X

क्रेडिट कार्ड या ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड (Credit Card Fraud) की स्तिथि में क्या करें?

आजकल ऑनलाइन बैंकिंग, ऑनलाइन पेमेंट या क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड स्वाइप कर के सामान खरीदने का प्रचलन काफी बढ़ गया है|

साथ ही ऑनलाइन फ्रॉड और क्रेडिट कार्ड फ्रॉड (fraud) के भी बहुत सारे मामले सामने आ रहे हैं|

अगर आपके साथ कोई fraud या धोखाधड़ी हो जाए, तो आपको कितना नुकसान (liability) हो सकता है?

अगर आपके मोबाइल फ़ोन पर SMS आता है की आप क्रेडिट कार्ड पर 40,000 रुपये का सामान खरीदा गया है (जो आपने नहीं खरीदा है), तो आप क्या करेंगे?

ऐसी स्तिथि में अपने नुकसान को कम करने के लिए आपको क्या करना चाहिए?

ऐसे ही सवालों का जवाब देने की मैं इस पोस्ट में कोशिश करूंगा|

कुछ समय पहले तक ऐसे electronic transaction के fraud का मामले में कुछ स्पष्ट नियम नहीं थे| ऐसी स्तिथि में बैंक सारा बोझ उपभोक्ता पर डाल दिया करते थे|

पर अब ऐसा नहीं होगा|

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने जुलाई 2017 में कुछ नियम बनाये, जो की ऐसे धोखाधड़ी के मामलों में आपकी liability (आर्थिक ज़िम्मेदारी) तय करते हैं| Liability से मेरा मतलब नुकसान का कितना हिस्सा आपको उठाना होगा|

इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन (Electronic Banking Transaction) क्या हैं?

भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार आप दो तरह से electronic transaction कर सकते हैं|

#1 रिमोट / ऑनलाइन ट्रांजैक्शन:

ऐसी स्तिथि में आपकी या कार्ड की  प्रत्यक्ष उपस्तिथि (physical presence) की ज़रुरत नहीं है। उदहारण के तौर पर: नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड या debit कार्ड का इस्तेमाल करके ऑनलाइन भुगतान, वॉलेट आदि। यदि आप ऑनलाइन शौपिंग करते हैं, तो वह रिमोट transaction

#2 फेस 2 फेस ट्रांजैक्शन (Face-to-Face Transaction)

ऐसी मामलों में आपके क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड या मोबाइल फ़ोन की मौजूदगी की आवश्यकता है| अगर आप कहीं अपना क्रेडिट कार्ड या debit कार्ड स्वाइप करते हैं उअर ATM से पैसा निकालते हैं, तो बह Face-to-Face transaction माना जाएगा।

क्रेडिट कार्ड या ऑनलाइन fraud (धोखाधड़ी) के मामले में आपका क्या आर्थिक दायित्व (liability) है?

आपकी liability निर्भर करती है कि धोखाधड़ी / अनधिकृत लेनदेन के लिए कौन जिम्मेदार है।

कोई भी धोखाधड़ी हो, तो इसमें तीन लोग ज़िम्मेदार हो सकते हैं|

  1. Fraud आपकी गलती या लापरवाही की वजह से हुआ है| अगर आप अपना मोबाइल पर आया OTP किसी से शेयर करते हैं या आप अपने क्रेडिट या debit कार्ड के PIN डिटेल्स किसी से शेयर करते हैं| और इस वजह से आपके बैंक अकाउंट या क्रेडिट अकाउंट का इस्तेमाल किया जाता है| अब यह आपकी गलती है|
  2. Fraud बैंक प्रणाली में कमी या बैंक की गलती से हुआ है| मान लिए बैंक की वेबसाइट हैक हो जाती है और आपके खाते के डिटेल्स चोरी हो जाते हैं|
  3. Third पार्टी fraud: गलती न आपकी है और न ही आपके बैंक की| किसी तीसरे पक्ष की गलती/लापरवाही की वजह से आपके कार्ड का गलत इस्तेमाल होता है|

कोई अनधिकृत लेनदेन आपकी लापरवाही, बैंकिंग प्रणाली में कमी / गलती या तीसरे पक्ष के उल्लंघन के कारण हो सकता है ।चलिए देखते हैं कि इन मामलों में से प्रत्येक में आपकी देयता क्या होगी।

1. जब आपकी गलती है

अगर आपकी लापरवाही के कारण धोखाधड़ी या fraud हुआ है, जब तक आप बैंक को इस फ्रॉड transaction के बारे में नहीं बताते, तब तक सारा नुकसान आपको उठाना होगा|

मान लिए आप किसी से अपने क्रेडिट कार्ड के डिटेल्स शेयर कर देते हैं, और आपका क्रेडिट कार्ड 5 बार गलत इस्तेमाल किया जाता है| इसके बाद ही आप बैंक को इस fraud के बारे में बताते हैं| तो in 5 transaction में होने वाले नुकसान की आपको उठाना होगा|

आपके रिपोर्ट करने के बाद भी कोई फ्रॉड transaction होता है, तो बैंक वह नुकसान उठाएगा|

2. जब बैंक की गलती है या उसके सिस्टम में कुछ कमी है

अगर कुछ fraud बैंक की गलती की वजह से होता है, तो सारा नुक्सान बैंक को उठाना होगा|

आपकी Zero Liability होगी|

इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप ऐसे किसी transaction को बैंक को रिपोर्ट करते हैं या नहीं| आपको कुछ भी नुकसान नहीं उठाना होगा|

3. जब fraud third party द्वारा किया जाता है

अगर fraud की वजह कोई तीसरा पक्ष है (न आपकी गलती है और न ही बैंक की), तो आपकी liability इस बात पर निर्भर करता है की आप बैंक को ऐसे fraud के बारे में कब बताते हैं|

अगर fraud होने के तीन दिन (3 days) के भीतर बैंक को बताते हैं: आपकी Zero liability होगी। आपको कुछ भी नुक्सान नहीं उठाना होगा|

अगर fraud होने के 4-7 दिन (4-7 days) के भीतर बैंक को बताते हैं: हर fraud transaction पर आपकी liability नीचे दी गयी टेबल के अनुसार होगी| ध्यान दें यह सीमा प्रति transaction है, न की कुल सीमा है|

अगर fraud होने के 7 दिनों के बाद बैंक को बताते हैं

यहाँ परेशानी है| ऐसे मामलें में बैंक का बोर्ड तय करेगा की क्या किया जाना चाहिए|

लेकिन अगर आपको फ्रॉड रिपोर्ट करने में 7 से ज्यादा दिन लग रहे हैं, तो गलती आपकी भी है|

एक बात दिनों की गिनती fraud होने से नहीं, बल्कि आपको fraud की जानकारी मिलने से की जाती है| इसका मतलब जिस दिन आपको transaction का SMS, e-mail या बैंक स्टेटमेंट मिलता है, उस दिन से मीटर चालू हो जाएगा|

इस बात पर फैसला कौन करेगा की गलती किसकी है?

यह बात अहम् है|

हमनें ऊपर देखा की आपकी आर्थिक जिम्मेदारी (liability) उया नुकसान इस बात पर निर्भर करता है की इस fraud के लिए कौन ज़िम्मेदार है|

तो, इस बात का भी फैसला करना होगा की कौन ज़िम्मेदार है| कौन लेगा यह निर्णय?

अगर बैंक को लेना है, तो आप उम्मीद कर सकते हैं की वह कभी भी अपनी गलती नहीं मानेगा और सारा नुक्सान आपके ऊपर थोक देगा|

बैंक को निर्य्नायक रूप से यह साबित करना होगा की गलती आपकी है| ध्यान दें बैंक के सोचने से कुछ नहीं होता| इनको साबित करना होगा की फ्रॉड आपकी गलती से हुआ है| अगर वह ऐसा नहीं कर पाता, तो आपको कुछ भी नहीं देना होगा|

अगर यह साबित होता है कि फ्रॉड तीसरे पक्ष (third party) की गलती, लापरवाही या बदमाशी की वजह से हुआ है, तो आपकी liability (आर्थिक दायित्व) ऊपर दी गयी टेबल के हिसाब से तय होगी|

आप बैंक को कैसे fraud की खबर कर सकते हैं? (How to report Fraudulent Transaction?)

आप SMS डाल कर, ई-मेल डाल कर, फ़ोन करके या ब्रंक्च में जा कर अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं|

अपनी कंप्लेंट का Acknowledgement नंबर ज़रूर लें|

यह मामला कितने दिनों में सुलझेगा?

Fraud की खबर के बाद 10 दिनों के भीतर बैंक को आपके खाते में पैसा वापिस करना होगा|

अगर बाद में आपकी गलती साबित होती है, तो बैंक वह पैसा वापिस ले सकता है|

बैंक को पूरा मामला 90 दिनों के अन्दर सुलझाना होगा|

बैंक यह सुनिश्चित करेगा की इस फ्रॉड/धोखाधड़ी की वजह से आपको कोई ब्याज का नुकसान या पेनल्टी न उठानी पड़ें|

आपको क्या करना चाहिए?

यहाँ दो पहलू हैं| पहली तो fraud होने से बचाएं, और दूसरी अगर fraud हो, तो जल्दी से जल्दी रिपोर्ट करें|

जैसा की हमनें ऊपर देखा, जितनी जल्दी रिपोर्ट करेंगे, आपको उतना कम नुकसान होगा|

पहले तो आपको सावधानी बरतनी होगी|

अपने क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड या नेट बैंकिंग के PIN, पासवर्ड या अन्य जानकारी को संभाल कर रखें और किसी से शेयर न करें| केवल सुरक्षित जगहों पर या कंप्यूटर पर ही इस्तेमाल करें|

दूसरी बात है जल्दी से जल्दी बैंक को खबर करने की|

  1. सबसे पहले अपने बैंक अकाउंट में अपना मोबाइल नंबर और इ-मेल रजिस्टर करिए|
  2. अपने SMS और ई-मेल नियमित रूप से चेक करिए|
  3. अगर आपको पता चलता है की कोई गलत transaction हुआ है, तो तुरंत बैंक को रिपोर्ट करें| बैंक से acknowledgement भी लें| ई-मेल ज़रूर डालें| क्योंकि ई-मेल खबर देने का पुख्ता सबूत है| बैंक ई-मेल को नकार नहीं सकता|

रिज़र्व बैंक के सर्कुलर को आप इस लिंक पढ़ सकते हैं|