते हैं|
#3 पोस्ट-ऑफिस मासिक आय योजना (Post Office Monthly Income Scheme or POMIS)
यह फिक्स्ड डिपॉजिट्स के समान ही हैं| बस डिपाजिट आपको पोस्ट ऑफिस में खोलना होता है|
योजना 5 वर्ष में मेच्योर होती है। हर महीने ब्याज का भुगतान किया जाता है|
वित्त मंत्रालय हर तिमाही (quarter) ब्याज दर की घोषणा करता है|
अभी (27 अप्रैल 2018) की ब्याज दर 7.3% p.a. है| लेटेस्ट ब्याज दर जानने के लिए इस लिंक पर जाएँ|
फायदे: ब्याज पर कोई टीडीएस नहीं कटता निवेश पर कोई कर लाभ नहीं है । आप एक छोटे दंड पर निवेश से बाहर निकल सकते हैं। तीन वर्ष से पहले डिपाजिट तोड़ने पर 2% पेनल्टी लगती है और उसके बाद और पांचवें वर्ष के बीच तोड़ने पर 1% पेनल्टी लगती है|
नुकसान/कमियाँ: ब्याज पर टैक्स देना होता है| निवेश करने पर कोई टैक्स बेनिफिट नहीं है| आप 4.5 लाख रुपये से ज्यादा जमा नहीं कर सकते| अगर आपने joint अकाउंट खोला है, तो आप अधिकतम 9 लाख रुपये जमा कर सकते हैं|
पोस्ट-ऑफिस मंथली इनकम स्कीम के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस पोस्ट (अंग्रेजी) को पढ़ें|
#4 टैक्स-फ्री बांड (Tax-free Bonds)
समय-समय पर सरकारी कंपनी (PSUs) ऐसे बांड जारी करती हैं| परिपक्त्वता आमतौर पर 15 से 20 वर्ष होती है| आप सेकेंडरी (secondary) मार्केट से भी यह बांड खरीद सकते हैं|
फायदे : मिलने वाले ब्याज पर कोई टैक्स नहीं देना होता| अगर आप 30% टैक्स ब्रैकेट में आते हैं, तो आपको काफी लाभ हो सकता है|
नुकसान/कमियाँ: वैसे तो आप चाहें तो यह बांड कभी भी बेच सकते हैं, परन्तु सच्चाई में स्टॉक एक्सचेंज पर बेचना इतना आसान नहीं है| ऐसा हो सकता की ज़रुरत पड़ने पर आप इन बांड को बेच न पाएं|
#5 वार्षिकी योजनाएं (Annuity plans या एन्युटी प्लान)
एन्युटी प्लान में आप बीमा कंपनी को एक मुश्त राशि देते हैं और बीमा कंपनी आपको पूरे जीवन कुछ राशि देती है|
मान लिए आपने बीमा कंपनी से 10 लाख रुपये का एन्युटी प्लान खरीदा और उस समय एन्युटी रेट 6% चल रहा है, तो बीमा कंपनी आपको हर वर्ष 60,000 रुपये देगी| इसका मतलब हर महीने 5,000 रुपये की आय|
यह आपके पूरे जीवन चलेगा|
फायदे: आपको पूरे जीवन राशि मिलती रहेगी| ब्याज बढ़े या घटे| आप 80 वर्ष तक जीवित रहे या 100 वर्ष तक| आप राशि मिलती रहेगी| साथ एन्युटी के कई विकल्प भी होते है| एक विकल्प में आपके बाद आपके पति/पत्नी को नियमित आय मिलती रहेगी|
नुकसान/कमियाँ: एन्युटी प्लान के रेट काफी कम होते हैं। शायद आपको FD पर इससे बेहतर रिटर्न मिल जाएँ| ज़रुरत पड़ने पर भी आप पैसा आसानी से निकाल नहीं सकते| एन्युटी इनकम पर टैक्स ही देना होता है|
#6 मकान से किराया (Rental Income)
बहुत से लोग ऐसा करते हैं| रिटायर होने से पहले दूसरा या तीसरा मकान बना लेते हैं| और रिटायर होने के बाद उन मकानों से किराया आता रहता है|
फायदे: किराया आमतौर पर धीरे-धीरे बढ़ता है।
नुकसान/कमियाँ : घर खरीदना आसान काम नहीं है| यदि आपने रिटायरमेंट के पहले से ही तयार्री कर है, तो ठीक है| साथ ही किराए की आय पर टैक्स भी देना होता है|
#7 डेब्ट म्युचुअल फंड से dividend/डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड से SWP
आप dividend विकल्प चुन सकते हैं| आपको समय-समय पर dividend मिलता रहेगा|
आप अपने निवेश को कभी भी बेच सकते हैं|
पर ध्यान दें dividend मिलने से पहले उस पर टैक्स लगता है| तकरीबन 29% टैक्स आपके हाथ में dividend आने से पहले ही लग जाता है|
तो अगर आप 10% या 20% टैक्स ब्रैकेट में आते हैं, तो dividend विकल्प आपके लिए अच्छा नहीं है। आप Growth विकल्प में निवेश कर सकते हैं और वहाँ से SWP (Systematic Withdrawal Plan) चला सकते हैं|
नुकसान/कमियाँ: रिटर्न की गारंटी नहीं है। डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड में थोडा रिस्क रहता है| डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड कई प्रकार के होते हैं| पूरी जानकारी न होने पर आप गलत फण्ड चुन सकते हैं|
#8 कॉर्पोरेट बांड (Corporate Bonds)
यह फिक्स्ड डिपाजिट के तरह ही हैं| बस आप बैंक की जगह किसी कंपनी में पैसा जमा करते हैं और कंपनी आपको ब्याज देती है|
आप बैंक की ब्याज दर से बेहतर ब्याज दर की उम्मीद कर सकते हैं|
बस परेशानी यह है की आप बेहतर रिटर्न के चक्कर में किसी गलत कंपनी में न फंस जाएँ| बहुत से लोगों का पैसा इसी चक्कर में डूब चूका है| केवल अच्छी कंपनी के bonds में ही निवेश करें| निवेश करने से पहले कंपनी की क्रेडिट रेटिंग ज़रूर देखें|
ब्याज पर टैक्स भी देना होता है| TDS भी कटता है|
#9 प्रधानमंत्री मंत्री वय वंदना योजना (PMVVY)
इस योजना के निवेश करने पर आपको 10 वर्ष तक 8% p.a. ब्याज मिलता है|
निवेश करने पर कोई टैक्स बेनिफिट नहीं है| मिलने वाले ब्याज पर टैक्स भी देना होता है|
प्रधानमंत्री मंत्री वय वंदना योजना (PMVVY) के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस पोस्ट को पढ़ें|
#10 Reverse Mortgage Plan
अगर कोई विकल्प न बचा हो, तो आप Reverse Mortgage Plan का चुनाव कर सकते हैं|
उस योजना के तहत आप बैंक के पास जा कर Reverse mortgage ले सकते हैं|
इसके तहत बैंक आपको हर महीने कुछ राशि देगा| यह पूरी ज़िन्दगी चलता रहेगा| आपको बैंक को कुछ भी नहीं देना है| आप उसी घर में रह भी सकते हैं|
बस आपके बाद बैंक आपका घर ले लेगा और उसे बेच कर पैसे वसूल लेगा|
आपको कितनी आय मिलती है यह आपके मकान के मूल्य पर निर्भर करता है|
मिलने वाली आय पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होता|
Reverse Mortgage Plan के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस पोस्ट (अंग्रेजी) को पढ़ें|
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